देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस भले ही केदारनाथ उपचुनाव में खुद को मजबूती के साथ उतारने की बात कह रही हो, लेकिन पार्टी संगठन का पिछले लंबे समय से प्रदेश स्तरीय कार्यकारिणी का गठन न कर पाना कई सवाल खड़े कर रहा है. स्थिति ये है कि कई साल जीतने के बाद भी उत्तराखंड में कांग्रेस की प्रदेश स्तरीय कार्यकारिणी गठित नहीं की जा सकी है. उधर, बीजेपी दोबारा अपने संगठनात्मक चुनाव की तरफ आगे बढ़ चली है.
कांग्रेस प्रदेश कार्यकारिणी का नहीं हो पाया गठन: उत्तराखंड कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर करन माहरा अप्रैल 2022 में नियुक्त किए गए. इसके बाद से ही राज्य में प्रदेश स्तरीय कार्यकारिणी का गठन नहीं हो पाया. हैरानी की बात ये है कि प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा अपना ढाई साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, लेकिन इतने लंबे अंतराल में भी उन्होंने अपनी टीम का गठन नहीं किया है. वैसे तो प्रदेश संगठन के स्तर पर पार्टी हाईकमान को कार्यकारिणी गठन को लेकर प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन बताया जा रहा है कि हाईकमान ने उत्तराखंड कांग्रेस संगठन को कभी इसकी मंजूरी दी ही नहीं.
केदारनाथ उपचुनाव को लेकर दौरा कर रहे नेता: एक तरफ उत्तराखंड में केदारनाथ उपचुनाव के लिए राजनीतिक दल चुनावी तैयारी में जुटे हुए हैं और पार्टी के बड़े नेता भी केदारनाथ के दौरे कर रहे हैं, लेकिन बिना प्रदेश कार्यकारिणी के कांग्रेस संगठन कैसे मजबूती से इन चुनाव में अपनी बेहतरीन परफॉर्मेंस दिखा पाएगा? यह एक बड़ा सवाल है. हालांकि, उत्तराखंड कांग्रेस संगठन की कमजोरी को लेकर अक्सर सवाल खड़े किए जाते रहे हैं और तमाम चुनाव में हार के बाद कमजोर पार्टी संगठन को भी वजह बताया जाता रहा है.
कांग्रेस की कमजोरी पर चटकारे ले रही बीजेपी: इस मामले में बीजेपी भी कांग्रेस की इस कमजोरी को चटकारे लेकर सार्वजनिक करती रही है. बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान कहते हैं कि वैसे तो भारतीय जनता पार्टी किसी दूसरे दल के अंदरूनी मामलों पर चर्चा नहीं करती, लेकिन यह सर्वे विदित है कि कांग्रेस का संगठन अब तक गठित ही नहीं किया जा सका है और प्रदेश कार्यकारिणी का गठन पिछले ढाई साल से लंबित पड़ा है.
बीजेपी नेता अपने घर की चिंता करें: बीजेपी की तरफ से संगठन की रूपरेखा पर हुए बयानी हमले के बाद कांग्रेस भी जवाब देने के लिए आगे आई है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट कहते हैं कि बीजेपी के नेताओं को अपने घर की चिंता होनी चाहिए. हाल ही में सदस्यता अभियान के दौरान बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं को सदस्य बनाने में किस तरह पसीने छूट गए, यह सब जानते हैं. जहां तक सवाल कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी का है तो इसके लिए पार्टी हाईकमान के स्तर पर लगातार विचार किया जा रहा है.
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