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बुरहानपुर के कुंडी भंडारा से पानी सप्लाई ठप, जल्द मरम्मत के साथ संरक्षण की मांग - Kundia Dilapidated Kundi Bhandara - KUNDIA DILAPIDATED KUNDI BHANDARA

बुरहानपुर की विश्व प्रसिद्ध भूमिगत जल वितरण प्रणाली कुंडी भंडारा को खूनी भंडारा के नाम से भी जाना जाता है. अब इस कुंडी भंडारा की कई कुंडियां जर्जर हो रही हैं. इससे कई जगह पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही है. लोगों ने जल्द मरम्मत के साथ संरक्षण की मांग की है.

BURHANPUR KHUNI BHANDARA
बुरहानपुर के कुंडी भंडारा की कुंडियां जर्जर
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 5, 2024, 10:05 PM IST

बुरहानपुर। 400 साल पुराने अंडर ग्राउंड वॉटर डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम से आज भी बुरहानपुर शहर में पानी की सप्लाई की जाती है. इसे कुंडी भंडारा या खूनी भंडारा के नाम से जाना जाता है. इस सिस्टम से आज भी मिनरल वॉटर जितना साफ पानी मिलता है. सन 1615 ईस्वी में अब्दुर्रहीम खानखाना ने जमीन से 80 फीट नीचे भूमिगत जल प्रणाली कुंडी भंडारा का निर्माण कराया था. इसमें कुल 108 कुंडिया बनाई गई थीं. इन कुंडियों से पूरे क्षेत्र में बिना किसी यंत्र के पानी का संचार होता है. इससे लालबाग क्षेत्र के 40 हजार से ज्यादा घरों की प्यास बुझ रही है. अब प्रशासन की लापरवाही से कुंडी भंडारा की अधिकतर कुंडियां जर्जर हो रही हैं.

जर्जर कुंडियों की नहीं हो रही मरम्मत

बता दें कि कुंडी भंडारे की 32 नंबर की कुंडी बारिश में धंस गई थी. इस कारण नहर में मलबा जम गया है, इससे पानी की निकासी नहीं हो रही है. फिलहाल पूरा पानी मुख्य स्रोत के पास ही जमा हो रहा है. पानी का प्रवाह नहीं होने के कारण लालबाग मंडी में स्थित कारंजे तक पानी नहीं पहुंच रहा है. पहले कुंडी भंडारे का पानी कारंजे से टंकी में चढ़ाया जाता था. इससे लालबाग में जल प्रदाय होता था. हालांकि क्षेत्र में लगभग 60 प्रतिशत लोगों को ताप्ती जलावर्धन योजना के तहत पानी सप्लाई किया जा रहा है. इस कारण परेशानी नहीं हो रही है.

कुंडी भंडारा को संरक्षित करने की मांग

स्थानीय लोगों के साथ कांग्रेस नेता हेमंत पाटिल ने कुंडी भंडारा को संरक्षित करने की मांग की है. इनका आरोप है कि प्रशासन की लापरवाही से अब कुंडी भंडारा की अधिकतर कुंडियां जर्जर हो रही हैं. यह जमीन के अंदर से भी कमजोर हो रही हैं. जानकारों का मानना है कि बारिश के दौरान पानी जमीन में रिसता है. इस कारण जमीन के अंदर तक बनी कुंडियों पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है. इससे कुंडियों की परत कमजोर होने लगी है. इस पर स्थानीय लोगों ने चिंता जताई है.

ये भी पढ़ें:

400 साल से अंडरग्राउंड बह रहा खूनी भंडारा का पानी, 40 हजार घरों की बुझा रहा प्यास
400 साल पहले मुगलों ने की ऐसी व्यवस्था देखकर वैज्ञानिक रह जाते हैं हैरान, अनोखा है बुरहानपुर का खूनी भंडारा

यूनेस्को की अस्थाई सूची में शामिल

हाल ही में यूनेस्को की अस्थाई सूची में कुंडी भंडारा को शामिल किया गया है. उसके बाद कुंडियों को बचाने के लिए स्थानीय लोगों ने संरक्षित करने की मांग की है. लोगों का कहना है कि सभी कुंडियों की मरम्मत की जानी चाहिए. नगर निगम ने कुंडियों को जाली लगाकर सुरक्षित किया था लेकिन अधिकांश जालियों को शरारती तत्वों ने तोड़ दिया है. विश्वविख्यात इस भंडारे की कुंडियों की हालत बदहाल है. यह झाड़ियों से घिर गई हैं इतना ही नहीं कई सालों से कुंडियों का रंग, रोगन तक नहीं किया गया है.

बुरहानपुर। 400 साल पुराने अंडर ग्राउंड वॉटर डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम से आज भी बुरहानपुर शहर में पानी की सप्लाई की जाती है. इसे कुंडी भंडारा या खूनी भंडारा के नाम से जाना जाता है. इस सिस्टम से आज भी मिनरल वॉटर जितना साफ पानी मिलता है. सन 1615 ईस्वी में अब्दुर्रहीम खानखाना ने जमीन से 80 फीट नीचे भूमिगत जल प्रणाली कुंडी भंडारा का निर्माण कराया था. इसमें कुल 108 कुंडिया बनाई गई थीं. इन कुंडियों से पूरे क्षेत्र में बिना किसी यंत्र के पानी का संचार होता है. इससे लालबाग क्षेत्र के 40 हजार से ज्यादा घरों की प्यास बुझ रही है. अब प्रशासन की लापरवाही से कुंडी भंडारा की अधिकतर कुंडियां जर्जर हो रही हैं.

जर्जर कुंडियों की नहीं हो रही मरम्मत

बता दें कि कुंडी भंडारे की 32 नंबर की कुंडी बारिश में धंस गई थी. इस कारण नहर में मलबा जम गया है, इससे पानी की निकासी नहीं हो रही है. फिलहाल पूरा पानी मुख्य स्रोत के पास ही जमा हो रहा है. पानी का प्रवाह नहीं होने के कारण लालबाग मंडी में स्थित कारंजे तक पानी नहीं पहुंच रहा है. पहले कुंडी भंडारे का पानी कारंजे से टंकी में चढ़ाया जाता था. इससे लालबाग में जल प्रदाय होता था. हालांकि क्षेत्र में लगभग 60 प्रतिशत लोगों को ताप्ती जलावर्धन योजना के तहत पानी सप्लाई किया जा रहा है. इस कारण परेशानी नहीं हो रही है.

कुंडी भंडारा को संरक्षित करने की मांग

स्थानीय लोगों के साथ कांग्रेस नेता हेमंत पाटिल ने कुंडी भंडारा को संरक्षित करने की मांग की है. इनका आरोप है कि प्रशासन की लापरवाही से अब कुंडी भंडारा की अधिकतर कुंडियां जर्जर हो रही हैं. यह जमीन के अंदर से भी कमजोर हो रही हैं. जानकारों का मानना है कि बारिश के दौरान पानी जमीन में रिसता है. इस कारण जमीन के अंदर तक बनी कुंडियों पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है. इससे कुंडियों की परत कमजोर होने लगी है. इस पर स्थानीय लोगों ने चिंता जताई है.

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यूनेस्को की अस्थाई सूची में शामिल

हाल ही में यूनेस्को की अस्थाई सूची में कुंडी भंडारा को शामिल किया गया है. उसके बाद कुंडियों को बचाने के लिए स्थानीय लोगों ने संरक्षित करने की मांग की है. लोगों का कहना है कि सभी कुंडियों की मरम्मत की जानी चाहिए. नगर निगम ने कुंडियों को जाली लगाकर सुरक्षित किया था लेकिन अधिकांश जालियों को शरारती तत्वों ने तोड़ दिया है. विश्वविख्यात इस भंडारे की कुंडियों की हालत बदहाल है. यह झाड़ियों से घिर गई हैं इतना ही नहीं कई सालों से कुंडियों का रंग, रोगन तक नहीं किया गया है.

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