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उपचुनाव परिणाम का ट्रेंड बदलने में जुटी भाजपा, रायशुमारी के लिए खुद फील्ड में उतरे प्रदेश प्रभारी और अध्यक्ष - by election bjp strategy

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 27, 2024, 9:28 AM IST

भाजपा विधानसभा उपचुनावों के मिशन में जुट गई है. उपचुनाव वाली सीटों की नब्ज टटोल के लिए अध्यक्ष मदन राठौड़ और प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल लगातार दौरे कर रहे हैं. तीन सीटों पर रायशुमारी कर नब्ज टटोल चुके हैं, अब शेष तीन सीटों पर 27 अगस्त के बाद सियासी मिजाज परखेंगे. प्रदेश प्रभारी इस बार उप चुनाव ट्रेंड बदलने के साथ सभी छह सीट जीतने का दावा कर रहे हैं.

by election bjp strategy in rajasthan
उपचुनाव परिणाम का ट्रेंड बदलने में जुटी भाजपा (Photo ETV Bharat Jaipur)
रायशुमारी के लिए खुद फील्ड में उतरे प्रदेश प्रभारी और अध्यक्ष (Video ETV Bharat Jaipur)

जयपुर: प्रदेश में खाली चल रही छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव जल्द ही होने की संभावना है. उप चुनाव में भाजपा के पीछे रहने का ट्रेंड रहता है. भाजपा अबकी बार इस ट्रेंड को ताड़ने की फिराक में में है. यही वजह है कि चुनाव तारीखों के ऐलान से पहले बीजेपी ने विधानसभा की छह सीटों पर होने वाले उप चुनाव की फाइनल तैयारियां शुरू कर दी है. भाजपा के नए प्रदेश प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल और नए अध्यक्ष मदन राठौड़ टीम के साथ खुद फील्ड में उतर गए हैं. दोनों नेता तीन सीटों पर रायशुमारी कर नब्ज टटोल चुके हैं. शेष तीन सीटों पर मंगलवार से सियासी मिजाज परखेंगे. ये उप चुनाव दोनों ही नेताओं के लिए पहली परीक्षा के तौर पर भी है.

राजस्थान में पांच विधायकों के लोकसभा की डगर चुनने के बाद विधानसभा की सीटें खाली हुई. इसके बाद हाल ही सलूम्बर विधायक की मृत्यु हो गई. इस कारण एक और सीट खाली हो गई. ऐसे में राजस्थान में छह विधानसभा सीटों झुंझुनूं, देवली-उनियारा, दौसा, खींवसर,चौरासी और सलूम्बर पर उपचुनाव होने हैं. चुनाव की तारीखों का एलान भले ही नहीं हुआ है, लेकिन बीजेपी ने चुनावी माहौल तैयार कर लिया है. भाजपा ने हाल ही मदन राठौड़ के रूप में नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है, इसके तुरंत बाद सांसद राधा मोहन दास अग्रवाल को प्रदेश प्रभारी नियुक्त किया. नए अध्यक्ष और नए प्रदेश प्रभारी ने नए सिरे से उपचुनाव के लिए आखिरी मशक्कत शुरू कर दी है.

पढ़ें: मदन राठौड़ ने कांग्रेस अध्यक्ष से पूछा, 'गोविंदा थारो नाम कुण धरयो', कहा-जन्माष्टमी पर कृष्ण मंदिर में माफी मांगें डोटासरा

सलूम्बर से पहले पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी कवायद कर चुके हैं. सीएम भजनलाल ने झुंझुनूं दौरा कर सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लाभार्थियों के खाते में डीबीटी की थी, जिसका असली मकसद उपचुनाव ही था. इसके अलावा प्रदेश कार्यालय पर सभी पांचों सीटों को लेकर रायशुमारी की गई थी. उपचुनाव को लेकर संभावित प्रत्याशी के नामों के साथ ही ग्राउंड लेवल पर उसकी स्थिति और उसकी पैठ सहित पार्टी तथा सरकार की योजनाओं को लेकर जनता की राय के बारे में पूछताछ की गई. इसके साथ ही उपचुनाव में सीट जीतने की संभावनाओं पर भी सुझाव लिए गए.

ट्रेंड बदलने में जुटी भाजपा
ट्रेंड बदलने में जुटी भाजपा (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)

नए सिरे से जुटे फील्ड में : नए प्रदेश अध्यक्ष और नए प्रदेश प्रभारी ने फिर से विधानसभा उपचुनाव वाली सीटों पर फील्ड में उतरकर चुनावी तैयारियां शुरू की है. प्रदेश प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ और टीम के साथ उपचुनाव वाली हर एक सीट पर पहुंच रहे हैं. राधा मोहन अग्रवाल तीन दिन में दौसा, देवली-उनियारा और झुंझुनूं में जनता और कार्यकर्ताओं के बीच पहुंच कर नब्ज टटोल चुके है. अब शेष तीन सीटें सलूम्बर, चौरासी और खींवसर सीट पर 27 अगस्त के बाद राजनीति की नब्ज टटोलेंगे. इस दौरान प्रदेश प्रभारी टिकट दावेदारों के साथ ही स्थानीय नेताओं, समाज प्रमुखों और कार्यकर्ताओं से चर्चा कर सियासी मिजाज नापने की कोशिश की. इस कवायद में प्रदेश प्रभारी राधामोहन अग्रवाल सीटों के जीत को लेकर संतुष्ट होने के बाद ही रिपोर्ट तैयार कर अलाकमान को भेजेंगे. बीजेपी के लिए सलूम्बर सीट जीतना आसान है, लेकिन पांच अन्य सीटों पर जीत किसी अग्निपरीक्षा से गुजरने के बराबर है. इन सीटों के सियासी समीकरण के तोड़ में बीजेपी छह महीने में भजनलाल सरकार की ओर से कराए गए काम को लेकर जीत की उम्मीद लगाए बैठी है. प्रदेश प्रभारी राधामोहन दास दावा कर रहे हैं कि भजनलाल सरकार की अब तक उपलब्धियां और केंद्र की मोदी सरकार की योजनाएं के साथ जनता के बीच जाएंगे.

यह भी पढ़ें: टोंक में BJP की बैठक में गरजे मदन राठौड़, बोले- टोंक पायलट का गढ़ नहीं, वो कोई चुनौती नहीं

क्या कहता है ट्रेंड: प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ हो या फिर प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल दोनों ही नेताओं ने हाल ही में अपने अपने पदों का दायित्व संभाला है. ऐसे में प्रदेश की 6 सीटों के उपचुनाव दोनों नेताओं के लिए पहली परीक्षा के समान है. हालांकि पिछले कुछ सालों का उपचुनाव ट्रेंड देखें तो भाजपा सत्ता में रही हो या विपक्ष में उपचुनाव में कोई ज्यादा बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई. आंकड़ों के हिसाब से देखें तो वर्ष 2014 से 2024 के बीच अब तक विधानसभा की 17 सीटों पर उपचुनाव हुए. इसमें से कांग्रेस ने 12 पर जीत दर्ज की है. वर्ष 2014 के अप्रैल-मई में राजस्थान की चार विधानसभा सीटों नसीराबाद, वैर, सूरजगढ़ और कोटा दक्षिण पर उपचुनाव हुए. प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बाद भी चार सीटों में सिर्फ एक सीट पर भाजपा जीत दर्ज कर पाई. नसीराबाद, वैर और सूरजगढ़ पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया, जबकि कोटा साऊथ की सीट पर भाजपा के प्रत्याशी संदीप शर्मा ने जीत दर्ज की. इसके बाद वर्ष 2017 में धौलपुर और 2018 में मांडलगढ़ विधानसभा सीटों पर भी उप चुनाव हुए, जिनमें से धौलपुर पर भाजपा और मांडलगढ़ पर कांग्रेस ने बाजी मारी. इसके बाद 2019 से 2022 के बीच में 9 सीटों पर उपचुनाव हुए. इन दौरान कांग्रेस सत्ता में थी. कांग्रेस फिर भी 9 उप चुनावों में से 7 जिसमें मंडावा, सुजानगढ़, सरदारशहर, सहाड़ा, धरियावद, वल्लभनगर और रामगढ़ सीट पर जीत दर्ज की. जबकि भाजपा को केवल एक सीट राजसमंद पर जीत नसीब हुई थी. एक सीट खींवसर को राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने जीत दर्ज की. वहीं, 2024 में एक सीट करणपुर विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में प्रत्याशी को जीत से पहले मंत्री बनाया गया, बावजूद इसके भाजपा को हार का सामना करना पड़ा.

रायशुमारी के लिए खुद फील्ड में उतरे प्रदेश प्रभारी और अध्यक्ष (Video ETV Bharat Jaipur)

जयपुर: प्रदेश में खाली चल रही छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव जल्द ही होने की संभावना है. उप चुनाव में भाजपा के पीछे रहने का ट्रेंड रहता है. भाजपा अबकी बार इस ट्रेंड को ताड़ने की फिराक में में है. यही वजह है कि चुनाव तारीखों के ऐलान से पहले बीजेपी ने विधानसभा की छह सीटों पर होने वाले उप चुनाव की फाइनल तैयारियां शुरू कर दी है. भाजपा के नए प्रदेश प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल और नए अध्यक्ष मदन राठौड़ टीम के साथ खुद फील्ड में उतर गए हैं. दोनों नेता तीन सीटों पर रायशुमारी कर नब्ज टटोल चुके हैं. शेष तीन सीटों पर मंगलवार से सियासी मिजाज परखेंगे. ये उप चुनाव दोनों ही नेताओं के लिए पहली परीक्षा के तौर पर भी है.

राजस्थान में पांच विधायकों के लोकसभा की डगर चुनने के बाद विधानसभा की सीटें खाली हुई. इसके बाद हाल ही सलूम्बर विधायक की मृत्यु हो गई. इस कारण एक और सीट खाली हो गई. ऐसे में राजस्थान में छह विधानसभा सीटों झुंझुनूं, देवली-उनियारा, दौसा, खींवसर,चौरासी और सलूम्बर पर उपचुनाव होने हैं. चुनाव की तारीखों का एलान भले ही नहीं हुआ है, लेकिन बीजेपी ने चुनावी माहौल तैयार कर लिया है. भाजपा ने हाल ही मदन राठौड़ के रूप में नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है, इसके तुरंत बाद सांसद राधा मोहन दास अग्रवाल को प्रदेश प्रभारी नियुक्त किया. नए अध्यक्ष और नए प्रदेश प्रभारी ने नए सिरे से उपचुनाव के लिए आखिरी मशक्कत शुरू कर दी है.

पढ़ें: मदन राठौड़ ने कांग्रेस अध्यक्ष से पूछा, 'गोविंदा थारो नाम कुण धरयो', कहा-जन्माष्टमी पर कृष्ण मंदिर में माफी मांगें डोटासरा

सलूम्बर से पहले पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी कवायद कर चुके हैं. सीएम भजनलाल ने झुंझुनूं दौरा कर सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लाभार्थियों के खाते में डीबीटी की थी, जिसका असली मकसद उपचुनाव ही था. इसके अलावा प्रदेश कार्यालय पर सभी पांचों सीटों को लेकर रायशुमारी की गई थी. उपचुनाव को लेकर संभावित प्रत्याशी के नामों के साथ ही ग्राउंड लेवल पर उसकी स्थिति और उसकी पैठ सहित पार्टी तथा सरकार की योजनाओं को लेकर जनता की राय के बारे में पूछताछ की गई. इसके साथ ही उपचुनाव में सीट जीतने की संभावनाओं पर भी सुझाव लिए गए.

ट्रेंड बदलने में जुटी भाजपा
ट्रेंड बदलने में जुटी भाजपा (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)

नए सिरे से जुटे फील्ड में : नए प्रदेश अध्यक्ष और नए प्रदेश प्रभारी ने फिर से विधानसभा उपचुनाव वाली सीटों पर फील्ड में उतरकर चुनावी तैयारियां शुरू की है. प्रदेश प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ और टीम के साथ उपचुनाव वाली हर एक सीट पर पहुंच रहे हैं. राधा मोहन अग्रवाल तीन दिन में दौसा, देवली-उनियारा और झुंझुनूं में जनता और कार्यकर्ताओं के बीच पहुंच कर नब्ज टटोल चुके है. अब शेष तीन सीटें सलूम्बर, चौरासी और खींवसर सीट पर 27 अगस्त के बाद राजनीति की नब्ज टटोलेंगे. इस दौरान प्रदेश प्रभारी टिकट दावेदारों के साथ ही स्थानीय नेताओं, समाज प्रमुखों और कार्यकर्ताओं से चर्चा कर सियासी मिजाज नापने की कोशिश की. इस कवायद में प्रदेश प्रभारी राधामोहन अग्रवाल सीटों के जीत को लेकर संतुष्ट होने के बाद ही रिपोर्ट तैयार कर अलाकमान को भेजेंगे. बीजेपी के लिए सलूम्बर सीट जीतना आसान है, लेकिन पांच अन्य सीटों पर जीत किसी अग्निपरीक्षा से गुजरने के बराबर है. इन सीटों के सियासी समीकरण के तोड़ में बीजेपी छह महीने में भजनलाल सरकार की ओर से कराए गए काम को लेकर जीत की उम्मीद लगाए बैठी है. प्रदेश प्रभारी राधामोहन दास दावा कर रहे हैं कि भजनलाल सरकार की अब तक उपलब्धियां और केंद्र की मोदी सरकार की योजनाएं के साथ जनता के बीच जाएंगे.

यह भी पढ़ें: टोंक में BJP की बैठक में गरजे मदन राठौड़, बोले- टोंक पायलट का गढ़ नहीं, वो कोई चुनौती नहीं

क्या कहता है ट्रेंड: प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ हो या फिर प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल दोनों ही नेताओं ने हाल ही में अपने अपने पदों का दायित्व संभाला है. ऐसे में प्रदेश की 6 सीटों के उपचुनाव दोनों नेताओं के लिए पहली परीक्षा के समान है. हालांकि पिछले कुछ सालों का उपचुनाव ट्रेंड देखें तो भाजपा सत्ता में रही हो या विपक्ष में उपचुनाव में कोई ज्यादा बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई. आंकड़ों के हिसाब से देखें तो वर्ष 2014 से 2024 के बीच अब तक विधानसभा की 17 सीटों पर उपचुनाव हुए. इसमें से कांग्रेस ने 12 पर जीत दर्ज की है. वर्ष 2014 के अप्रैल-मई में राजस्थान की चार विधानसभा सीटों नसीराबाद, वैर, सूरजगढ़ और कोटा दक्षिण पर उपचुनाव हुए. प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बाद भी चार सीटों में सिर्फ एक सीट पर भाजपा जीत दर्ज कर पाई. नसीराबाद, वैर और सूरजगढ़ पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया, जबकि कोटा साऊथ की सीट पर भाजपा के प्रत्याशी संदीप शर्मा ने जीत दर्ज की. इसके बाद वर्ष 2017 में धौलपुर और 2018 में मांडलगढ़ विधानसभा सीटों पर भी उप चुनाव हुए, जिनमें से धौलपुर पर भाजपा और मांडलगढ़ पर कांग्रेस ने बाजी मारी. इसके बाद 2019 से 2022 के बीच में 9 सीटों पर उपचुनाव हुए. इन दौरान कांग्रेस सत्ता में थी. कांग्रेस फिर भी 9 उप चुनावों में से 7 जिसमें मंडावा, सुजानगढ़, सरदारशहर, सहाड़ा, धरियावद, वल्लभनगर और रामगढ़ सीट पर जीत दर्ज की. जबकि भाजपा को केवल एक सीट राजसमंद पर जीत नसीब हुई थी. एक सीट खींवसर को राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने जीत दर्ज की. वहीं, 2024 में एक सीट करणपुर विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में प्रत्याशी को जीत से पहले मंत्री बनाया गया, बावजूद इसके भाजपा को हार का सामना करना पड़ा.

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