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मध्य प्रदेश में विधायक हाजिर हों, संगठन और सरकार के इस कॉल की क्या है वजह - BJP MLA Visit Bhopal

बीजेपी नाराज और रूठे विधायकों को लेकर नया प्रयोग शुरू करने जा रही है. जहां दो दिन बीजेपी विधायकों को भोपाल बुलाया जा रहा है. बता दें संभागवार हुई बैठकों में पार्टी को कई शिकायतें मिली हैं, जिसके समाधान को लेकर यह प्रयोग शुरू किया गया है.

BJP MLA VISIT BHOPAL
संगठन और सरकार के इस कॉल की क्या है वजह (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 5, 2024, 6:05 PM IST

भोपाल। बीस साल बाद एमपी बीजेपी संगठन और सरकार के बीच समन्वय के साथ जो नया प्रयोग होने जा रहा है. आखिर उसकी वजह क्या है. 2003 में जब बीजेपी में कप्तान सिंह सोलंकी मंगठन महामंत्री थे. उस समय मंत्रियों को कार्यकर्ताओं की शिकायतें सुनने बीजेपी मुख्यालय में भी दो दिन बिठाया जाता था. अब नई व्यववस्था में जो सोमवार और मंगलवार का दिन बीजेपी के विधायकों को भोपाल बुलाया जा रहा है. सवाल ये है कि बीजेपी में अचानक लिए गए इस कॉल की वजह क्या है. इसी मंगलवार से ये व्यवस्था शुरु होने जा रही है.

48 घंटे राजधानी में ही रहें माननीय..माजरा क्या है

एमपी में अमूमन चुनाव के दौरान फूटने वाले गुस्से को क्या बीजेपी संगठन और सरकार ने इस बार समय से बहुत पहले ही साध लिया है. विधायकों की नाराजगी अमूमन इस बात को लेकर होती है कि उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. पिछले दिनों जो संभागवार बैठकें हुई. उसमें भी इसी तरह की शिकायतें आई. इस बार क्या समय से पहले विधायकों की शिकायतों के समाधान की ये तैयारी है. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं, 'देखिए 2005 से अब तक देखें तो एमपी में बीजेपी सरकार का चेहरा कमोबेश एक सा ही रहा है. अब जब बदलाव हुआ है, तो महत्वपूर्ण बात ये है कि वो बदलाव दिखाई भी दे रहा है. हफ्ते में दो दिन विधायकों का राजधानी में रहना और अपने क्षेत्र के विकास कार्यों को लेकर प्रयास करना. इस दिशा में उठाया गया एक सार्थक कदम है. सीएम डॉ मोहन यादव ने निर्णय लेने में देर नहीं लगाई. अब हाथ के हाथ काम हो सके, उसका सिस्टम बना दिया गया है.'

सोमवार मंगलवार के दिन ही क्यों

डॉ मोहन यादव के साथ पूरे मंत्रिमण्डल और बीजेपी विधायकों के लिए आखिर सोमवार और मंगलवार को ही भोपाल में रहने की व्यवस्था क्यों की गई. सवाल ये भी है. वरिष्ठ पत्रकार पवन देवलिया कहते हैं, 'असल में मंगलवार को ही भोपाल में कैबिनेट की मीटिंग होती है. तो इस दिन विधायकों का मंत्रियों से मिलना सुलभ हो जाएगा. दूसरे सप्ताह की शुरुआत के दिन अधिकारियों से भी ये अपने काम के संबंध में चर्चा कर सकेंगे.

यहां पढ़ें...

'छोटे-छोटे सवाल मत किया करो मुझसे', लोकल समस्याओं के प्रश्न पर भड़के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय

जो नाम लिखेगा वह हिंदू जो नहीं लिखेगा वह..., नेमप्लेट मामले में साध्वी प्रज्ञा की एंट्री

2003 में बीजेपी मुख्यालय में दो दिन बैठते थे मंत्री

2003 में जब दस साल के दिग्विजय शासनकाल के बाद बीजेपी की सरकार आई थी. तब बीजेपी संगठन की ओर से ये व्यवस्था की गई थी कि हफ्ते में दो दिन बीजेपी सरकार के मंत्री पार्टी मुख्यालय में बैठते थे. ताकि कार्यकर्ताओं की दिक्कतों का समाधान कर सकें और उन्हें मंत्रियों के बंगले के चक्कर ना काटने पड़े. उस समय के संगठन महामंत्री कप्तान सिंह सोलंकी ने ये व्यवस्था बनाई थी. हालांकि ये व्यवस्था बहुत साल चल नहीं पाई.

भोपाल। बीस साल बाद एमपी बीजेपी संगठन और सरकार के बीच समन्वय के साथ जो नया प्रयोग होने जा रहा है. आखिर उसकी वजह क्या है. 2003 में जब बीजेपी में कप्तान सिंह सोलंकी मंगठन महामंत्री थे. उस समय मंत्रियों को कार्यकर्ताओं की शिकायतें सुनने बीजेपी मुख्यालय में भी दो दिन बिठाया जाता था. अब नई व्यववस्था में जो सोमवार और मंगलवार का दिन बीजेपी के विधायकों को भोपाल बुलाया जा रहा है. सवाल ये है कि बीजेपी में अचानक लिए गए इस कॉल की वजह क्या है. इसी मंगलवार से ये व्यवस्था शुरु होने जा रही है.

48 घंटे राजधानी में ही रहें माननीय..माजरा क्या है

एमपी में अमूमन चुनाव के दौरान फूटने वाले गुस्से को क्या बीजेपी संगठन और सरकार ने इस बार समय से बहुत पहले ही साध लिया है. विधायकों की नाराजगी अमूमन इस बात को लेकर होती है कि उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. पिछले दिनों जो संभागवार बैठकें हुई. उसमें भी इसी तरह की शिकायतें आई. इस बार क्या समय से पहले विधायकों की शिकायतों के समाधान की ये तैयारी है. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं, 'देखिए 2005 से अब तक देखें तो एमपी में बीजेपी सरकार का चेहरा कमोबेश एक सा ही रहा है. अब जब बदलाव हुआ है, तो महत्वपूर्ण बात ये है कि वो बदलाव दिखाई भी दे रहा है. हफ्ते में दो दिन विधायकों का राजधानी में रहना और अपने क्षेत्र के विकास कार्यों को लेकर प्रयास करना. इस दिशा में उठाया गया एक सार्थक कदम है. सीएम डॉ मोहन यादव ने निर्णय लेने में देर नहीं लगाई. अब हाथ के हाथ काम हो सके, उसका सिस्टम बना दिया गया है.'

सोमवार मंगलवार के दिन ही क्यों

डॉ मोहन यादव के साथ पूरे मंत्रिमण्डल और बीजेपी विधायकों के लिए आखिर सोमवार और मंगलवार को ही भोपाल में रहने की व्यवस्था क्यों की गई. सवाल ये भी है. वरिष्ठ पत्रकार पवन देवलिया कहते हैं, 'असल में मंगलवार को ही भोपाल में कैबिनेट की मीटिंग होती है. तो इस दिन विधायकों का मंत्रियों से मिलना सुलभ हो जाएगा. दूसरे सप्ताह की शुरुआत के दिन अधिकारियों से भी ये अपने काम के संबंध में चर्चा कर सकेंगे.

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2003 में बीजेपी मुख्यालय में दो दिन बैठते थे मंत्री

2003 में जब दस साल के दिग्विजय शासनकाल के बाद बीजेपी की सरकार आई थी. तब बीजेपी संगठन की ओर से ये व्यवस्था की गई थी कि हफ्ते में दो दिन बीजेपी सरकार के मंत्री पार्टी मुख्यालय में बैठते थे. ताकि कार्यकर्ताओं की दिक्कतों का समाधान कर सकें और उन्हें मंत्रियों के बंगले के चक्कर ना काटने पड़े. उस समय के संगठन महामंत्री कप्तान सिंह सोलंकी ने ये व्यवस्था बनाई थी. हालांकि ये व्यवस्था बहुत साल चल नहीं पाई.

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