जयपुर: मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पिछले दिनों राजभवन में राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े से मुलाकात की. इस मुलाकात के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. राजभवन के मुताबिक यह शिष्टाचार मुलाकात है, लेकिन सूत्रों की माने तो राइजिंग राजस्थान के बाद जैसे ही सरकार की वर्षगांठ का समारोह होगा, उसके बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है. वरिष्ठ पत्रकार श्यामसुंदर शर्मा का इस फेरबदल में कुछ पुराने मंत्रियों को ड्राप किया जा सकता है, तो नए विधायकों खासतौर उपचुनाव में जीत कर आने वाले विधायकों को मौका दिया जा सकता है.
मुख्यमंत्री समेत कुल 24 मंत्री: दरअसल कोटे के हिसाब से सरकार 15 फीसदी विधानसभा सदस्यों को मंत्रीमंडल में शामिल कर सकती है. मौजूदा स्थिति में विधानसभा सदस्यों की संख्या 200 है. इस लिहाज से सरकार कुल मुख्यमंत्री सहित 30 मंत्री बन सकते हैं. वर्तमान में मुख्यमंत्री समेत कुल 24 मंत्री ही हैं. अब चर्चा है कि सरकार का एक साल पूरा हो गया है और उपचुनाव भी सम्पन्न हो गए हैं. ऐसे में सरकार अपने मंत्रियों के कोटे को पूरा करेगी, ताकि सरकार के कामकाज को गति दी जा सके.
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वरिष्ठ पत्रकार श्यामसुंदर शर्मा कहते हैं कि 17 दिसंबर को सरकार की वर्षगांठ के उपलक्ष में आयोजित होने वाले समारोह के बाद मंत्रिमंडल फेरबदल सम्भव है, जिसमें कई मंत्रियों के विभाग भी बदले जा सकते हैं. कुछ राज्य और स्वतंत्र प्रभार मंत्री विभाग में भी फेरबदल हो सकता है. उपचुनाव में जिस तरह से बीजेपी को जीत मिली है उसे लेकर भी यहां संगठन में काम तेज हो गया है. खासतौर से उपचुनाव में जीत कर आने वाले विधायकों में से दो से तीन विधायकों को मंत्री पद से नवाजा जा सकता है.
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इनको मिल सकता है मौका: राजनीति के जानकार कहते हैं कि वर्षों बाद खींवसर विधानसभा सीट पर बीजेपी को जीत मिली है. इसलिए वहां से जीत कर आने वाले रेवंत राम डांगा को मंत्री पद दिया जा सकता है. वही, झुंझुनू में बीजेपी को दशकों बाद जीत दिलाने वाले राजेन्द्र भाम्भू को मंत्री बनाया जा सकता है. इसके अलावा शांता मीणा के नाम को लेकर भी चर्चाएं है. वहीं कुछ मौजूदा मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है. बताया जा रहा है कि जिन विधानसभा में उपचुनाव के दौरान खराब परफॉर्मेंस रही, उन मंत्रियों पर संकट के बादल बताए जा सकते हैं. चर्चा यह भी है कि सीएम बड़ी संख्या में मंत्रियों के विभागों में फेरबदल कर सकते हैं.
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उपचुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत: प्रदेश में उपचुनाव के इतिहास को देखें, तो 1952 से लेकर अब तक कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा, फिर सत्ता में हो या विपक्ष में. अब तक कुल 101 उपचुनावों में 57 सीटें जीतकर कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है, साल 2021 में 5 सीटों पर अलग-अलग उपचुनाव हुए थे. इस दौरान प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, जिसमें चार सीटें कांग्रेस के खाते में गई और एक सीट भाजपा ने जीती थी. लेकिन इस बार हुए उपचुनाव 2024 में भाजपा ने इतिहास रच दिया. लोकसभा चुनाव परिणाम से सबक लेते हुए सत्ता और संगठन के तालमेल में पार्टी को 7 में से 5 सीटों पर जीत मिली. भाजपा ने उपचुनाव में सबसे अधिक पांच सीटें- खींवसर, रामगढ़, देवली-उनियारा, सलूंबर और झुंझुनूं में जीत दर्ज की है. जबकि कांग्रेस ने केवल एक सीट दौसा पर जीत दर्ज की है. वहीं चौरासी विधानसभा उपचुनाव में भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) को जीत मिली है.