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जलियावाला बाग कांड पार्ट 2, भिलाई के इतिहास का काला दिन, 16 मौतों से दहली थी स्टील सिटी - Sixteen laborers killed by police - SIXTEEN LABORERS KILLED BY POLICE

Black day in history of Bhilai 1 जुलाई का दिन भिलाई वासियों के लिए काला दिन है.क्योंकि इसी दिन एक ऐसी घटना हुई थी.जिससे पूरा देश हिल गया था. इस घटना ने 1 जुलाई के दिन को काले दिवस के तौर पर हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज कर दिया. Martyr Day is celebrated every year

Black day in history of Bhilai
भिलाई के इतिहास का काला दिन (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 1, 2024, 2:23 PM IST

भिलाई : भिलाई पावर हाउस स्टेशन में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ने दिवंगत मजदूर साथियों को श्रद्धांजलि दी.ये वो मजदूर हैं,जिन्होंने एक जुलाई के दिन आंदोलन करते हुए अपनी जान गंवाई थी.इन मजदूरों की याद में हर साल छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा भिलाई पावर हाउस स्टेशन पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करती है.आपको बता दें कि मजदूर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे,लेकिन उन्हें मांगें पूरी होने के आश्वासन के बदले मौत मिल गई.

भिलाई के इतिहास का काला दिन (ETV Bharat Chhattisgarh)

क्यों मजदूरों की हुई थी मौत : घटना आज से 32 साल पहले की है.जब 1992 में मजदूर यूनियन ने बड़ा आंदोलन किया था. उस वक्त दुर्ग और भिलाई एक साथ था. भिलाई रेलवे स्टेशन में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता अपनी मांगों के लेकर डटे थे.सभी भिलाई पावर हाउस के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर धरना प्रदर्शन कर रहे थे.इस दौरान जब मांगें नहीं मानी गई तो हजारों की संख्या में मजदूरों ने रेलवे ट्रैक में बैठकर प्रदर्शन करना शुरु किया.जिसके कारण कई गाड़ियां प्रभावित हुई.

पुलिस ने चला दी अंधाधुंध गोलियां : पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे मजदूरों को रेलवे ट्रैक खाली करने को कहा.लेकिन किसी ने भी पुलिस की चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया.आखिरकार पुलिस ने मजदूरों को रेलवे ट्रैक से हटाने के लिए वो किया जिसकी किसी को भी उम्मीद नहीं थी.आजाद भारत में भिलाई पावर हाउस स्टेशन पर हजारों की संख्या में आंदोलन कर रहे मजदूरों पर पुलिस ने गोलियां बरसा दी.

16 लोगों की मौत का आंकड़ा : पुलिस ने पावर हाउस से लेकर और खुर्सीपार तक मजदूरों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई थी. इस खूनी खेल में सैकड़ों लोग अपंग हो गए थे. कई लोगों की मौके पर ही मौत हो गई.गोली चलने से चारों तरफ अफरा तफरी मच गई. भगदड़ छंटने के बाद 16 लोगों की मौत की सूचना सामने आई. जिन्हें हर साल भिलाई पावर हाउस स्टेशन पर श्रद्धांजलि दी जाती है.

''पुलिस ने पूरी तरह से डर और खौफ का माहौल बना दिया था. जिसकी वजह से 16 लोगों की मौत हुई. 1 जुलाई के दिन 16 लोगों की मौत हुई थी उन्हें आज श्रद्धांजलि दी जाती है.''-सदस्य, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा

सरकार ने आज तक मांग नहीं की पूरी :इस आंदोलन के बाद मृतकों के परिजनों को मुआवजा समेत नौकरी देने की बात सरकार ने की थी.लेकिन आज तक वो मांग पूरी नहीं हो सकी.सरकार ने तब माना था कि पुलिस का गोली चलाने का फैसला सही नहीं था.

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भिलाई के इतिहास का काला दिन (ETV Bharat Chhattisgarh)

क्यों मजदूरों की हुई थी मौत : घटना आज से 32 साल पहले की है.जब 1992 में मजदूर यूनियन ने बड़ा आंदोलन किया था. उस वक्त दुर्ग और भिलाई एक साथ था. भिलाई रेलवे स्टेशन में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता अपनी मांगों के लेकर डटे थे.सभी भिलाई पावर हाउस के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर धरना प्रदर्शन कर रहे थे.इस दौरान जब मांगें नहीं मानी गई तो हजारों की संख्या में मजदूरों ने रेलवे ट्रैक में बैठकर प्रदर्शन करना शुरु किया.जिसके कारण कई गाड़ियां प्रभावित हुई.

पुलिस ने चला दी अंधाधुंध गोलियां : पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे मजदूरों को रेलवे ट्रैक खाली करने को कहा.लेकिन किसी ने भी पुलिस की चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया.आखिरकार पुलिस ने मजदूरों को रेलवे ट्रैक से हटाने के लिए वो किया जिसकी किसी को भी उम्मीद नहीं थी.आजाद भारत में भिलाई पावर हाउस स्टेशन पर हजारों की संख्या में आंदोलन कर रहे मजदूरों पर पुलिस ने गोलियां बरसा दी.

16 लोगों की मौत का आंकड़ा : पुलिस ने पावर हाउस से लेकर और खुर्सीपार तक मजदूरों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई थी. इस खूनी खेल में सैकड़ों लोग अपंग हो गए थे. कई लोगों की मौके पर ही मौत हो गई.गोली चलने से चारों तरफ अफरा तफरी मच गई. भगदड़ छंटने के बाद 16 लोगों की मौत की सूचना सामने आई. जिन्हें हर साल भिलाई पावर हाउस स्टेशन पर श्रद्धांजलि दी जाती है.

''पुलिस ने पूरी तरह से डर और खौफ का माहौल बना दिया था. जिसकी वजह से 16 लोगों की मौत हुई. 1 जुलाई के दिन 16 लोगों की मौत हुई थी उन्हें आज श्रद्धांजलि दी जाती है.''-सदस्य, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा

सरकार ने आज तक मांग नहीं की पूरी :इस आंदोलन के बाद मृतकों के परिजनों को मुआवजा समेत नौकरी देने की बात सरकार ने की थी.लेकिन आज तक वो मांग पूरी नहीं हो सकी.सरकार ने तब माना था कि पुलिस का गोली चलाने का फैसला सही नहीं था.

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