बुरहानपुर: आज के इस युग मे बेटियां बेटों से कम नहीं हैं. घर की चार दीवारी से निकलकर बेटियां हर काम में अपने हुनर का लोहा मनवा रही हैं. इसकी एक ताजी बानगी बुरहानपुर शहर के लोहार मंडी क्षेत्र में देखने को मिली. दरअसल यहां दीक्षित परिवार की बहू डॉ. अनुपमा दीक्षित ने पिता की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए बेटे का फर्ज निभाया है. उन्होंने पिता की अर्थी को कंधा दिया. अपने प्रोफेसर पिता अशोक शर्मा का पूरे रीति रिवाजों से अंतिम संस्कार किया.
नजारा देख लोग हुए भावुक
आपको बता दें कि, प्रोफेसर अशोक शर्मा जबलपुर के निवासी हैं. उन्हें तीन बेटियां हैं और बेटा नहीं होने के कारण वे दो महीने से दामाद डॉ. आनंद दीक्षित और बेटी डॉ. अनुपमा दीक्षित के घर रह रहे थे. गुरुवार को उनका निधन हो गया. बड़ी बेटी डॉ. अनुपमा दीक्षित ने पिता की अर्थी उठाने से लेकर मुखाग्नि सहित अंतिम संस्कार करने का फैसला लिया. बेटी ने बेटों की तरह कंधा देकर फर्ज निभाया, इस नजारे को जिसने भी देखा भावुक हो गया. लोगों ने बेटी के जज्बे को खूब सराहा.
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पिता की ख्वाहिश की पूरी
अनुपमा के पिता अशोक शर्मा ने उन्हें पढ़ा लिखाकर डॉक्टर बनाया और अच्छे परिवार में ब्याह कराया. उनके पति भी पेशे से डॉक्टर है. उनके परिवार की पृष्ठभूमि राजनीतिक और शिक्षा के क्षेत्र में समर्पित है. परिवार के स्व. पंडित गंगा चरण दीक्षित खंडवा के सांसद रह चुके हैं. शहर में दीक्षित परिवार की अच्छी पैठ है. डॉ. अनुपमा दीक्षित ने बताया, "उनके पिता अशोक शर्मा ने उन्हें बड़ी बेटी होने के नाते खूब पढ़ाया लिखाया, इससे उन्होंने मुकाम हासिल किया. डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा कर रही हूं, इसलिए उन्होंने अंतिम समय में बेटे का फर्ज निभाकर पिता की ख्वाहिश पूरी की है."