नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा के सेक्टर-126 थाना क्षेत्र स्थित लोटस वैली इंटरनेशनल स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी मिली. प्रबंधन को भेजे गए मेल में स्कूल परिसर के हर हिस्से में बम लगाने की बात कही गई. आनन-फानन में डॉग स्क्वायड और बम निरोधक दश्ते ने स्कूल में जांच पड़ताल शुरू की. हालांकि, जांच के दौरान स्कूल में कोई आपत्तिजनक वस्तु नहीं मिली है.
गनीमत रही कि स्कूल खुलने के पहले ही प्रबंधन को स्कूल में बम होने की सूचना मिल गई. ऐसे में कुछ ही बच्चे स्कूल तक पहुंच पाए. उन्हें बाद में बस से घर वापस भेज दिया गया. ईमेल की जांच के लिए तीन सदस्यीय साइबर टीम गठित कर दी गई है. एसीपी प्रवीण कुमार सिंह ने बताया कि लोटस वैली इंटरनेशनल स्कूल को अगले 48 घंटे में बम से उड़ाने की धमकी भरा मेल किसी ने गुरुवार रात 12 बजे के करीब भेजा.
''शनिवार को नौ बजे स्कूल खुलना था. स्टॉफ 45 मिनट पहले ही पहुंच गए. प्रबंधन ने जब स्कूल की मेल आईडी खोली तो अज्ञात व्यक्ति द्वारा भेजे गए मेल में स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी थी. इसके बाद तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी गई. सूचना के महज बीस मिनट के भीतर पुलिस की टीमें स्कूल परिसर में पहुंच गईं और चेकिंग अभियान शुरू कर दिया. इस दौरान स्कूल प्रबंधन ने बच्चों और उनके अभिभावकों को स्कूल न आने का मैसेज भेजा. फिर डॉग स्क्वायड और बम निरोधक दश्ते ने स्कूल में जांच पड़ताल शुरू की. बीडीएस यूनिट द्वारा जांच के बाद परिसर में बम न होने का दावा किया गया''-एसीपी प्रवीण कुमार सिंह
पहले भी स्कूलों को मिली थी धमकी: आजकल स्कूलों और अस्पताल में बम होने की सूचना और धमकी भरी ईमेल चलन बनता जा रहा है. कुछ माह पहले ही सेक्टर 30 स्थित डीपीएस स्कूल समेत कई स्कूलों को ईमेल के जरिए बम होने की सूचना मिली थी. जिसके बाद स्कूल खाली करा लिए गए थे. बीते दिनों ग्रेटर नोएडा के एक स्कूल में बम होने की सूचना का ईमेल भेजा गया था. इस तरह की धमकी कौन दे रहा है आज तक पता नहीं चल पाया है? हालांकि, इससे अभिभावकों, बच्चों और स्कूल प्रबंधन को काफी परेशानी होती है.
''इस तरह के हॉक्स ईमेल में आरोपी वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) का प्रयोग करता है. ऐसे नेटवर्क बाहर के होते हैं. विदेशों में सेटअप के कारण इनकी डिटेल मिलना मुश्किल होता है. साइबर टीम को इसमें लगाया गया है. यह ईमेल कहां से आया, इसकी जानकारी ली जा रही है.''-डीसीपी रामबदन सिंह
क्या है साइबर अपराधियों का मकसद: विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की धमकियां अक्सर साइबर अपराधियों द्वारा ध्यान आकर्षित करने, दहशत फैलाने, या किसी बड़ी साजिश का हिस्सा होती है. ज्यादातर मामलों में ऐसी सूचनाएं फर्जी ही होती है, पर कई बार देश दुनिया में यह सच भी हो जाती है. ऐसे में पुलिस और प्रशासन सूचना मिलने के बाद पूरी सक्रियता से चेकिंग अभियान चलाता है.
सूचना के बाद सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम: स्कूल परिसर की पूरी जांच की गई. साइबर सेल को ईमेल ट्रेस करने का काम सौंपा गया है. स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. अभिभावकों और स्कूल प्रशासन से सतर्क रहने की अपील की गई है. इस घटना के बाद से अभिभावकों में डर का माहौल है. वे बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और प्रशासन से इस तरह की घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें.
बचाव के लिए जारी किए गए दिशा-निर्देश:
- किसी बाहरी व्यक्ति का स्कूल में प्रवेश रोकने के लिए व्यवस्था की जाए.
- स्कूल में जहां बम छिपाने की आशंका हो, वहां से अनावश्यक वस्तुओं को हटाया जाए.
- भगदड़ न हो इसके लिए निकास व प्रवेश अलग-अलग हो.
- स्कूल इमारत का ले-आउट हमेशा तैयार रहे, ताकि इमरजेंसी में पुलिस, अग्निशमन विभाग, एनडीआरएफ व बचाव दल के साथ साझा किया जाए.
- सीसीटीवी की मदद से निगरानी व केन्द्रीयकृत अलार्म प्रणाली स्थापित की जाए.
- पुलिस के साथ स्कूल मॉकड्रिल समय-समय पर की जाए.
- पुलिस और स्कूल प्रबंधन की मीटिंग हर माह आयोजित की जाए.
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