जयपुर. लोकसभा चुनाव 2024 में राजस्थान से भाजपा की खराब परफॉर्मेंस पार्टी नेताओं की आपसी गुटबाजी, टिकट वितरण में हुई खामियां और संगठनात्मक कमजोरी बड़ी वजह है. दरअसल, उम्मीद से विपरीत आए परिणामों ने प्रदेश से लेकर दिल्ली तक नेताओं को हिला कर रख दिया. न केवल मिशन 25 फेल हुआ, बल्कि 11 सीटों पर बड़ी हार हुई. 25 में सिर्फ 14 सीटों पर ही जीत मिली और 11 सीटों पर हार हुई.
हार के कारणों को खोजने के लिए प्रदेश भाजपा मुख्यालय में दो दिन तक मैराथन बैठक चली. जिसमें सामने आया कि आपसी कलह, संगठनात्मक कमजोरी, टिकट वितरण और अपनों की दगाबाजी सबसे प्रमुख कारण रहे. बैठक में प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, चुनाव प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे, राष्ट्रीय संगठक वी. सतीश और सह प्रभारी विजया राहटकर ने बारी-बारी से सभी हारी हुईं लोकसभा सीटों के जिला अध्यक्ष, लोकसभा प्रभारी, सांसद प्रत्याशी सहित तमाम पदाधिकारियों से चर्चा की. एक-एक लोकसभावार पूरा फीडबैक लिया गया.
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इन 11 सीटों पर हुई दो दिन चर्चा : बैठक में पहले दौर में शनिवार को 7 लोकसभा सीटों पर चर्चा हुई, जिसमे टोंक-सवाईमाधोपुर, दौसा, झुंझुनू, नागौर, सीकर, चूरू, बाड़मेर सीट थी. वहीं, दूसरे दिन रविवार को भरतपुर, करौली-धौलपुर, गंगानगर और डूंगरपुर-बांसवाड़ा लोकसभा सीटों का फीडबैक लिया. बैठक में कई नेताओं ने कहा कि हार में अपने लोग भी बड़ा कारण रहे. इनका फीडबैक पहले ही दे दिया था, लेकिन इनका कुछ नहीं किया गया.
इन नेताओं ने साथ रहने का नाटक किया, लेकिन उनके समर्थकों ने पार्टी को हरवा दिया. इसके साथ टिकट वितरण में स्थानीय नेताओं की राय को नजरअंदाज किया गया. ऐसे प्रत्ययाशी को टिकट दिया, जिसकी क्षेत्र में पकड़ होना तो दूर, वहां पर विरोध था. पार्टी के निर्देश के बाद भी कई नेता प्रत्याशियों के साथ में नहीं थे, बल्कि उन्हें हराने के लिए भीतरघात कर रहे थे. बताया जा रहा है कि बैठक के दौरान कई लोकसभा सीटों चर्चा के दौरान पदाधिकारी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करते हुए आमने-सामने हो गए थे.