धनबादः खुले बाजार में चावल की उपलब्धता बढ़ाने और इसकी कीमतों को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ई-नीलामी के माध्यम से बाजार में चावल उपलब्ध कराने जा रही है. भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के द्वारा ई-नीलामी के तहत 30 रुपये प्रति किलो चावल उपलब्ध करा रही है. डीलर, मिलर, ट्रेडर आदि एक मीट्रिक टन और अधिकतम बोली 2000 मीट्रिक टन में भाग ले सकते हैं.
खाद्यान्न व्यवसायियों ने निर्णय पर उठाए सवाल
वहीं धनबाद कृषि बाजार के खाद्यान्न व्यवसायी और चैंबर ऑफ कॉमर्स ने इस निर्णय पर सवाल खड़ा किया है. व्यवसायियों का मानना है कि भारतीय खाद्य निगम के पास चावल का बफर स्टॉक है. जिसे खपाने के लिए यह व्यवस्था उन्होंने लाई है, लेकिन उनकी चावल की मांग बाजार में काफी कम है. महज तीन फीसदी लोग ही उनके चावल को पसंद करते हैं.
व्यवसायी ले सकते हैं ई-नीलामी में भागः क्षेत्रीय प्रबंधक
भारतीय खाद्य निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज कुमार ने बताया कि ई-नीलामी के माध्यम से चावल खरीददार जैसे डीलर, मिलर, ट्रेडर आदि एक मीट्रिक टन और अधिकतम बोली 2000 मीट्रिक टन में भाग ले सकते हैं. चावल की कीमत 30 से 31 रुपये पड़ेगी. ट्रांसपोर्टिंग चार्ज जोड़ने के बाद मूल्य में 50 पैसे से एक रुपये की बढ़ोतरी हो सकती है.
हर बुधवार को होगी ई-नीलामी
उन्होंने बताया पिछले सप्ताह से ही ई-नीलामी शुरू कर दी गई है. वर्तमान में चावल का स्टॉक पर्याप्त है. ई-नीलामी प्रत्येक बुधवार को की जाएगी. झारखंड क्षेत्र के विभिन्न डिपो में पड़े ओएमएसएस-डी के तहत चावल की बिक्री के लिए अगली बोली 14 अगस्त को लगेगी. उन्होंने कहा कि चावल की गुणवत्ता काफी अच्छी है.
ट्रेडर्स के माध्यम से चावल खपाने का प्रयासः खाद्यान्न व्यवसायी
वहीं बरवाअड्डा स्थित कृषि बाजार समिति के खाद्यान्न व्यवसायी सह चैंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव गौरव गर्ग ने बताया कि भारत ब्रांड चावल एफसीआई पूर्व में 27 रुपये किलो बिक्री कर रहा था. इसकी गुणवत्ता को लोगों ने पसंद नहीं किया. बफर स्टॉक होने की वजह से ट्रेडर्स और मिलर्स के माध्यम से बाजार में यह चावल लाना चाहते हैं.
सस्ता चावल मुहैया कराने के नाम किया जा रहा गुमराह
उन्होंने कहा कि चावल में करीब 50 से अधिक किस्में हैं. चावल सस्ता करने के नाम पर सरकार आम जनता को गुमराह कर रही है. महंगाई रोकने के लिए सस्ता चावल उपलब्ध कराने की बात कह रही है. एफसीआइ 30 रुपए की दर से चावल उपलब्ध करा रही है. यह मंसूरी चावल है. होलसेल में 31.50 रुपये की दर से अभी बेच रहे हैं.
चावल की बिक्री करने पर नुकसान की जताई आशंका
यदि यह चावल बाजार में आया तो होलेसलर और रिटेलर दोनों को इससे नुकसान होने वाला है. एक बार पहले भी इस चावल को बेचने पर नुकसान उठाना पड़ा था. एक बार लेने के बाद फिर से दोबारा कोई चावल लेना नहीं चाहता है. यदि फिर से व्यवसायी इसी चावल को खरीदकर बेचने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ेगा, क्योंकि इस चावल की बिक्री काफी कम है.
महज तीन फीसदी ही इसकी बिक्री है. सरकार 80 करोड़ जनता को फ्री में चावल बांट रही है. फिर सस्ता चावल देने का ढोंग करना सरकार के लिए ठीक नहीं हैं.
व्यवसायियों के लिए लेखा-जोखा रखना मुमकिन नहीं
इसके साथ ही इस चावल की बिक्री करने के लिए अलग से लेखा-जोखा रखना पड़ता है. चावल लेने वाले का आधार कार्ड का डेटा रखना है. एक रिटेलर और होलसेलर के लिए यह मुमकिन नहीं है कि हर दिन डेटा अपलोड करें.
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