नई दिल्ली: ब्रेन ट्यूमर सबसे खतरनाक ट्यूमरों में एक है. इसका इलाज डॉक्टरों के लिए भी बड़ी चुनौती होती है, लेकिन मेडिकल फिल्ड में हो रही तरक्की के बाद यह कठिनाई भी अब आसान हो गई है. एक ऐसी मशीन आई है, जिससे केवल 30 मिनट में ब्रेन ट्यूमर का इलाज संभव है. जैप एक्स नामक यह तकनीक सीधे ट्यूमर को तोड़ने का काम करती है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह तकनीक आने वाले दिनों में ब्रेन ट्यूमर के उपचार में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी. अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप ने जैप-एक्स जाइरोस्कोपिक रेडियोसर्जरी प्लेटफॉर्म का अनावरण किया है.
स्टैनफोर्ड स्कूल ऑफ मेडिसिन के न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रोफेसर और जैप सर्जिकल के संस्थापक व सीईओ प्रो. जॉन आर एडलर ने कहा कि स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी पिछली शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सा प्रगति में से एक है. जैप-एक्स तकनीक ब्रेन ट्यूमर के इलाज में नए युग की शुरुआत कर रही है. यह मरीजों को केवल 30 मिनट तक चलने वाले सेशन में ही बिना दर्द के ही ट्यूमर से मुक्ति दिला सकता है.
जैप-एक्स हजारों संभावित कोणों से रेडियो सर्जिकल बीम को निर्देशित करने के लिए एक स्व-परिरक्षित, जाइरोस्कोपिक रैखिक त्वरक डिजाइन का उपयोग करता है. यही कारण है कि यह तकनीक सीधे ट्यूमर पर विकिरण को सटीक रूप से केंद्रित करती है. यह नई तकनीक मस्तिष्क स्टेम, आंखों और ऑप्टिक तंत्रिकाओं का विकिरण से बचाव भी करती है.
डॉक्टरों के अनुसार, यह तकनीक प्राथमिक और मेटास्टेटिक ब्रेन ट्यूमर, आर्टिरियोवेनस मैलफॉर्मेशन (ईवीएम), ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया, पार्किंसंस रोग, मिर्गी और अन्य इंट्राक्रैनियल घाव जैसे मेनिंगियोमा, ध्वनिक न्यूरोमास और पिट्यूटरी एडेनोमास जैसे विकारों के इलाज में सक्षम है.
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अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. प्रताप चंद्र रेड्डी ने कहा कि हमने ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए डिजाइन एक नवीन तकनीक जैप-एक्स का अनावरण किया है. यह नया दृष्टिकोण विकिरण के न्यूनतम जोखिम के साथ 30 मिनट तक चलने वाले गैर-आक्रामक, दर्द-मुक्त इलाज से ब्रेन ट्यूमर से मुक्ति मिल सकती है. जैप-एक्स उन्नत सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ आता है, जिसमें तत्काल त्रुटि का पता लगाना और विकिरण रिसाव को कम करना संभव है.