नई दिल्ली: भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत दर्ज कराने वाली महिला पहलवानों ने ओवरसाइट कमेटी और उसकी रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं. कमेटी ने बृज भूषण शरण सिंह पर लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच की थी. दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में बृज भूषण शरण सिंह पर इस केस में आरोप तय करने को लेकर सुनवाई हुई. मंगलवार को महिला पहलवानों की तरफ से आरोप तय करने के मामले पर दलीलें पूरी कर ली गई. एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने मामले की अगली सुनवाई 2 फरवरी को करने का आदेश दिया.
सुनवाई के दौरान आरोपी बृजभूषण शरण सिंह कोर्ट में पेश नहीं हुए. उनकी ओर से कोर्ट में पेशी से छूट की मांग की गई थी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया. इस मामले के दूसरे आरोपी विनोद तोमर कोर्ट में मौजूद थे. महिला पहलावानों की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा कि ओवरसाइट कमेटी का गठन प्रोटेक्शन ऑफ वुमन फ्राम सेक्सुअल हैरेसमेंट एक्ट (पॉश) के प्रावधानों के अनुरूप नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि ओवरसाइट कमेटी आंतरिक शिकायत निवारण कमेटी नहीं है. ऐसे में ओवरसाइट कमेटी की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का पर्याप्त आधार है. जॉन ने कहा कि महिला पहलवान का सांस कोई महिला ही कर सकती है कोई पुरुष नहीं.
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महिला पहलवानों की तरफ से वरिष्ठ वकील ने अपनी दलीलें खत्म करते हुए कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 354 और 354A के तहत अपराध किया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि इसमें सह-आरोपी विनोद तोमर की भूमिका उकसाने वाले की रही है. उन्होंने कहा कि तथ्य यह स्पष्ट तौर से कहते हैं कि प्रथम दृष्टया बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ केस बनता है.