जयपुर. लोकसभा चुनाव में राजस्थान से भाजपा को उम्मीद से विपरीत परिणाम देखने को मिले न केवल मिशन 25 फेल हुआ, बल्कि 11 सीटों पर बड़ी हार हुई. 25 में सिर्फ 14 सीटों पर ही जीत मिली और 11 सीटो पर हार हुई तो पार्टी ने कारण खोजने के लिए प्रदेश भाजपा मुख्यालय में दो दिन तक मैराथन बैठक की. बैठक में आपसी कलह, संगठनात्मक कमजोरी, टिकट वितरण और अपनों की दगाबाजी सबसे प्रमुख कारणों में सामने आए. बैठक में प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, चुनाव प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे, राष्ट्रीय संगठक वी सतीश और सहप्रभारी विजया राहटकर ने बारी-बारी से सभी हारी हुई लोकसभा सीटों के जिला अध्यक्ष, लोकसभा प्रभारी ,सांसद प्रत्याशी सहित तमाम पदाधिकारी से चर्चा कर पूरा फीडबैक लिया.
इन 11 सीटों पर हुई दो दिन चर्चा : बैठक में पहले दौर में शनिवार को 7 लोकसभा सीटों पर चर्चा हुई, जिसमे टोंक - सवाईमाधोपुर, दौसा, झुंझुनू , नागौर, सीकर, चूरू, बाड़मेर सीट थी. वहीं दूसरे दिन रविवार को भरतपुर, करौली - धौलपुर, गंगानगर और डूंगरपुर - बांसवाड़ा लोकसभा सीटों का फीडबैक लिया गया. बैठक में कई नेताओं ने कहा कि हार में अपने लोग भी बड़ा कारण रहे, इनका फीडबैक पहले ही दे दिया था, लेकिन इनका कुछ नही किया गया. इन नेताओं ने साथ रहने का नाटक किया, लेकिन उनके समर्थकों ने पार्टी को हरवा दिया. इसके साथ टिकट वितरण में स्थानीय नेताओं की राय को नजरअंदाज किया गया. ऐसे प्रत्ययाशी को टिकट दिया, जिसकी क्षेत्र में पकड़ होना तो दूर, वहां पर विरोध था. पार्टी के निर्देश के बाद भी कई नेता प्रत्याशियों के साथ में नहीं थे बल्कि उन्हें हराने के लिए भीतरघात कर रहे थे. बताया जा रहा है कि बैठक के दौरान कई लोकसभा सीटों चर्चा के दौरान पदाधिकारी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते हुए आमने - सामने हो गए थे.
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आगे भी चुनोती : बता दें कि फीडबैक के आधार पर कई नेताओं के नंबर घटेंगे- बढ़ेंगे. संगठन और राजनीतिक नियुक्तियों में इसका असर देखने को मिलेगा. जो नेता चुनाव में पूरी तरह से सक्रिय नहीं रहे उनका कद घटेगा, जिन्होंने मेहनत की उन्हें उसका लाभ मिलेगा. बैठक में प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने सभी से आह्वान किया कि लोकसभा चुनाव की हार से सबक लेना है और आने वाले समय में होने वाले पंचायत चुनाव, निकाय चुनाव और उपचुनाव में सबको मिलकर काम करना होगा. उन्होंने कहा कि अभी और चुनाव होने हैं ऐसे में इन हार के कारणों से सबक लेते हुए गलतियों की पुनरावृत्ति न करके मिल कर चुनाव लड़ें.