नई दिल्ली: दिल्ली वालों के बकाया पानी का बिल माफ करने के लिए केजरीवाल सरकार द्वारा लाई जाने वाली वन टाइम सेटलमेंट स्कीम को अधिकारी स्वीकृति नहीं दे रहे हैं. यह मुद्दा आज सोमवार को दिल्ली विधानसभा में भी उठा. दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस योजना को लेकर विधानसभा अध्यक्ष से मांग की कि इस पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा कराई जाए. इसके बाद अध्यक्ष ने इसकी इजाजत दी और चर्चा की शुरुआत हुई.
साथ ही केजरीवाल ने विधानसभा में नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी को कहा कि वह भी इस स्कीम को लागू करवाने में सहयोग करें. जनता के हित से जुड़े कामों में अगर सहयोग करते हैं तो वह भी लालकिले से अपील करेंगे की सब बीजेपी को वोट दें.
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "हमारी सरकार की एक पॉलिसी लागू नहीं हो रही है और उस पॉलिसी को लागू करने के लिए आज विधानसभा में चर्चा हो रही है. दिल्ली के लोगों का पानी बिल गलत आ रहा है. दिल्ली आधा राज्य है, लेकिन हमें लगता है पांच फीसद राज्य है. अगर यह पूर्ण राज्य होता तो किसी अधिकारी की हिम्मत नहीं होती कि वह किसी मंत्री की, मुख्यमंत्री के आदेश को ना माने, दिल्ली बहुत गंदी और नीच राजनीति का शिकार है."
उन्होंने कहा, "दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है इसलिए रियल पावर केंद्र सरकार के पास है. 27 लाख पानी के उपभोक्ताओं में से 10.50 लाख लोगों ने बिल नहीं दिया है. वह बिल देना चाहते हैं लेकिन उन्हें लगता है कि उनके बिल गलत आए हैं. इसलिए काफी अध्ययन के बाद वन टाइम सेटलमेंट स्कीम योजना लेकर आए हैं. गलत बिल मिलने का एक बड़ा कारण है कोरोना महामारी के दौरान बिल की रीडिंग लेने रीडर्स नहीं गए."
केजरीवाल बोलें, "दिल्ली जल बोर्ड का रेवेन्यू फंसा है. लोग बिल नहीं दे रहे हैं. आज स्थिति यह है कि इस स्कीम को कैबिनेट में लाना है. कैबिनेट पास करेगी तो यह लागू होगी. इसके लिए फाइनेंस सेक्रेटरी को अपने कॉमेंट्स देना हैं. फाइनेंस सेक्रेटरी ने फाइल पर लिख दिया कि वह कमेंट नहीं देते. मंत्रियों ने इन अधिकारियों को बुलाया तो अधिकारियों ने बताया कि ऊपर से आदेश है. सीनियर आईएएस ऑफिसर को धमकी दी जा रही है, उनका कहना है कि अगर इस स्कीम को पास कर दी तो तुम्हें सस्पेंड कर देंगे."
मुख्यमंत्री बोलें, 'अधिकारी को धमकी दी जा रही है. उपराज्यपाल ने कहा कि उनको इसके बारे में जानकारी नहीं है. इससे उनका कोई लेना-देना नहीं है.' अंत में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सदन के माध्यम से उपराज्यपाल से अनुरोध करता हूं कि एक बार इस अधिकारियों को फोन भी कर देंगे शाम तक स्कीम पास हो जाएगी. अगर आपके फोन के बाद भी अफसर नहीं करें तो आपके पास पावर है कि इनको सस्पेंड कर दिया जाए.
इससे पहले आम आदमी पार्टी के विधायक सोमनाथ भारती ने कहा, ऐसी योजना जिससे 10.50 लाख लोगों की समस्या का समाधान हो सके, सरकार इसे करने के लिए तैयार है लेकिन अधिकारी अड़ंगा लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि क्या चुनी हुई सरकार जनता की समस्या का समाधान नहीं कर सकती. इसके बाद आम आदमी पार्टी के विधायक राजेंद्र पाल गौतम, महेंद्र गोयल, रवि विशेष समेत कई सदस्यों ने इस पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोग अपने बकाया बिल को लेकर स्थाई समाधान चाहते हैं.
वहीं, चर्चा के दौरान नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा, "सरकार की जो कथनी और करनी है, इससे जनता में आम आदमी पार्टी सरकार की छवि खराब हो रही है. लोगों के जो पानी का बिल हैं वह लाखों में भिजवाती हैं. उसके बाद नाटक करते हैं कि ज्यादा बिल माफ कर दिया जाए.
बता दें, रविवार को आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में पानी के बढ़े हुए बिलों की समस्या को लेकर आंदोलन करने का फैसला लिया था. पार्टी का आरोप है कि दिल्ली सरकार की तरफ से निकाली जाने वाली वन टाइम सेटलमेंट स्कीम पर अफसरों के द्वारा रोक लगा दी है. दिल्ली के उपराज्यपाल के हस्तक्षेप और दबाव के चलते दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने इस स्कीम को लागू करने से इनकार कर दिया है.
क्या है वन टाइम सेटलमेंट स्कीम: दिल्ली सरकार ने 2023 के जून में दिल्ली जल बोर्ड ने एक वैज्ञानिक तरीके से कंप्यूटराइज वन टाइम सेटलमेंट स्कीम बनाई थी. इसमें पुराने बढ़े हुए बिलों को एक बार में सेटलमेंट करने का एक फार्मूला तैयार किया गया था. करीब साढ़े 10 लाख कंज्यूमर जिनके बिलों पर कुछ ना कुछ विवाद है उन्होंने अपने बिलों का भुगतान नहीं किया था.
उनके पानी की खपत के असली बिलों को निकाल कर बिल जनरेट करने का प्रावधान रखा गया था और उनको सेटलमेंट के लिए वन टाइम ऑफर का प्रावधान रखा गया था. अगर किसी का पुराना बिल दो लाख रुपए का है और सेटलमेंट में उसको कहा जाता है कि वह 30,000 जमा कर दे तो उसका पुराना सारा बिल क्लियर हो जाएगा और जीरो से उसके बिल की शुरुआत हो जाएगी.