शिमला: हिमाचल में डीए और एरियर के भुगतान को लेकर सरकार और कर्मचारियों के बीच चल रही लड़ाई अभी खत्म होती नहीं दिख रही हैं. शिमला में शुक्रवार को सचिवालय के प्रांगण में हुई आम सभा में कर्मचारी नेताओं के निशाने पर कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी थे, कर्मचारियों ने कहा था कि धर्माणी मंत्री बनने लायक नहीं थे, सीएम सुक्खू को उन्हें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के कहने पर मजबूरी में मंत्री बनाना पड़ा है. जिस पर कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी ने पलटवार किया है.
मीडिया से बातचीत में कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा, "सचिवालय कर्मचारी संघ ने गेट मीटिंग और सरकार को मांग पत्र सौंपे बिना ही बवाल खड़ा कर दिया. प्रजातंत्र में हर किसी को बात कहने का हक है, लेकिन सचिवालय कर्मचारियों ने अचानक से ही सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया. लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार है. कर्मचारी पढ़ें लिखे लोग हैं. उनके प्रतिनिधियों को तो और भी सभ्य होना चाहिए. कर्मचारियों को अपनी बात को सभ्य और शांतिपूर्वक तरीके से रखनी चाहिए थी. यही उनसे उम्मीद भी की जाती है, लेकिन गुंडे और मवाली भी इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं करते हैं, जिस तरह की भाषा का प्रयोग सचिवालय कर्मचारियों के तीन चार नेताओं ने किया है, जो अनुशासन की अवहेलना है."
राजेश धर्माणी ने कहा कि हमारी सरकार ने बिना किसी दबाव के कर्मचारियों के लिए सब कुछ किया है. सरकार के संसाधनों पर सबका हक है. प्रदेश में 16 लाख परिवार ऐसे भी हैं, जिनके घर से कोई सरकारी कर्मचारी और अधिकारी नहीं हैं. खराब वित्तीय स्थिति के बाद भी हमने हर वर्ग को कुछ न कुछ राहत दी है.
मंत्री बनने का फैसला कर्मचारी नेता थोड़े करेंगे: कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा, "सचिवालय महासंघ जो काले बिल्ले लगाने की बात कह रहा है, तो इसकी कोई मनाही नहीं है. वे काले बिल्ले लगाएं. लेकिन बिना मांग पत्र के धावा बोल देना एक षड्यंत्र है. क्लास फोर का एक पदाधिकारी मुख्य सचिव को नालायक कह रहा है, जो इनके एक अध्यक्ष कह रहे हैं कि मैं मंत्री बनने के लायक नहीं हूं, इसका फैसला आप थोड़ी ही नहीं करेंगे. इसका फैसला जनता और पार्टी लीडरशिप करती हैं. कर्मचारी नेता चुनाव लड़ने की बात करते हैं तो उनको चुनाव लड़ने को किसने इनकार किया है. जहां से लड़ना है, वे अपना चुनाव लड़े, लेकिन जब तक कोई सरकारी नौकरी में है तो, कानून इसकी इजाजत नहीं देता है.
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