आगरा : सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी आरक्षण की व्यवस्था में बदलाव करके क्रीमीलेयर को चिन्हित कर बाहर करने के फैसले पर भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री डॉ. जीएस धर्मेश ने असहमति जताई है. उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मंत्री समूह की बैठक बुलाकर कोर्ट का फैसला बदलने की मांग की जाएगी. बता दें कि, बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण की व्यवस्था में बदलाव की बात कही थी. जिसे लेकर देश भर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. हर दल के नेता और एससी-एसटी के नेता इससे असहमत हैं.
पहले भी सुनाए फैसले पर हुआ था विरोध : आगरा की छावनी विधानसभा से भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री डॉ. जीएस धर्मेश की अध्यक्षता में रविवार शाम सर्किट हाउस में एक बैठक हुई. जिसमें सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी आरक्षण को लेकर दिए गए फैसले की समीक्षा की गई. भाजपा विधायक डॉ. जीएस धर्मेश ने कहा कि, 2 अप्रैल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम को कमजोर करने का फैसला सुनाया था. तब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में देश भर में प्रदर्शन हुए थे. जिस पर केंद्र सरकार के कैबिनेट की बैठक बुलाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदल दिया था. इसी बार भी ऐसा ही होना चाहिए. केंद्र सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए.
मंत्री समूह की बैठक बुलाकर लाएं अध्यादेश : भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री डॉ. जीएस धर्मेश ने बताया कि, एससी-एसटी आरक्षण की व्यवस्था में बदलाव से समाज के लोग सहमत नहीं हैं. सभी असहमति हैं. इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर अनुरोध किया जाएगा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अमल नहीं किया जाए. जल्द केंद्र सरकार की ओर से मंत्री समूह की बैठक बुलाकर अध्यादेश लाया जाए. जिससे एससी-एसटी आरक्षण की व्यवस्था जैसे थी वैसी ही बनी रहे.
ये है सुप्रीम कोर्ट का फैसला : सुप्रीम कोर्ट ने बीते गुरुवार को अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था को लेकर फैसला सुनाया है. जिसमें शीर्ष अदालत ने कोटे में कोटा यानी आरक्षण के भीतर आरक्षण पर मुहर लगाई है. शीर्ष कोर्ट ने एससी-एसटी वर्ग के आरक्षण में से क्रीमीलेयर को चिन्हित करके बाहर किए जाने की जरूरत पर भी बल दिया है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग के ही ज्यादा जरूरतमंदों को आरक्षण का लाभ देने के लिए राज्य उनका उपवर्गीकरण कर सकते हैं.
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