कपिल पारीक, उदयपुर : यह कहानी है जिले के छोटे से गांव खरसाण में रहने वाले मदन गोपाल मेनारिया की. 40 साल पहले उनकी जिंदगी ने ऐसा मोड़ लिया कि उन्होंने अपनी मुश्किलों को ताकत में बदलते हुए एक नई मिसाल पेश की. 55 साल के दृष्टिबाधित मदन गोपाल मेनारिया, जिन्हें लोग प्यार से हरिओम कहते हैं, उन्होंने यह साबित कर दिया कि मजबूत इरादे किसी भी कमी को ताकत में बदल सकते हैं.
15 की उम्र में खो दी आंखों की रोशनी : बचपन में हरिओम पढ़ाई में बेहद होशियार थे और अपनी कक्षा के सबसे मेधावी छात्रों में गिने जाते थे, लेकिन 15 साल की उम्र में उन्हें टाइफाइड हुआ. उस समय चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण बीमारी ठीक होने के बाद भी उनकी आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई. यह हादसा उनके लिए बेहद दर्दनाक था. आंखों की रोशनी चले जाने के कारण वह आगे नहीं पढ़ पाए. इसका मलाल उन्हें आज भी है, लेकिन इस मलाल को खुशी में बदलने के लिए उन्होंने एक ऐसा बीड़ा उठाया जो अब छोटे-छोटे अन्य बच्चों की जिंदगी में रोशनी दे रहा है.
इसे भी पढ़ें- भामाशाह की अनूठी पहल : 21 करोड़ की लागत से स्कूल भवन का निर्माण, ये होंगी सुविधाएं
भीख मांगकर बनाए शिक्षा के मंदिर : अपनी इस कमी को ताकत में बदलते हुए हरिओम ने एक नया सफर शुरू किया. उन्होंने उदयपुर के एकलिंगजी और जगदीश मंदिर के बाहर बैठकर भीख मांगनी शुरू की, जो भी भक्त उन्हें एक-एक रुपए देते, वह उसे शिक्षा के विकास के काम में लगाने लगे. हरिओम ने बताया कि पिछले 30 सालों से वह उदयपुर के एकलिंग जी के मंदिर के बाहर बैठकर भीख मांग रहे हैं. हरिओम ने इस पैसे का उपयोग कई सरकारी स्कूलों में कमरे बनाने, पानी की टंकियां लगवाने और बच्चों के लिए मिठाई व गिफ्ट्स देने जैसे कार्यों में किया. आज उनका नाम दानदाताओं की सूची में सबसे ऊपर आता है.
स्कूलों को दी नई पहचान : हरिओम ने ठान लिया कि अपने क्षेत्र के किसी बच्चे को सुविधा के अभाव में पढ़ाई से वंचित नहीं होने देंगे. अपनी इस पहल के जरिए उन्होंने खरसाण के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में सरस्वती माता के मंदिर का निर्माण करवाया. स्कूल में पानी के लिए ट्यूबवेल लगवाए और माइक सेट व अन्य जरूरतों का सामान भी मुहैया कराया. उनका कहना है कि उन्होंने अब तक मिले पैसों का उपयोग सिर्फ शिक्षा और समाजसेवा के लिए किया है.
इसे भी पढ़ें- किसान ने भामाशाह बनकर कर दिया कमाल, हर कोई करने लगा तारीफ - Good Initiative
सम्मान और प्रेरणा का स्रोत : हरिओम को उनके इस सराहनीय कार्य के लिए अब तक कई बार सम्मानित किया जा चुका है. उनको कई अनगिनत अवार्ड में मिल चुके हैं. राज्य सरकार भी उन्हें सम्मानित कर चुकी है. 2003-04 में उन्हें गुजरात के तत्कालीन राज्यपाल नवल किशोर शर्मा ने सम्मानित किया. हाल ही में पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने भी उन्हें उदयपुर के सिटी पैलेस के दरबार हॉल में सम्मानित किया.
बिना आंखों और घड़ी के बताते हैं सही समय : हरिओम की दोनों की आंखों की रोशनी नहीं है. न ही उनके पास घड़ी है, लेकिन वह बिल्कुल एग्जैक्ट टाइम बताते हैं. हरिओम ने कहा कि ना उनकी आंखें हैं और न घड़, लेकिन आधी रात को भी समय पूछ लो, बिल्कुल सही बताऊंगा. जब ईटीवी भारत के संवाददाता कपिल पारीक ने भी उनसे समय पूछा तो उन्होंने बिल्कुल एग्जैक्ट टाइम बताया. उनके इस अद्भुत गुण ने भी लोगों को काफी प्रभावित किया है.
स्थानीय निवासी मनीष कोठारी का कहना है कि हरिओम न केवल प्रेरणा का स्रोत हैं, बल्कि समाज को यह संदेश भी देते हैं कि किसी भी परिस्थिति में शिक्षा का महत्व कम नहीं होना चाहिए. खरसाण स्थित सीनियर सेकंडरी स्कूल के प्रिंसिपल किशन मेनारिया ने बताया कि हरिओम ने स्कूल में कमरा निर्माण कराया, सरस्वती मंदिर, माइक सेट, पानी की टंकी से लेकर जरूरत का हर सामान मुहैया कराया है. हरिओम की पहल से स्कूलों का माहौल बदला है और बच्चों को बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं.