शिमला: बोतल से बच्चे को दूध पिलाना एक बेहद आम बात है. कई बार मां बच्चे को ब्रेस्ट फीड नहीं करवा पाती हैं, जिसकी कई वजहें हो सकती हैं, जैसे मां का खराब स्वास्थ्य, दवाईयां, कमजोरी या शरीर में दूध का ना बनना बच्चे के पोषण के लिए नुकसानदेह हो सकता है. इसे लेकर ईटीवी भारत ने आईजीएमसी के डेंटिस्ट्री विभाग के अध्यक्ष डॉ. विनय भारद्वाज से बात की तो उन्होंने बताया कि नवजात शिशुओं को बोतल की बजाय चम्मच से दूध पिलाना चाहिए.
डॉ. विनय भारद्वाज ने कहा कि लंबे समय तक बच्चों के मुंह में दूध की बोतल रखने से उनके दांत सड़ने शुरू हो जाते हैं. कई बार रात को दूध की बोतल मुंह में रखकर बच्चे को सुला दिया जाता है. ग्रामीण इलाकों की कई महिलाएं भी ऐसा करती हैं. ऐसा करना बच्चे के स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है. इस कारण बच्चों के दूध वाले दांत समय से पहले ही टूट जाते हैं. नए दांत आने में समय लगता है और इससे बच्चों का पाचन तंत्र भी प्रभावित होता है.
बोतल में दूध पिलाने से सड़ रहे बच्चों के दांत?
हिमाचल में करीब 65 से 70 फीसद बच्चों के दूध के दांत खराब हो रहे हैं. डॉक्टर ने बताया कि शहरी हो या ग्रामीण इलाके में अभिभावक नवजात शिशुओं के दांतों की देखभाल के प्रति जागरूक नहीं हैं. 5 से 7 वर्ष की आयु के 65 फीसदी बच्चों के दांत खराब हो रहे हैं. 8 से 10 वर्ष के 56 फीसदी, 11 से 15 वर्ष के 45 फीसदी बच्चों के दांत खराब हो रहे हैं. बच्चों के दांत खराब होने का मुख्य कारण अच्छे से दांत साफ न करना है. बच्चे चॉकलेट,टॉफी,लॉलीपोप जैसी चीजें ज्यादा खाते हैं. उन बच्चों के दांत जल्दी खराब हो रहे हैं.
इंफेक्शन का खतरा
बोतल से दूध पिलाने से बच्चों इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है. इससे बच्चे को डायरिया हो सकता है. बोतल की साफ सफाई को ठीक रखना भी एक चुनौती होती है. बच्चे के जन्म से ही उसके मुह का ख्याल रखना शुरू कर देना चाहिए. दातों के ऊपर व नीचे के जबड़ों को नर्म कपड़े को अगुली में लपेटकर साफ करना चाहिए. जन्म के छय माह के बाद वच्चों में दांत निकलना शुरू हो जाते हैं. उस दौरान दांतों की सफाई नर्म ब्रश और पानी के साथ शुरू कर दें. जन्म के बाद सात साल तक अभिभावक अपनी निगरानी में बच्चों से ब्रश करवाएं. 2 से 3 साल के बच्चों को नर्म टूथब्रश पर चावल के दाने के बराबर टूथपेस्ट लगाकर तीन मिनट तक ब्रश करवाएं.
ऐसे करें बच्चों के दांतों की देखमाल
दिन में दो बार ब्रश करवाएं. रेशेदार फल व सब्जियों का अधिक सेवन करवाए. छ महीने में एक बार प्रशिक्षित डेंटिस्ट से चेकअप करवाएं. चिपचिपे खाद्य पदार्थ दातों की सतह से आसानी से साफ नहीं होते हैं. खाने के रुमेटे कण दांतों में फसकर एसिड बनाते हैं. यह एसिड दांतों की कठोर परत को खत्म कर सड़न रोग पैदा करता है. इसलिए कुछ भी खाने के बाद बच्चों से कुल्ला अवश्य करवाना चाहिए. जब बच्चे लगभग 2 साल के हो जाएं, तो उन्हें ब्रश करते समय थूकना सिखाएं. उन्हें पानी से कुल्ला करके थूकने के लिए न दें, क्योंकि वे टूथपेस्ट निगल सकते हैं.
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