कुल्लू: सनातन धर्म में त्रयोदशी का विशेष महत्व है और त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है. इस साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी की तिथि 13 नवंबर को, यानी आज है. आज के दिन प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव के साथ-साथ भक्तों को बुध ग्रह की भी कृपा मिलती है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक बुध प्रदोष व्रत करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है और बुद्ध के अशुभ प्रभाव भी दूर होते हैं. ऐसे में आज 13 नवंबर को बुध प्रदोष का व्रत रखा जाएगा.
पूजा का शुभ मुहूर्त
आचार्य हरीश शर्मा ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी की शुरुआत आज 13 नवंबर दोपहर 1 बजकर 1 मिनट पर होगी. वहीं, इस तिथि का समापन 14 नवंबर सुबह 9 बजकर 43 मिनट पर होगा. ऐसे में प्रदोष व्रत आज बुधवार को रखा जाएगा. आज प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 49 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 25 मिनट तक रहेगा.
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
- प्रदोष व्रत के दिन भक्त सुबह उठकर पवित्र स्नान करें.
- भगवान शिव और माता पार्वती के समक्ष व्रत का संकल्प लें.
- पूजा घर में शिव परिवार की प्रतिमा विराजमान करें.
- गंगाजल से प्रतिमा को स्नान करवाएं.
- प्रतिमाओं के समक्ष देसी घी का दीपक जलाएं.
- भगवान शिव को सफेद चंदन का त्रिपुंड लगाएं.
- भगवान को खीर, हलवा, फल, मिठाइयों, ठंडाई, लस्सी आदि का भोग लगाएं.
- अंत में भगवान के समक्ष प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें.
- भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र और शिव चालीसा का पाठ भी करें.
- प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय ज्यादा शुभ मानी जाती है.
- प्रदोष काल में ही पूजा करें.
- भक्त अगले दिन अपने व्रत का पारण करें.
- व्रत के समय तामसिक चीजों से परहेज करें.
आचार्य हरीश ने बताया, "बुध प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की कृपा मिलती और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसके अलावा इस व्रत से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है. प्रदोष व्रत करने से सुख-सौभाग्य, धन-दौलत, समृद्धि, आरोग्य, संतान आदि की प्राप्ति होती है. प्रदोष व्रत से शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति होती है. बुध प्रदोष व्रत करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं."