जोधपुर: पूर्व राज्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता मोहन मेघवाल का अंतिम संस्कार मंगलवार को हुआ. इससे पहले उनके अंतिम दर्शन के घर के बाहर उनकी पार्थिव देह को श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी. भाजपा नेता और कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल, विधायक अतुल भंसाली सहित अन्य नेता दर्शन करने पहुंचे. शव यात्रा के दौरान उनकी देह भाजपा के झंडे से लिपटी नजर आई, जिसमें भारी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता और आमजन शामिल हुए.
उनके निधन पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित पूरी मारवाड़ के नेताओं ने शोक व्यक्त किया है. कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल ने मेघवाल को गरीबों के लिए संघर्ष करने वाला नेता बताया. जबकि विधायक अतुल भंसाली ने कहा कि उन्होंने भाजपा में कार्यकर्ता निर्माण को बढ़ावा दिया था. मेघवाल का सोमवार को निधन हुआ था.
मोहन मेघवाल ने सूरसागर विधानसभा का तीन बार प्रतिनिधित्व किया था. हमेशा जनता के बीच उनके होकर रहने वाले मेघवाल लोगों में 'भइसा' के नाम से प्रसिद्ध थे. मोहन मेघवाल के चार पुत्र लीलाधर (पार्षद), धुरेंद्र व महेंद्र भाजपा में सक्रिय हैं, जबकि धर्मेंद्र टीचर हैं. उनकी तीन पुत्रियां भी हैं.
आपातकाल में नजरबंद रहे, मंत्री को हराकर विधानसभा पहुंचे : मोहन मेघवाल जनसंघ से जुड़े थे. 1975 में आपातकाल लगा तो उनको नजरबंद कर दिया गया. उसके बाद वे राजनीति में सक्रिय हो गए. वो संघ को अपना गुरुकुल मनाते थे. उस समय मोहन मेघवाल कुरुक्षेत्र में भाजपा में अनुसूचित जाति के एकमात्र नेता थे. पहली बार 1990 में विधानसभा का चुनाव लड़ा और उस समय के मंत्री नरपतराम बरवड़ को हराकर विधानसभा पहुंचे. बाद में भैरोंसिंह शेखावत सरकार में मंत्री बने थे.
राजस्थान के मंत्री रहे आदरणीय श्री मोहन मेघवाल जी के देहावसान की सूचना से मन व्यथित है। राजनीति की भाँति सामाजिक क्षेत्र में भी अपनी विनम्रता ,सहृदयता और सदाशयता के चलते गहरी लोकप्रियता रखने वाले सामान्य लोगों द्वारा “भईसा” नाम से जाने जाने वाले सूरसागर से विधायक भी थे। संगठन और… pic.twitter.com/nkSOxzE6YT
— Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) October 21, 2024
परिसीमन में हालत बदले, टिकट कटा लेकिन पार्टी नहीं छोड़ी : मेघवाल 1980 से 1989 तक भाजपा के जिलाध्यक्ष भी रहे. परिसीमन के बाद 2003 में सूरसागर सामान्य सीट हो गई. भाजपा ने सूर्यकांता व्यास जीजी को जोधपुर शहर की बजाय सूरसागर सीट से प्रत्याशी बनाया. तब मोहन मेघवाल को लोगों ने बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए खूब प्रेरित किया, लेकिन गुरुकुल का ध्यान आते ही उन्होंने भाजपा प्रत्याशी का ऐसा प्रचार शुरू कर दिया, मानो वे खुद ही चुनाव लड़ रहे हैं. यह चुनाव जीजी ने जीता था.