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खूंटी में चुनावी अभियान में जुटे सभी प्रत्याशी, डोर टू डोर जाकर अपने पक्ष में मतदान की कर रहे अपील, मुंडा समाज के वोच पर सबकी नजर - Lok Sabha Election 2024

Election campaign in Khunti. खूंटी लोकसभा क्षेत्र में उम्मीदवार चुनाव प्रचार करने में जुटे हुए हैं. घर-घर जाकर अपने पक्ष में वोट की अपील कर रहे हैं. सभी पार्टियां मुंडा समाज के लोगों को लुभाने में लगी हैं, इस बार बीजेपी और महागठबंधन के बीच कड़ी टक्कर की उम्मीद है.

Election campaign in Khunti
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 28, 2024, 10:37 AM IST

खूंटी : खूंटी संसदीय क्षेत्र न सिर्फ राज्य बल्कि देश में भी सुर्खियां बटोर रहा है. खूंटी राजनीतिक दलों के साथ-साथ मतदाताओं के लिए हॉट सीट बन गयी है. केंद्र में कृषि और जनजातीय मामलों के मंत्री होने के अलावा, झारखंड राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रहे अर्जुन मुंडा दूसरी बार भाजपा के टिकट पर हैं, जबकि खूंटी से भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री कालीचरण मुंडा के बड़े भाई हैं.

नीलकंठ सिंह मुंडा, इंडिया अलायंस के उम्मीदवार हैं. तीसरी बार किस्मत आजमा रहे हैं. हालांकि इस सीट पर पिछली बार की तरह इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है, लेकिन झारखंड पार्टी एनोस गुट की अर्पणा हंस की एंट्री ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है.

अर्पणा आरसी चर्च से ताल्लुक रखती हैं. खूंटी की इस राजनीति में कहा जाता है कि आरसी चर्च में उनका अच्छा प्रभाव है. वहीं पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री एनोस एक्का के नेतृत्व का भी उन्हें लाभ मिलेगा. हालांकि, खूंटी संसदीय सीट से अब तक बीजेपी के कड़िया मुंडा 8 बार और अर्जुन मुंडा एक बार जीत हासिल कर चुके हैं. यह सीट बीजेपी की पारंपरिक सीट भी मानी जाती है. इस बार भी बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को अपना उम्मीदवार बनाया है. इस बार अर्जुन मुंडा के सामने खूंटी सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है.

नामांकन के साथ ही भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों ने क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान भी शुरू कर दिया है. अर्जुन मुंडा लगातार संसदीय क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं और खूंटी विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा भी उनके लिए वोट मांगने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं.

विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा अड़की, मुरहू, कर्रा से सिमडेगा भी जा रहे हैं जबकि कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा बुंडू तमाड़ क्षेत्र नहीं छोड़ रहे हैं. बुंडू और तमाड़ क्षेत्र में विधायक विकास सिंह मुंडा मतदाताओं को अपने समर्थन में लुभा रहे हैं. बीजेपी और कांग्रेस मुंडा बहुल इलाकों में सबसे ज्यादा कैंपिंग कर रही हैं. विधायक सुदूर इलाकों में पहुंचकर ग्रामीणों से संवाद कर रहे हैं तो प्रत्याशी भी पीछे नहीं हैं.

राष्ट्रीय राजनीतिक दल ने भी जातीय समीकरण के आधार पर उन्हें लुभाने की कोशिशें तेज कर दी हैं. कांग्रेस पार्टी को ईसाई और मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन प्राप्त है. सरना मतदाताओं को लुभाने के लिए दोनों प्रमुख पार्टियों ने सरना उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. सरना मतदाता शुरू से ही बीजेपी प्रत्याशी के समर्थन में वोट करते रहे हैं.

इस बार भी दोनों प्रमुख पार्टियों ने मुंडा जाति को टिकट देकर सरना वोटों की लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है. यहां आपको बता दें कि खूंटी संसदीय क्षेत्र मुंडा बहुल क्षेत्र माना जाता है. यहां के कुल मतदाताओं में से करीब 40 फीसदी मुंडा मतदाता हैं. जबकि ईसाइयों की संख्या 20 से 22 फीसदी है. यहां आपको बता दें कि नामांकन पत्रों की जांच के बाद अब 7 उम्मीदवार चुनाव मैदान में बचे हैं. इनमें कोलेबिरा के पूर्व विधायक बसंत कुमार लोंगा का कोलेबिरा और सिमडेगा विधानसभा में कुछ प्रभाव हो सकता है.

यह भी पढ़ें: खूंटी लोकसभा क्षेत्र के सभी 6 विधानसभा क्षेत्रों में महिला वोटरों की संख्या अधिक, लेकिन फिर भी सिर्फ एक बार ही जीती महिला प्रत्याशी - Lok Sabha Election 2024

यह भी पढ़ें: खूंटी की झापा उम्मीदवार अपर्णा हंस ने बीजेपी और कांग्रेस पर साधा निशाना, कहा- वोट बैंक की तरह आदिवासी का किया गया है इस्तेमाल! - Lok Sabha Election 2024

यह भी पढ़ें: कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण के पक्ष में सीएम चंपई सोरेन ने किया रोड शो, सभा में कहा- मुद्दाविहीन चुनाव लड़ना चाहती है भाजपा - CM Champai Soren on BJP

खूंटी : खूंटी संसदीय क्षेत्र न सिर्फ राज्य बल्कि देश में भी सुर्खियां बटोर रहा है. खूंटी राजनीतिक दलों के साथ-साथ मतदाताओं के लिए हॉट सीट बन गयी है. केंद्र में कृषि और जनजातीय मामलों के मंत्री होने के अलावा, झारखंड राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रहे अर्जुन मुंडा दूसरी बार भाजपा के टिकट पर हैं, जबकि खूंटी से भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री कालीचरण मुंडा के बड़े भाई हैं.

नीलकंठ सिंह मुंडा, इंडिया अलायंस के उम्मीदवार हैं. तीसरी बार किस्मत आजमा रहे हैं. हालांकि इस सीट पर पिछली बार की तरह इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है, लेकिन झारखंड पार्टी एनोस गुट की अर्पणा हंस की एंट्री ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है.

अर्पणा आरसी चर्च से ताल्लुक रखती हैं. खूंटी की इस राजनीति में कहा जाता है कि आरसी चर्च में उनका अच्छा प्रभाव है. वहीं पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री एनोस एक्का के नेतृत्व का भी उन्हें लाभ मिलेगा. हालांकि, खूंटी संसदीय सीट से अब तक बीजेपी के कड़िया मुंडा 8 बार और अर्जुन मुंडा एक बार जीत हासिल कर चुके हैं. यह सीट बीजेपी की पारंपरिक सीट भी मानी जाती है. इस बार भी बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को अपना उम्मीदवार बनाया है. इस बार अर्जुन मुंडा के सामने खूंटी सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है.

नामांकन के साथ ही भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों ने क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान भी शुरू कर दिया है. अर्जुन मुंडा लगातार संसदीय क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं और खूंटी विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा भी उनके लिए वोट मांगने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं.

विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा अड़की, मुरहू, कर्रा से सिमडेगा भी जा रहे हैं जबकि कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा बुंडू तमाड़ क्षेत्र नहीं छोड़ रहे हैं. बुंडू और तमाड़ क्षेत्र में विधायक विकास सिंह मुंडा मतदाताओं को अपने समर्थन में लुभा रहे हैं. बीजेपी और कांग्रेस मुंडा बहुल इलाकों में सबसे ज्यादा कैंपिंग कर रही हैं. विधायक सुदूर इलाकों में पहुंचकर ग्रामीणों से संवाद कर रहे हैं तो प्रत्याशी भी पीछे नहीं हैं.

राष्ट्रीय राजनीतिक दल ने भी जातीय समीकरण के आधार पर उन्हें लुभाने की कोशिशें तेज कर दी हैं. कांग्रेस पार्टी को ईसाई और मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन प्राप्त है. सरना मतदाताओं को लुभाने के लिए दोनों प्रमुख पार्टियों ने सरना उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. सरना मतदाता शुरू से ही बीजेपी प्रत्याशी के समर्थन में वोट करते रहे हैं.

इस बार भी दोनों प्रमुख पार्टियों ने मुंडा जाति को टिकट देकर सरना वोटों की लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है. यहां आपको बता दें कि खूंटी संसदीय क्षेत्र मुंडा बहुल क्षेत्र माना जाता है. यहां के कुल मतदाताओं में से करीब 40 फीसदी मुंडा मतदाता हैं. जबकि ईसाइयों की संख्या 20 से 22 फीसदी है. यहां आपको बता दें कि नामांकन पत्रों की जांच के बाद अब 7 उम्मीदवार चुनाव मैदान में बचे हैं. इनमें कोलेबिरा के पूर्व विधायक बसंत कुमार लोंगा का कोलेबिरा और सिमडेगा विधानसभा में कुछ प्रभाव हो सकता है.

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