नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर में इलाकों में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए "ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान" (ग्रैप) के तहत उठाए गए कदमों की समीक्षा करने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की महत्वपूर्ण बैठक शुक्रवार को आयोजित की गई. बैठक में दिल्ली के मुख्य सचिव, विभिन्न विभागों और एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी शामिल हुए.
बैठक में चर्चा की गई कि सभी संबंधित विभागों और एजेंसियों को आयोग द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन कड़ाई से सुनिश्चित करना होगा. विशेष रूप से, प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित किसी भी उल्लंघन के मामले में तत्काल और कठोर कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया गया. दिल्ली में चिह्नित किए गए 13 हॉटस्पॉट्स के लिए विशेष कार्य योजना बनाई गई है. इसमें प्रमुख प्रदूषण स्रोतों की सूची तैयार की गई है और उन्हें नियंत्रित करने के उपायों को लागू करने का निर्देश दिया गया है. इन हॉटस्पॉट्स में मुख्यतः सड़क मरम्मत, मशीन से सड़क की सफाई, पानी छिड़काव, कचरे और निर्माण सामग्री के कचरे का प्रबंधन और खुली जगहों पर बायोमास एवं कचरे को जलाने पर कड़ी निगरानी रखना शामिल है.
कार्रवाई तेज करने का निर्देश: वहीं दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के प्रत्येक क्षेत्र के डिप्टी कमिश्नर को ग्रैप के तहत सभी गतिविधियों की समन्वय के लिए नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है. सीएक्यूएम ने वायु प्रदूषण नियंत्रण के कार्यों की निगरानी और नागरिकों की शिकायतों के निवारण के लिए एक कंट्रोल रूम की स्थापना की है. आयोग ने पुराने और अधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों (15 साल पुरानी पेट्रोल वाहनों और 10 साल पुरानी डीजल वाहनों) को सख्ती से हटाने के लिए कार्रवाई तेज करने का निर्देश दिया है. संबंधित विभागों और एजेंसियों को सोशल मीडिया पर आने वाली शिकायतों पर शीघ्र कार्रवाई करने और सीएक्यूएम को कार्रवाई से अवगत कराने के लिए कहा गया है.
सार्वजनिक वाहनों को दिया जाए बढ़ावा: इसके अलावा सीएक्यूएम ने एमसीडी को सार्वजनिक पार्किंग स्थलों पर शुल्क की समीक्षा करने और निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया गया है. सीएक्यूएम ने यह भी सुनिश्चित किया कि सभी एजेंसियां और विभाग समन्वय के साथ कार्य करें और वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए एकजुट होकर प्रयास करें. बैठक के अंत में, यह स्पष्ट किया गया कि वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस और सामूहिक प्रयासों की जरूरत है, और इस दिशा में सभी संबंधित संस्थाओं को कड़ी निगरानी और जिम्मेदारी का एहसास कराया गया.
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