फतेहपुर: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने गुरुवार को फतेहपुर और कौशांबी लोकसभा सीट की संयुक्त जनसभा को संबोधित किया. यह चुनावी जनसभा फतेहपुर संसदीय क्षेत्र के खागा में नवीन मंडी नेशनल हाईवे के नजदीक बहादुरपुर गांव के मैदान में आयोजित की गई.
खागा तहसील में बसपा सुप्रीमो मायावती ने नगर स्थित नवीन मंडी स्थल के समीप बने मैदान से 18वीं लोकसभा के लिए हो रहे आमचुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवार मनीष सचान के समर्थन में मतदान करने की अपील की.
मायावती ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि धर्म की आड़ में बीते कुछ दिनों से मुसलमानों का उत्पीड़न किया जा रहा है. बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा की हिंदुत्व की आड़ में ज्यादती चरम पर पहुंच गई है. सरकार बनते ही इसे रोका जाएगा और सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की नीति पर काम किया जाएगा.
उन्होंने सरकार के मुफ्त राशन योजना पर हमला करते हुए कहा कि गरीबों को सरकार के झांसे में नहीं आना, फ्री की खाद्यान्न सामग्री से स्थायी तौर पर भला नहीं होने वाला. उन्होंने कहा कि चुनावी बांड के जरिए पूंजीपतियों से करोड़ों नहीं अरबों-खरबों बनाए गए.
मायावती ने राजनीतिक विरोधियों, खासकर समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला. दलितों और मुसलमानों एवं वंचित वर्गों से उनकी पार्टी को लोकसभा चुनाव में एक भी वोट नहीं देने का आह्वान किया.
बसपा अध्यक्ष ने याद दिलाया कि कैसे अखिलेश यादव ने अपनी सरकार के दौरान उन जिलों के नाम बदल दिए थे, जिनका नाम दलित, शोषित और पिछड़ा वर्ग में जन्मे महापुरुषों के नाम पर रखा गया था. उन्होंने इस बात पर भी अफसोस जताया.
बसपा सुप्रीमो ने कहा, सपा परिवार से परे नहीं सोच सकती. जब बसपा उत्तर प्रदेश में सत्ता में थी, तब मैंने बहुत काम किया और समाज के दबे-कुचले तबके में जन्मे महापुरुषों के नाम पर जिलों, पार्कों और संस्थानों के नाम रखे थे लेकिन सपा प्रमुख यादव ने सत्ता में आते ही उनके नाम बदल दिए.
उन्होंने आगे कहा कि जब बसपा सत्ता में थी, तो वाराणसी से अलग कर एक नया जिला भदोही बनाया गया और उसका नाम संत रविदास के नाम पर रखा गया. वह भी अखिलेश यादव ने बदल दिया, दलित शोषित पिछड़े वर्ग के संतों, गुरुओं और महापुरुषों के प्रति इतनी नफरत.
उन्हें किसने अधिकार दिया, उन्हें क्या अधिकार है कि वह दलितों और वंचितों से समाजवादी पार्टी को वोट देने के लिए कहें. आपको ऐसी पार्टी को वोट नहीं देना चाहिए और उन्हें माफ भी नहीं करना चाहिए. कांग्रेस की तरह बीजेपी ने भी जांच एजेंसियों का राजनीतिक करण कर दिया है.
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