ETV Bharat / state

कस्टम ड्यूटी हटने के बाद सस्ती होने जा रही कैंसर की ये महंगी दवाएं, जानें अभी कितनी है खपत - Cancer drug custom duty slashed

मोदी सरकार 3.0 ने बजट 2024 में कैंसर की तीन दवाओं पर कस्टम ड्यूटी हटाने का ऐलान किया था. ऐसे में अब कस्टम ड्यूटी हटने के बाद कैंसर की तीनों दवाइयां सस्ती होने जा रही है. देश में कैंसर के मरीजों के लिए जिन तीन दवाइयों पर कम पैसा खर्च करना पड़ेगा, उनमें दो इंजेक्शन हैं और एक टैबलेट शामिल हैं.

कैंसर की दवाएं सस्ते दामों पर मिलेंगी
कैंसर की दवाएं सस्ते दामों पर मिलेंगी (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 6, 2024, 6:26 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा 23 जुलाई 2024 को पेश किए गए बजट में कैंसर की तीन दवाओं से कस्टम ड्यूटी हटाने की घोषणा के बाद से कैंसर से जूझ रहे मरीजों को इन दवाइयों के सस्ते होने का इंतजार है. सरकारी घोषणा के जमीन पर उतरते ही कैंसर मरीजों को ये दवाइयां लगभग आधी कीमत में मिलनी शुरू हो जाएंगी. इन तीन दवाओं के बारे में जानकारी देते हुए रिटेलर डिस्ट्रीब्यूटर केमिस्ट एसोसिएशन दिल्ली के महासचिव डॉ. बसंत गोयल ने बताया कि इन तीन दवाइयों में दो इंजेक्शन और एक टैबलेट शामिल है.

बसंत गोयल ने बताया कि इस महीने के अंत तक या उससे पहले भी नए रेट के साथ बाजार में आने की पूरी संभावना है. ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट का यह नियम है कि जिस भी दवाई का रेट कम होता है तो उसके पुराने माल के रेट के ऊपर स्टिकर लगाकर उस पर नया रेट लगा दिया जाता है. बजट में सरकार की घोषणा के एक महीने में कीमतों से संबंधित नियम लागू होकर जमीन पर उतर जाते हैं. इसलिए इन तीनों दवाइयों का पुराना माल जो स्टॉक में पड़ा होगा, उस पर स्टिकर लगाकर उसको अलग कर दिया जाएगा. इसके बाद नए इंपोर्ट हुए माल को बिना कस्टम ड्यूटी के रेट पर बाजार में भेजा जाएगा.

अभी डेढ़ लाख रुपए से ज्यादा है तीनों दवाइयों की कीमत: डॉक्टर गोयल ने बताया कि डिरेक्सटेकन साल्ट का एक इंजेक्शन दो लाख 10 हजार रुपए का आता है. जबकि, डुडुर्वालुमैब साल्ट का इंजेक्शन जो इमफिंजी के नाम से आता है, उसकी कीमत एक लाख 90 हजार है. इसी तरह ओसिमर्टिनिब साल्ट की टैबलेट जो टैग्रिसो के नाम से आती है उसकी 10 गोली के पत्ते की कीमत एक लाख 51 हजार 670 रुपए है.

मरीज ज्यादा, लेकिन महंगी दवाई के कारण डिमांड कम: डॉक्टर बसंत गोयल ने बताया कि ये तीनों दवाइयां लंग कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में काम आती है. दोनों तरह के कैंसर के मरीजों की संख्या देश में तेजी से बढ़ रही है. मरीज ज्यादा हैं, लेकिन ये तीनों दवाइयां महंगी होने के चलते हर मरीज इनका खर्चा वहन नहीं कर पाते. जो लोग खर्चा उठाने की कोशिश भी करते हैं उनको अपनी संपत्ति जमीन और घर तक बेचने पड़ जाते हैं. इसलिए इन दवाइयां की खपत कम है. उन्होंने बताया कि पूरे देश में एक महीने में डिरेक्सटेकन के 300-400 इंजेक्शन की खपत होती है.

इसी तरह ओसिमर्टिनिब साल्ट की टैबलेट जो टैग्रिसो के नाम से आती है, उसकी देश भर में एक महीने में खपत 500 से 1000 डब्बों की है. इसी तरह डुर्वालुमैब साल्ट इंजेक्शन का एक महीने में खपत 300 से 500 इंजेक्शन की है. कम खपत होने की वजह से इनका कम इंपोर्ट किया जाता है. अभी तक कस्टम ड्यूटी लगने के कारण इनके रेट ज्यादा रहते थे. इसलिए भी डिमांड कम रहती थी. लेकिन, अब जब ये दवाएं आधे रेट में आनी शुरू होगी तो इनकी खपत निश्चित बढ़ेगी.

ऑर्डर पर ही मंगाते हैं टैबलेट और इंजेक्शन: डॉक्टर गोयल ने बताया कि इन दवाइयां की कीमत बहुत ज्यादा होने के कारण जब भी कोई कस्टमर डॉक्टर की पर्ची के साथ आता है तो उससे आर्डर लेकर उसको 12 से 15 घंटे में यह इंजेक्शन या दवाई उपलब्ध करा दी जाती है.

लंग कैंसर के देश में प्रतिवर्ष 70 हजार से अधिक मामले: धर्मशिला नारायणा हॉस्पिटल के वरिष्ठ कैंसर सर्जन डॉक्टर अंशुमान कुमार ने बताया कि भारत में लंग कैंसर के प्रति वर्ष 70000 से ज्यादा मामले आते हैं, जिनमें से 50% मामले बिना धूम्रपान करने वाले लोगों के होते हैं. जबकि ब्रेस्ट कैंसर के करीब डेढ़ लाख मामले आते हैं.

उन्होंने बताया कि 2025 तक देश में लंग कैंसर के मामलों की संख्या 7 गुना होने का अनुमान आईसीएमआर के द्वारा जताया गया है. इसलिए आने वाले समय में इन महंगी दवाइयों की डिमांड और बढ़ने की पूरी संभावना है. सरकार द्वारा इन पर कस्टम ड्यूटी हटाने से ये दवाएं सस्ती हो जाएगी, तो इससे लंग और ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रहे मरीजों के परिवारों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी.

  • ये भी पढ़ें: Budget 2024: मोदी सरकार ने की कैंसर की तीन दवाइयों से कस्टम ड्यूटी हटाने की घोषणा, जानें इनके बारे में

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा 23 जुलाई 2024 को पेश किए गए बजट में कैंसर की तीन दवाओं से कस्टम ड्यूटी हटाने की घोषणा के बाद से कैंसर से जूझ रहे मरीजों को इन दवाइयों के सस्ते होने का इंतजार है. सरकारी घोषणा के जमीन पर उतरते ही कैंसर मरीजों को ये दवाइयां लगभग आधी कीमत में मिलनी शुरू हो जाएंगी. इन तीन दवाओं के बारे में जानकारी देते हुए रिटेलर डिस्ट्रीब्यूटर केमिस्ट एसोसिएशन दिल्ली के महासचिव डॉ. बसंत गोयल ने बताया कि इन तीन दवाइयों में दो इंजेक्शन और एक टैबलेट शामिल है.

बसंत गोयल ने बताया कि इस महीने के अंत तक या उससे पहले भी नए रेट के साथ बाजार में आने की पूरी संभावना है. ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट का यह नियम है कि जिस भी दवाई का रेट कम होता है तो उसके पुराने माल के रेट के ऊपर स्टिकर लगाकर उस पर नया रेट लगा दिया जाता है. बजट में सरकार की घोषणा के एक महीने में कीमतों से संबंधित नियम लागू होकर जमीन पर उतर जाते हैं. इसलिए इन तीनों दवाइयों का पुराना माल जो स्टॉक में पड़ा होगा, उस पर स्टिकर लगाकर उसको अलग कर दिया जाएगा. इसके बाद नए इंपोर्ट हुए माल को बिना कस्टम ड्यूटी के रेट पर बाजार में भेजा जाएगा.

अभी डेढ़ लाख रुपए से ज्यादा है तीनों दवाइयों की कीमत: डॉक्टर गोयल ने बताया कि डिरेक्सटेकन साल्ट का एक इंजेक्शन दो लाख 10 हजार रुपए का आता है. जबकि, डुडुर्वालुमैब साल्ट का इंजेक्शन जो इमफिंजी के नाम से आता है, उसकी कीमत एक लाख 90 हजार है. इसी तरह ओसिमर्टिनिब साल्ट की टैबलेट जो टैग्रिसो के नाम से आती है उसकी 10 गोली के पत्ते की कीमत एक लाख 51 हजार 670 रुपए है.

मरीज ज्यादा, लेकिन महंगी दवाई के कारण डिमांड कम: डॉक्टर बसंत गोयल ने बताया कि ये तीनों दवाइयां लंग कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में काम आती है. दोनों तरह के कैंसर के मरीजों की संख्या देश में तेजी से बढ़ रही है. मरीज ज्यादा हैं, लेकिन ये तीनों दवाइयां महंगी होने के चलते हर मरीज इनका खर्चा वहन नहीं कर पाते. जो लोग खर्चा उठाने की कोशिश भी करते हैं उनको अपनी संपत्ति जमीन और घर तक बेचने पड़ जाते हैं. इसलिए इन दवाइयां की खपत कम है. उन्होंने बताया कि पूरे देश में एक महीने में डिरेक्सटेकन के 300-400 इंजेक्शन की खपत होती है.

इसी तरह ओसिमर्टिनिब साल्ट की टैबलेट जो टैग्रिसो के नाम से आती है, उसकी देश भर में एक महीने में खपत 500 से 1000 डब्बों की है. इसी तरह डुर्वालुमैब साल्ट इंजेक्शन का एक महीने में खपत 300 से 500 इंजेक्शन की है. कम खपत होने की वजह से इनका कम इंपोर्ट किया जाता है. अभी तक कस्टम ड्यूटी लगने के कारण इनके रेट ज्यादा रहते थे. इसलिए भी डिमांड कम रहती थी. लेकिन, अब जब ये दवाएं आधे रेट में आनी शुरू होगी तो इनकी खपत निश्चित बढ़ेगी.

ऑर्डर पर ही मंगाते हैं टैबलेट और इंजेक्शन: डॉक्टर गोयल ने बताया कि इन दवाइयां की कीमत बहुत ज्यादा होने के कारण जब भी कोई कस्टमर डॉक्टर की पर्ची के साथ आता है तो उससे आर्डर लेकर उसको 12 से 15 घंटे में यह इंजेक्शन या दवाई उपलब्ध करा दी जाती है.

लंग कैंसर के देश में प्रतिवर्ष 70 हजार से अधिक मामले: धर्मशिला नारायणा हॉस्पिटल के वरिष्ठ कैंसर सर्जन डॉक्टर अंशुमान कुमार ने बताया कि भारत में लंग कैंसर के प्रति वर्ष 70000 से ज्यादा मामले आते हैं, जिनमें से 50% मामले बिना धूम्रपान करने वाले लोगों के होते हैं. जबकि ब्रेस्ट कैंसर के करीब डेढ़ लाख मामले आते हैं.

उन्होंने बताया कि 2025 तक देश में लंग कैंसर के मामलों की संख्या 7 गुना होने का अनुमान आईसीएमआर के द्वारा जताया गया है. इसलिए आने वाले समय में इन महंगी दवाइयों की डिमांड और बढ़ने की पूरी संभावना है. सरकार द्वारा इन पर कस्टम ड्यूटी हटाने से ये दवाएं सस्ती हो जाएगी, तो इससे लंग और ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रहे मरीजों के परिवारों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी.

  • ये भी पढ़ें: Budget 2024: मोदी सरकार ने की कैंसर की तीन दवाइयों से कस्टम ड्यूटी हटाने की घोषणा, जानें इनके बारे में
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.