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नोएडा में डाटा खरीदकर अमेरिकी नागरिकों को ठगने वाले कॉल सेंटर का पर्दाफाश, सरगना सहित 76 गिरफ्तार - FRAUD CALL CENTER BUSTED IN NOIDA

-आरोपियों ने बताया कैसे बनाते थे लोगों को निशाना. -भारी संख्या में लैपटॉप, मोबाइल व अन्य सामान बरामद.

अमेरिकी नागरिकों को ठगने वाले कॉल सेंटर का पर्दाफाश
अमेरिकी नागरिकों को ठगने वाले कॉल सेंटर का पर्दाफाश (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 4 hours ago

नई दिल्ली/नोएडा: अमेजन पार्सल, तकनीकी सहायता और लोन प्रक्रिया के नाम पर फर्जी मैसेज और लिंक भेजकर अमेरिकी नागरिकों के साथ ठगी करने वाले कॉल सेंटर का पर्दाफाश कर सेक्टर-63 थाने की पुलिस ने 76 आरोपियों को शुक्रवार को गिरफ्तार किया है. इसमें नौ महिलाएं भी शामिल हैं. गिरोह के चार सरगना भी पुलिस के हत्थे चढ़े हैं. इनमें से कई आरोपी पहले भी जेल जा चुके हैं. आरोपियों के पास से भारी संख्या में लैपटॉप, मोबाइल, हेडफोन, राउटर और अमेरिकी बैंक के फर्जी चेक सहित अन्य सामान बरामद किया गया है.

डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि सीआरटी, स्वॉट और सेक्टर-63 पुलिस ने जिन आरोपियों को दबोचा है, वे थानाक्षेत्र में इंस्टा सॉल्यूशन के नाम से संचालित कॉल सेंटर में काम कर रहे थे. आरोपी अबतक 1500 से अधिक अमेरिकी नागरिकों को ठग चुके हैं. आरोपी एक प्रक्रिया के तहत विदेशी नागरिकों से 99 से 500 अमेरिकी डॉलर तक लेते थे. यह पैसा बिटक्वाइन, गिफ्ट कार्ड और अन्य माध्यमों से लिया जाता था. रकम हवाला के जरिए भारत में आती थी. गिरोह में शामिल अन्य आरोपियों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही .

शक्ति मोहन अवस्थी, डीसीपी (ETV Bharat)

कई तरीकों से ठगी: उन्होंने बताया कि आरोपियों के पास से बरामद इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का डाटा एनालिसिस साइबर टीम की मदद से किया जा रहा है. गिरोह के सरगना कुरुनाल रे, सौरभ राजपूत, सादिक ठाकुर ओर साजिद अली हैं. चारों पूर्व में गुजरात में जेल जा चुके हैं. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे कॉल सेंटर से अमेजन सपोर्ट, माइक्रोसाफ्ट, टेक सपोर्ट और पे-डे के नाम पर ठगी करते थे. कॉल सेंटर सेक्शन बंटे थ. गिरोह के सरगना स्काइप ऐप के जरिए ग्राहकों के व्यक्तिगत डाटा खरीदते थे, जिसका भुगतान यूएसडीटी में किया जाता था.

मेल के माध्यम से भेजते थे बग: बग डाटा आने के बाद आरोपी अमेरिकी नागरिकों के कंप्यूटर में एक बग भेजते थे. इसमें एक साथ करीब दस हजार लोगों को मेल या मैसेज भेजा था. इस बग से कंप्यूटर में खराबी आने के कारण स्क्रीन नीले रंग की हो जाती थी और एक नंबर स्क्रीन पर दिखाई देता था, जिस नंबर पर जैसे ही अमेरिकी नागरिक कॉल करता था, आरोपी उनकी कॉल उठाते थे. इसके बाद वे समस्या का समाधान करने के लिए 99 या अधिक अमेरिकी डॉलर की मांग करते थे. भुगतान होने के बाद पीड़ितों को एक कमांड बताई जाती थी, जिससे कंप्यूटर कुछ ही मिनट में सही हो जाता था. ये सारी प्रक्रिया विदेशी नागरिकों को धोखा देकर पैसे लेने के लिए की जाती थी. इसके अलावा अमेजन प्रोसेस के नाम पर भी स्काइप ऐप से डाटा लेकर आरोपी ठगी करते थे.

अमेरिका में था एजेंट: जानकारी के मुताबिक, कॉल सेंटर में काम करने वाले युवक और युवतियों को 12 से 35 हजार रुपये तक की सैलरी प्रतिमाह दी जाती थी. अनुभवी कर्मचारियों को ज्यादा सैलरी मिलती थी. कर्मचारी अमेरिकी एक्सेंट में बात कर सकें, इसलिए उन्हें कोर्स भी कराया जाता था. गिरोह के सरगनाओं ने ठगी के लिए अमेरिका में रहने वाले एक नागरिक को अपना एजेंट बनाया था. एजेंट गिफ्ट कार्ड, क्रिप्टो करेंसी या अमेरिकी डॉलर को भारतीय मुद्रा में बदलवाकर सरगना तक हवाला के जरिए रकम भेजता था. पुलिस ने विदेशी एजेंट को भी आरोपी बनाया है.

यह भी पढ़ें- 5000 फर्जी सिम और 25 मोबाइल के साथ साइबर क्राइम का मास्टरमाइंड गिरफ्तार, विदेश में करता था सप्ला

1000 करोड़ की जमीन पर कब्जे के लिए डॉक्यूमेंट में बदलवाए नाम, 1.5 करोड़ की ली टोकन मनी, आरोपी गिरफ्तार

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डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि सीआरटी, स्वॉट और सेक्टर-63 पुलिस ने जिन आरोपियों को दबोचा है, वे थानाक्षेत्र में इंस्टा सॉल्यूशन के नाम से संचालित कॉल सेंटर में काम कर रहे थे. आरोपी अबतक 1500 से अधिक अमेरिकी नागरिकों को ठग चुके हैं. आरोपी एक प्रक्रिया के तहत विदेशी नागरिकों से 99 से 500 अमेरिकी डॉलर तक लेते थे. यह पैसा बिटक्वाइन, गिफ्ट कार्ड और अन्य माध्यमों से लिया जाता था. रकम हवाला के जरिए भारत में आती थी. गिरोह में शामिल अन्य आरोपियों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही .

शक्ति मोहन अवस्थी, डीसीपी (ETV Bharat)

कई तरीकों से ठगी: उन्होंने बताया कि आरोपियों के पास से बरामद इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का डाटा एनालिसिस साइबर टीम की मदद से किया जा रहा है. गिरोह के सरगना कुरुनाल रे, सौरभ राजपूत, सादिक ठाकुर ओर साजिद अली हैं. चारों पूर्व में गुजरात में जेल जा चुके हैं. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे कॉल सेंटर से अमेजन सपोर्ट, माइक्रोसाफ्ट, टेक सपोर्ट और पे-डे के नाम पर ठगी करते थे. कॉल सेंटर सेक्शन बंटे थ. गिरोह के सरगना स्काइप ऐप के जरिए ग्राहकों के व्यक्तिगत डाटा खरीदते थे, जिसका भुगतान यूएसडीटी में किया जाता था.

मेल के माध्यम से भेजते थे बग: बग डाटा आने के बाद आरोपी अमेरिकी नागरिकों के कंप्यूटर में एक बग भेजते थे. इसमें एक साथ करीब दस हजार लोगों को मेल या मैसेज भेजा था. इस बग से कंप्यूटर में खराबी आने के कारण स्क्रीन नीले रंग की हो जाती थी और एक नंबर स्क्रीन पर दिखाई देता था, जिस नंबर पर जैसे ही अमेरिकी नागरिक कॉल करता था, आरोपी उनकी कॉल उठाते थे. इसके बाद वे समस्या का समाधान करने के लिए 99 या अधिक अमेरिकी डॉलर की मांग करते थे. भुगतान होने के बाद पीड़ितों को एक कमांड बताई जाती थी, जिससे कंप्यूटर कुछ ही मिनट में सही हो जाता था. ये सारी प्रक्रिया विदेशी नागरिकों को धोखा देकर पैसे लेने के लिए की जाती थी. इसके अलावा अमेजन प्रोसेस के नाम पर भी स्काइप ऐप से डाटा लेकर आरोपी ठगी करते थे.

अमेरिका में था एजेंट: जानकारी के मुताबिक, कॉल सेंटर में काम करने वाले युवक और युवतियों को 12 से 35 हजार रुपये तक की सैलरी प्रतिमाह दी जाती थी. अनुभवी कर्मचारियों को ज्यादा सैलरी मिलती थी. कर्मचारी अमेरिकी एक्सेंट में बात कर सकें, इसलिए उन्हें कोर्स भी कराया जाता था. गिरोह के सरगनाओं ने ठगी के लिए अमेरिका में रहने वाले एक नागरिक को अपना एजेंट बनाया था. एजेंट गिफ्ट कार्ड, क्रिप्टो करेंसी या अमेरिकी डॉलर को भारतीय मुद्रा में बदलवाकर सरगना तक हवाला के जरिए रकम भेजता था. पुलिस ने विदेशी एजेंट को भी आरोपी बनाया है.

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