अलीगढ़ : जिले को देश-विदेश में तालीम और ताले के नाम से जाना जाता है. पिछले कुछ वर्षों से देखा जा रहा है कि अलीगढ़ में पीतल से हार्डवेयर और मूर्तियां भी तैयार की जा रही हैं, जिनकी मांग देश-विदेश से साल दर साल बढ़ती चली जा रही है. यही वजह है कि अलीगढ़ में अब पीतल के कारोबारी की तादाद भी बढ़ रही है. पीतल कारोबारी एक निजी कंपनी के मालिक रवि के मुताबिक, जिले में लगभग 400 छोटे-बड़े कारखाने और फैक्ट्रियां हैं, जहां पर पीतल से हार्डवेयर का सामान और मूर्तियां तैयार की जाती हैं.
कंपनी के मालिक के मुताबिक, जिला अलीगढ़ में तकरीबन 400 छोटे-बड़े कारखाने और फैक्ट्रियां हैं, जिनमें पीतल से मूर्तियां और हार्डवेयर के सामान तैयार की जाते हैं. एक निजी कंपनी के लगभग 20 कारीगर अपने हाथों से महीने में तकरीबन 6 से 7 टन पीतल से लगभग 700 से 800 मूर्तियां बनाते हैं, जिनकी कीमत 1000 रुपये से शुरू होती है. 1 किलो पीतल से लगभग 5 इंच की मूर्ति तैयार होती हैं. अलीगढ़ में तैयार मूर्तियां अयोध्या और कुंभ के मेले में भी भेजी जाएंगी.
जिला अलीगढ़ के थाना सासनी गेट इलाके में एक निजी कंपनी के मालिक रवि ने बताया कि हम पिछले 35 साल से पीतल की मूर्तियां बना रहे हैं. पीतल का काम पहले मेरे पिता ने शुरू किया था और हम अब दूसरी पीढ़ी पीतल से मूर्तियां बना रहे हैं. हम ऑर्डर पर भी मूर्तियां बनाते हैं. गणेश, लक्ष्मी, तिरुपति, राधा कृष्ण के अलावा अयोध्या में रखी गई राम की मूर्ति जैसी भी मूर्तियां बनाते हैं.
उन्होंने बताया कि हमारी बनाई गईं मूर्तियां कुंभ के मेले और अयोध्या में भी जाती हैं, वहां से भी मांग की जाती है. गणेश और गंगा देवी की मूर्तियां महाकुंभ में जाएंगी, जो मूर्ति अयोध्या में रखी गई हैं इस मूर्ति को हम छोटे आकार में बनाकर पूरी दुनिया में भेजते हैं. उस मूर्ति को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय लेवल पर काफी पसंद किया जा रहा है.
विदेश में भी मूर्तियों की सप्लाई : उन्होंने बताया कि मलेशिया, अमेरिका, रसिया, दुबई, सिंगापुर, नेपाल, भूटान और इजिप्ट भेजी जाती हैं.
उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों के मुकाबले अलीगढ़ की मूर्तियों की मांग देश-विदेश में बढ़ रही है. उन्होंने बताया कि अलीगढ़ की मूर्तियों में खास बात यह है कि सभी मूर्तियों में जितना भी काम होता है, वह कारीगर द्वारा हाथों से किया जाता है. मशीन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
कारीगर सुभाष चंद्र ने बताया कि पिछले 20-25 साल से मैं मूर्तियां बना रहा हूं. हर तरह की मूर्तियां हम अपने हाथों से तैयार करते हैं. सबसे ज्यादा गणेश की मूर्तियों की मांग होती है, इसलिए सबसे ज्यादा हम भगवान गणेश की ही मूर्तियां बनाते हैं. भगवान की मूर्ति बनाने में गर्व होता है.
कैसे बनती है पीतल की मूर्ति : उन्होंने कहा कि पहले मूर्ति की ढलाई होती है, उसके बाद रिताई, सफाई और वेल्डिंग किया जाता है. मूर्तियों पर नक्काशी का काम छेनी-हथौड़े की मदद से हाथों से ही किया जाता है.