गया: लोकसभा चुनाव के पहले बिहार के बोधगया में तीन दिवसीय 30वां राष्ट्रीय राज्य निर्वाचन आयुक्त सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन शुक्रवार को बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने किया था. 20 राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों के निर्वाचन आयुक्त शामिल हुए हैं. शनिवार को प्रेस वार्ता के दौरान बिहार के मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ दीपक कुमार ने कहा कि ईवीएम हैकिंग की बात जो उठाई जाती है उसमें 0% की सच्चाई है.
"आज तक ईवीएम हैकिंग की बात को कोई साबित नहीं कर पाया. यह जीरो प्रतिशत सच्चाई जैसी है. बिहार आज अन्य दूसरे राज्यों के लिए उदाहरण है. पंचायत चुनाव के बाद बिहार चुनाव आयोग ने अपनी पहचान बनाई है और बिहार देश को लीड कर रहा है." -डॉ दीपक कुमार, मुख्य चुनाव आयुक्त, बिहार
'बिहार के कामों की प्रशंसा': डॉ दीपक कुमार ने कहा कि जितने भी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से चुनाव आयुक्त आए हैं. उन्होंने हमारे काम की प्रशंसा की है. बिहार में चुनाव संबंधी कार्यक्रमों को वे अपने राज्य में भी अनुकरण करेंगे. डॉ. दीपक कुमार ने कहा कि बिहार में मतदान का प्रतिशत बदला है. हालांकि शहरी मतदाता ग्रामीण मतदाताओं की अपेक्षा थोड़े उदासीन दिखते हैं. इसे लेकर हमलोगों ने रणनीति बनाई है.
'दूसरे राज्य ले रहे प्रेरणा': चुनाव आयुक्त के मुताबिक बिहार में महिलाओं की भागीदारी अधिक हुई है. महिलाएं अधिक मतदान कर रही है. बिहार में महिलाओं की भागीदारी मतदान में बढी तो दूसरी ओर चुनाव प्रक्रिया में महिला पोलिंग पार्टी का प्रयोग भी पूरी तरह से सफल रहा. बिहार में चुनाव प्रक्रिया को मजबूत किया गया है. स्ट्रांग रूम में डिजिटल लॉक लगाया गया. चुनाव प्रक्रिया में बिहार आदर्श बनकर सामने आया है. इससे दूसरे राज्य प्रेरणा ले रहे हैं.
'निष्पक्ष कराया जाएगा मतदान': बिहार में निष्पक्ष चुनाव कराया जाएगा. निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और भय मुक्त चुनाव को लेकर कदम उठाए गए हैं. अब बिहार निष्पक्ष, शांतिपूर्ण, भयमुक्त चुनाव के मामले में अन्य राज्यों के सामने उदाहरण के तौर पर भी है. हम अपील करते हैं कि हिंसा रहित स्वच्छ पारदर्शिता के साथ उत्तरदायित्वों के बीच सभी चुनाव में अपनी भागीदारी निभाएं. पंचायती इलेक्शन पर कहा कि पूरी तरह से जीरो वायलेंस फ्री चुनाव रहा.
'यूरोप की तरह नहीं सोच सकते': बिहार के मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ दीपक कुमार ने कहा कि हम यूरोप में होने वाले चुनाव की तरह नहीं सोच सकते. यूरोप में संख्या कम है, लेकिन हमारे देश-राज्य की आबादी बहुत अधिक है. ऐसे में हम यूरोप चुनाव की तरह नहीं सोच सकते हैं.
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