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शिक्षक भर्ती में चयनित 50 से ज्यादा महिला अभ्यर्थियों को लगेगा झटका, चयन होगा रद्द, ये है कारण

उत्तराखंड में अभ्यार्थियों के आरक्षण से जुड़े प्रमाण पत्रों की जांच होगी. शिक्षा विभाग में चयनित अभ्यर्थियों का चयन भी रद्द किया जाएगा.

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आरक्षण से शिक्षा विभाग में चयनित अभ्यर्थियों को झटका (FILE PHOTO ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 2 hours ago

Updated : 2 hours ago

देहरादूनः उत्तराखंड शिक्षा विभाग में आरक्षण के आधार पर चयन पाने वाले अभ्यर्थियों को तगड़ा झटका लगने जा रहा है. दरअसल प्राथमिक शिक्षा में सहायक अध्यापक के तौर पर चयनित होने वाले ऐसे अभ्यर्थियों को जांच का सामना करना पड़ेगा, जिन्होंने उत्तराखंड राज्य में विवाह के बाद आरक्षण से जुड़े प्रमाण पत्र बनवाए और इसी आधार पर भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण लिया. खास बात यह है कि अब शासन ने शिक्षा निदेशालय को आरक्षण से जुड़े नियमों को लेकर पत्र लिखा है, जिसमें इस तरह के अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं दिए जाने की बात कही गई है.

उत्तराखंड में प्राथमिक शिक्षा के अंतर्गत सहायक अध्यापक पद के लिए भर्ती प्रक्रिया गतिमान है. दरअसल राज्य में 2906 पदों के लिए शिक्षकों की भर्ती चल रही है. लेकिन परेशानी ऐसे अभ्यर्थियों को लेकर दिखाई देने लगी है, जिन्होंने दूसरे राज्य का होने के बावजूद उत्तराखंड में इन पदों के लिए आवेदन किया और इसके बाद इनका चयन भी हो गया. खास बात यह है कि यह वो महिला अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने उत्तराखंड के निवासी से विवाह करने के बाद उत्तराखंड में ही आरक्षण और स्थाई निवास से जुड़े प्रमाण पत्र बनवा लिए. इसी आधार पर शिक्षा विभाग में भर्ती प्रक्रिया में शामिल होकर चयन भी पा लिया.

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शासन ने निदेशालय को पत्र जारी किया (PHOTO- UK EDUCATION DEPARTMENT)

शासन ने निदेशालय को दी जानकारी: इस मामले में शिक्षा निदेशालय ने जिलों से मिली जानकारी के बाद शासन को अगस्त महीने में पत्र लिखा था. इसमें शासन से दिशा निर्देश मांगे गए थे कि क्या ऐसे अभ्यर्थियों को उत्तराखंड में आरक्षण का लाभ इस भर्ती के लिए दिया जा सकता है. हैरानी की बात यह है कि शासन ने अब शिक्षा निदेशालय को इस पर लिखित रूप में निर्देश दे दिए हैं. इसमें उत्तराखंड पुनर्गठन नियमावली का हवाला देते हुए राज्य में ऐसे अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं दिए जाने की बात कही गई है. जिन अभ्यर्थियों ने 15 साल से पहले आरक्षण से जुड़े प्रमाण पत्र बनवाए थे, वही इसमें वैध माने जाएंगे. इसके बाद प्रमाण पत्र बनवाकर भर्ती प्रक्रिया में चयन होने की स्थिति में ऐसे अभ्यर्थियों का चयन रद्द किया जाएगा.

जांच के दायरे में 54 महिला अभ्यर्थी: उत्तराखंड में प्राथमिक शिक्षा के अंतर्गत सहायक अध्यापक पद के लिए हो रही भर्ती में ऐसी करीब 54 महिला अभ्यर्थी चयनित की गई हैं, जो अब जांच के दायरे में आ गई हैं. बड़ी बात यह है कि शासन के निर्देशों के बाद अब जिलाधिकारी के स्तर पर बनाए गए ऐसे आरक्षण से जुड़े प्रमाण पत्रों की जांच भी की जाएगी. जिलों के जिलाधिकारी अब इन प्रमाण पत्रों की जांच करेंगे और इन प्रमाण पत्रों की वैधता को भी देखा जाएगा.

शासन ने जारी किया पत्र: प्राथमिक शिक्षा में अपर निदेशक आरएल आर्य के मुताबिक शासन द्वारा शिक्षा निदेशालय को निर्देश जारी कर दिए गए हैं. जिसमें समाज कल्याण विभाग, कार्मिक विभाग और न्याय विभाग के परामर्श के आधार पर शासन ने प्रदेश में विवाह करने के बाद प्रमाण पत्र बनाने वाली महिला अभ्यर्थियों को आरक्षण नहीं दिए जाने से जुड़ा पत्र जारी कर दिया है.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड शिक्षा विभाग शुरू करेगा शेयरिंग व्यवस्था, बदलेगा एजुकेशन सिस्टम, टीचर्स के साथ शेयर होगा इंफ्रास्ट्रक्चर

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देहरादूनः उत्तराखंड शिक्षा विभाग में आरक्षण के आधार पर चयन पाने वाले अभ्यर्थियों को तगड़ा झटका लगने जा रहा है. दरअसल प्राथमिक शिक्षा में सहायक अध्यापक के तौर पर चयनित होने वाले ऐसे अभ्यर्थियों को जांच का सामना करना पड़ेगा, जिन्होंने उत्तराखंड राज्य में विवाह के बाद आरक्षण से जुड़े प्रमाण पत्र बनवाए और इसी आधार पर भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण लिया. खास बात यह है कि अब शासन ने शिक्षा निदेशालय को आरक्षण से जुड़े नियमों को लेकर पत्र लिखा है, जिसमें इस तरह के अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं दिए जाने की बात कही गई है.

उत्तराखंड में प्राथमिक शिक्षा के अंतर्गत सहायक अध्यापक पद के लिए भर्ती प्रक्रिया गतिमान है. दरअसल राज्य में 2906 पदों के लिए शिक्षकों की भर्ती चल रही है. लेकिन परेशानी ऐसे अभ्यर्थियों को लेकर दिखाई देने लगी है, जिन्होंने दूसरे राज्य का होने के बावजूद उत्तराखंड में इन पदों के लिए आवेदन किया और इसके बाद इनका चयन भी हो गया. खास बात यह है कि यह वो महिला अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने उत्तराखंड के निवासी से विवाह करने के बाद उत्तराखंड में ही आरक्षण और स्थाई निवास से जुड़े प्रमाण पत्र बनवा लिए. इसी आधार पर शिक्षा विभाग में भर्ती प्रक्रिया में शामिल होकर चयन भी पा लिया.

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शासन ने निदेशालय को पत्र जारी किया (PHOTO- UK EDUCATION DEPARTMENT)

शासन ने निदेशालय को दी जानकारी: इस मामले में शिक्षा निदेशालय ने जिलों से मिली जानकारी के बाद शासन को अगस्त महीने में पत्र लिखा था. इसमें शासन से दिशा निर्देश मांगे गए थे कि क्या ऐसे अभ्यर्थियों को उत्तराखंड में आरक्षण का लाभ इस भर्ती के लिए दिया जा सकता है. हैरानी की बात यह है कि शासन ने अब शिक्षा निदेशालय को इस पर लिखित रूप में निर्देश दे दिए हैं. इसमें उत्तराखंड पुनर्गठन नियमावली का हवाला देते हुए राज्य में ऐसे अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं दिए जाने की बात कही गई है. जिन अभ्यर्थियों ने 15 साल से पहले आरक्षण से जुड़े प्रमाण पत्र बनवाए थे, वही इसमें वैध माने जाएंगे. इसके बाद प्रमाण पत्र बनवाकर भर्ती प्रक्रिया में चयन होने की स्थिति में ऐसे अभ्यर्थियों का चयन रद्द किया जाएगा.

जांच के दायरे में 54 महिला अभ्यर्थी: उत्तराखंड में प्राथमिक शिक्षा के अंतर्गत सहायक अध्यापक पद के लिए हो रही भर्ती में ऐसी करीब 54 महिला अभ्यर्थी चयनित की गई हैं, जो अब जांच के दायरे में आ गई हैं. बड़ी बात यह है कि शासन के निर्देशों के बाद अब जिलाधिकारी के स्तर पर बनाए गए ऐसे आरक्षण से जुड़े प्रमाण पत्रों की जांच भी की जाएगी. जिलों के जिलाधिकारी अब इन प्रमाण पत्रों की जांच करेंगे और इन प्रमाण पत्रों की वैधता को भी देखा जाएगा.

शासन ने जारी किया पत्र: प्राथमिक शिक्षा में अपर निदेशक आरएल आर्य के मुताबिक शासन द्वारा शिक्षा निदेशालय को निर्देश जारी कर दिए गए हैं. जिसमें समाज कल्याण विभाग, कार्मिक विभाग और न्याय विभाग के परामर्श के आधार पर शासन ने प्रदेश में विवाह करने के बाद प्रमाण पत्र बनाने वाली महिला अभ्यर्थियों को आरक्षण नहीं दिए जाने से जुड़ा पत्र जारी कर दिया है.

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