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BSP अध्यक्ष मायावती ने डॉ. आंबेडकर के बयान पर अमित शाह से की माफी की मांग - LUCKNOW NEWS

बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने डॉ. आंबेडकर के बयान पर अमित शाह से की माफी की मांग की है.

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बीएसपी सुप्रीमो मायावती (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 5 hours ago

लखनऊ: लोकसभा में देश के गृहमंत्री अमित शाह की तरफ से संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर पर दिए गए बयान को लेकर अभी भी सियासत गर्म है. कांग्रेस पार्टी समेत समूचा इंडी गठबंधन अमित शाह से माफी मांगने पर अड़ा है, तो बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्षमायावती ने भी भाजपा नेता अमित शाह से माफी की मांग की है. उन्होंने डॉ. आंबेडकर पर की जा रही राजनीति को लेकर कांग्रेस समेत इंडी गठबंधन के सभी दलों पर निशाना साधा है. इशारों-इशारों में उन्होंने भी कहा कि नीले कपड़े पहनने से यह नहीं हो जाता कि डॉ. आंबेडकर को सम्मान दे रहे हैं. यह दिखावा करने की जरूरत नहीं है. डॉ भीमराव आंबेडकर पर किसी भी पार्टी को राजनीति करने का हक नहीं है.

इसे भी पढ़ें - परिवहन मंत्री दयाशंकर बोले- संविधान की धज्जियां उड़ाने वाले डॉ. आंबेडकर की फोटो हाथ में लेकर घूम रहे हैं - TRANSPORT MINISTER DAYASHANKAR

बसपा अध्यक्ष मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया है कि बीजेपी नेता अमित शाह की तरफ से संसद में दलित व अन्य उपेक्षित वर्गों के मसीहा डा. भीमराव आंबेडकर के बारे में जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया है उससे इन वर्गों की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची है. ऐसे में उन शब्दों को वापस लेकर इनको पश्चाताप भी जरूर करना चाहिए.

वैसे कांग्रेस, भाजपा व इनके सहयोगी दलों का चाल, चरित्र व चेहरा डा. अम्बेडकर व उनके करोड़ों दलित-पिछड़े, शोषित-पीड़ित अनुयाइयों के हित व कल्याण के प्रति हमेशा संकीर्ण व जातिवादी रहने के कारण इनके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात लगातार बदतर हैं इससे इंकार असंभव है.

बसपा मुखिया ने कहा कि डॉ. आंबेडकर के प्रति दिल से सम्मान नहीं करना, उनके अनुयाइयों के विरुद्ध अन्याय-अत्याचार और इनको संवैधानिक व कानूनी हक देने के बजाय छीनने में लगी हैं यह पार्टियां. यह सभी एक ही थैली के चटटे-बट्टे हैं. इसको लेकर सत्ता व विपक्ष के बीच जारी तकरार केवल वोट के स्वार्थ की राजनीति है.

साथ ही संविधान का जगह-जगह लहराना और नीला रंग पहनना यह दिखावे की सस्ती राजनीति है. यह सब करने के पहले सत्ता व विपक्ष दोनों को अपने दिल में पड़े संकीर्णता, जातिवाद और द्वेष आदि के कालेपन को साफ करके पाक-साफ करना होगा, तभी इन वर्गों का व देश का भी सही हित संभव है.

यह भी पढ़ें - मायावती ने दी भाजपा-कांग्रेस को नसीहत; डॉ. आंबेडकर के नाम पर न सेकें राजनीतिक रोटी, हमारे भगवान का करें सम्मान - BSP SUPREME MAYAWATI

लखनऊ: लोकसभा में देश के गृहमंत्री अमित शाह की तरफ से संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर पर दिए गए बयान को लेकर अभी भी सियासत गर्म है. कांग्रेस पार्टी समेत समूचा इंडी गठबंधन अमित शाह से माफी मांगने पर अड़ा है, तो बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्षमायावती ने भी भाजपा नेता अमित शाह से माफी की मांग की है. उन्होंने डॉ. आंबेडकर पर की जा रही राजनीति को लेकर कांग्रेस समेत इंडी गठबंधन के सभी दलों पर निशाना साधा है. इशारों-इशारों में उन्होंने भी कहा कि नीले कपड़े पहनने से यह नहीं हो जाता कि डॉ. आंबेडकर को सम्मान दे रहे हैं. यह दिखावा करने की जरूरत नहीं है. डॉ भीमराव आंबेडकर पर किसी भी पार्टी को राजनीति करने का हक नहीं है.

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बसपा अध्यक्ष मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया है कि बीजेपी नेता अमित शाह की तरफ से संसद में दलित व अन्य उपेक्षित वर्गों के मसीहा डा. भीमराव आंबेडकर के बारे में जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया है उससे इन वर्गों की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची है. ऐसे में उन शब्दों को वापस लेकर इनको पश्चाताप भी जरूर करना चाहिए.

वैसे कांग्रेस, भाजपा व इनके सहयोगी दलों का चाल, चरित्र व चेहरा डा. अम्बेडकर व उनके करोड़ों दलित-पिछड़े, शोषित-पीड़ित अनुयाइयों के हित व कल्याण के प्रति हमेशा संकीर्ण व जातिवादी रहने के कारण इनके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात लगातार बदतर हैं इससे इंकार असंभव है.

बसपा मुखिया ने कहा कि डॉ. आंबेडकर के प्रति दिल से सम्मान नहीं करना, उनके अनुयाइयों के विरुद्ध अन्याय-अत्याचार और इनको संवैधानिक व कानूनी हक देने के बजाय छीनने में लगी हैं यह पार्टियां. यह सभी एक ही थैली के चटटे-बट्टे हैं. इसको लेकर सत्ता व विपक्ष के बीच जारी तकरार केवल वोट के स्वार्थ की राजनीति है.

साथ ही संविधान का जगह-जगह लहराना और नीला रंग पहनना यह दिखावे की सस्ती राजनीति है. यह सब करने के पहले सत्ता व विपक्ष दोनों को अपने दिल में पड़े संकीर्णता, जातिवाद और द्वेष आदि के कालेपन को साफ करके पाक-साफ करना होगा, तभी इन वर्गों का व देश का भी सही हित संभव है.

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