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उपचुनाव व विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारी; नौकरियों में दलित-पिछड़ों को आरक्षण दिलाने का मास्टरस्ट्रोक, जानिए क्या है प्लानिंग? - BJP government - BJP GOVERNMENT

यूपी में लोकसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन (BJP government) के बाद भाजपा सरकार ने मास्टरस्ट्रोक चलने की शुरुआत कर दी है.

उपचुनाव व विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारी
उपचुनाव व विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारी (फोटो क्रेडिट : Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 12, 2024, 10:03 PM IST

Updated : Jul 12, 2024, 10:15 PM IST

उपचुनाव व विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारी (वीडियो क्रेडिट : ETV bharat)

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भाजपा सरकार ने उपचुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर परफॉर्मेंस की कवायद तेज कर दी है. इसी कड़ी में एक मास्टरस्ट्रोक चलने की शुरुआत कर कर दी गई है. भाजपा का मानना है उसके जो कोर वोटर थे वह 2014, 2017, 2019 और 2022 के चुनाव में भाजपा के साथ उत्तर प्रदेश में थे, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में यह वोटर इंडिया गठबंधन के साथ चले गए. जिससे उत्तर प्रदेश में पार्टी का बेहद नुकसान हुआ.

सहकारी आवास निर्माण एवं वित्त निगम लि,
सहकारी आवास निर्माण एवं वित्त निगम लि, (फोटो क्रेडिट : ETV bharat)


वहीं, अब जो दलित और ओबीसी वोटर समाजवादी पार्टी कांग्रेस के पाले में गए हैं, उनको वापस लाने की प्लानिंग करना शुरू कर दिया है. विधानमंडल में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं विमुक्त समिति की बैठक में सभी विभागाध्यक्षों से रिपोर्ट मांगी गई है कि आउटसोर्सिंग और संविदा पर हुई भर्तियों में क्या आरक्षण लागू है या नहीं, लागू नहीं है तो क्यों न इसको जल्दी से लागू किया जाए. इसको लेकर पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी की लखनऊ में राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष में बैठक की थी, जिसमें यह बात सामने आई तो अब इस पर काम करने के दिशा निर्देश दिए गए हैं.

लोक निर्माण विभाग
लोक निर्माण विभाग (फोटो क्रेडिट : ETV bharat)


दरअसल, उत्तर प्रदेश में वर्ष 2012 से आउटसोर्सिंग और संविदा पर सरकारी विभागों, निगमों और स्वायत्तशासी संस्थानों में होने वाली भर्तियों में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाता है. 2008 में मायावती सरकार ने एक शासनादेश के माध्यम से यह व्यवस्था शुरू की थी कि प्रदेश में आउटसोर्सिंग और संविदा की भर्तियों में दलित पिछड़ा आरक्षण आरक्षण के अनुपात के अनुसार ही दिया जाएगा और यह व्यवस्था चल रही थी, लेकिन जब 2012 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो नौकरियों में आउटसोर्स और संविदा भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया. इसके बाद से यह बिना आरक्षण के आउटसोर्सिंग और संविदा के आधार पर विभागों में नौकरियां देने का सिलसिला चलता रहा, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान इंडिया गठबंधन के अंतर्गत समाजवादी पार्टी यह प्रचारित करने में सफल रही की आउटसोर्सिंग संविदा व अन्य भर्तियों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार दलित पिछड़ों को आरक्षण का लाभ नहीं दे रही है. इसके अलावा कई मुद्दों को लेकर दलित व पिछड़े समाज के वोटर भारतीय जनता पार्टी से दूर चले गए, जिसका खामियाजा सब भारतीय जनता पार्टी को उठाना पड़ा.

सहकारिता भवन
सहकारिता भवन (फोटो क्रेडिट : ETV bharat)


अब जब उत्तर प्रदेश में उपचुनाव और 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं उसको लेकर दलित पिछड़े समाज का वोट बैंक अपने पक्ष में लाने की कवायद तेज हो गई है. क्या, कैसे और किस रणनीति के आधार पर कहां-कहां क्या-क्या किया जा सकता है इस पर बातचीत शुरू की गई है. वहीं, सरकार और भाजपा संगठन के स्तर पर पहल भी शुरू कर दी गई है. पिछले दिनों लखनऊ प्रवास पर आए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष की बैठक में दलित समाज, पिछड़े समाज के नेताओं ने इस बात को पुरजोर तरीके से उठाया. कहा गया कि आउटसोर्सिंग और संविदा के आधार पर मिलने वाली नौकरियों में दलित और पिछड़े समाज को मिलने वाला आरक्षण नहीं दिया जा रहा है. इससे दलित व पिछड़े समाज में बीजेपी के प्रति नाराजगी है और स्वाभाविक रूप से इसका खामियाजा चुनाव में भाजपा को उठाना पड़ा है. इस पूरी कवायद के बाद विधानमंडल की अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति विमुक्त जाति की संयुक्त समिति के स्तर पर एक बैठक की गई, जिसमें सभी विभाग अध्यक्षों से यह रिपोर्ट तलब की गई है कि आखिर क्यों आउटसोर्सिंग वह संविदा के आधार पर भर्ती प्रक्रिया में पिछड़े दलित समाज के लोगों को आरक्षण नहीं दिया जा रहा है? साथ ही यह व्यवस्था लागू किए जाने को लेकर भी दिशा निर्देश दिए गए हैं, लेकिन उससे पहले पूरी रिपोर्ट तलब की गई है.

बापू भवन
बापू भवन (फोटो क्रेडिट: ETV bharat)

विधानमंडल की अनुसूचित जाति, जनजाति एवं विमुक्त जाति की संयुक्त समिति के सभापति पूर्व मंत्री श्रीराम चौहान ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि समिति की बैठक की गई है, जिसमें आउटसोर्सिंग और संविदा के आधार पर भर्ती प्रक्रिया में दलित, पिछड़े समाज को मिलने वाले आरक्षण का लाभ दिए जाने को लेकर रिपोर्ट मांगी गई है. पूर्व में जो शासनादेश लागू किया गया था. उन्होंने कहा कि बसपा सरकार में जो आरक्षण देने की व्यवस्था थी उसे 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार में समाप्त कर दिया गया था. जिससे दलित और पिछड़े समाज के लोगों को आउटसोर्सिंग संविदा पर नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया. हम इस व्यवस्था को शुरू करने को लेकर काम कर रहे हैं. आने वाले समय में यूपी की सभी विभागों, निगम व अन्य संस्थाओं में संविदा या आउटसोर्सिंग पर जो नियुक्ति प्रक्रिया होगी, उसमें दलित, पिछड़े समाज को मिलने वाले आरक्षण के अनुपात के आधार पर लाभ दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश में उपचुनाव; 10 विधानसभा सीटों पर भाजपा के 100 नेताओं ने ठोंकी दावेदारी - BY POLLS UP

यह भी पढ़ें : सपा सांसद अवधेश प्रसाद बोले- अयोध्या में कौड़ियों के दाम देकर किसानों की अरबों की जमीन ले ली गयी, जमकर हुआ करप्शन - Ayodhya News

उपचुनाव व विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारी (वीडियो क्रेडिट : ETV bharat)

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भाजपा सरकार ने उपचुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर परफॉर्मेंस की कवायद तेज कर दी है. इसी कड़ी में एक मास्टरस्ट्रोक चलने की शुरुआत कर कर दी गई है. भाजपा का मानना है उसके जो कोर वोटर थे वह 2014, 2017, 2019 और 2022 के चुनाव में भाजपा के साथ उत्तर प्रदेश में थे, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में यह वोटर इंडिया गठबंधन के साथ चले गए. जिससे उत्तर प्रदेश में पार्टी का बेहद नुकसान हुआ.

सहकारी आवास निर्माण एवं वित्त निगम लि,
सहकारी आवास निर्माण एवं वित्त निगम लि, (फोटो क्रेडिट : ETV bharat)


वहीं, अब जो दलित और ओबीसी वोटर समाजवादी पार्टी कांग्रेस के पाले में गए हैं, उनको वापस लाने की प्लानिंग करना शुरू कर दिया है. विधानमंडल में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं विमुक्त समिति की बैठक में सभी विभागाध्यक्षों से रिपोर्ट मांगी गई है कि आउटसोर्सिंग और संविदा पर हुई भर्तियों में क्या आरक्षण लागू है या नहीं, लागू नहीं है तो क्यों न इसको जल्दी से लागू किया जाए. इसको लेकर पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी की लखनऊ में राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष में बैठक की थी, जिसमें यह बात सामने आई तो अब इस पर काम करने के दिशा निर्देश दिए गए हैं.

लोक निर्माण विभाग
लोक निर्माण विभाग (फोटो क्रेडिट : ETV bharat)


दरअसल, उत्तर प्रदेश में वर्ष 2012 से आउटसोर्सिंग और संविदा पर सरकारी विभागों, निगमों और स्वायत्तशासी संस्थानों में होने वाली भर्तियों में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाता है. 2008 में मायावती सरकार ने एक शासनादेश के माध्यम से यह व्यवस्था शुरू की थी कि प्रदेश में आउटसोर्सिंग और संविदा की भर्तियों में दलित पिछड़ा आरक्षण आरक्षण के अनुपात के अनुसार ही दिया जाएगा और यह व्यवस्था चल रही थी, लेकिन जब 2012 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो नौकरियों में आउटसोर्स और संविदा भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया. इसके बाद से यह बिना आरक्षण के आउटसोर्सिंग और संविदा के आधार पर विभागों में नौकरियां देने का सिलसिला चलता रहा, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान इंडिया गठबंधन के अंतर्गत समाजवादी पार्टी यह प्रचारित करने में सफल रही की आउटसोर्सिंग संविदा व अन्य भर्तियों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार दलित पिछड़ों को आरक्षण का लाभ नहीं दे रही है. इसके अलावा कई मुद्दों को लेकर दलित व पिछड़े समाज के वोटर भारतीय जनता पार्टी से दूर चले गए, जिसका खामियाजा सब भारतीय जनता पार्टी को उठाना पड़ा.

सहकारिता भवन
सहकारिता भवन (फोटो क्रेडिट : ETV bharat)


अब जब उत्तर प्रदेश में उपचुनाव और 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं उसको लेकर दलित पिछड़े समाज का वोट बैंक अपने पक्ष में लाने की कवायद तेज हो गई है. क्या, कैसे और किस रणनीति के आधार पर कहां-कहां क्या-क्या किया जा सकता है इस पर बातचीत शुरू की गई है. वहीं, सरकार और भाजपा संगठन के स्तर पर पहल भी शुरू कर दी गई है. पिछले दिनों लखनऊ प्रवास पर आए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष की बैठक में दलित समाज, पिछड़े समाज के नेताओं ने इस बात को पुरजोर तरीके से उठाया. कहा गया कि आउटसोर्सिंग और संविदा के आधार पर मिलने वाली नौकरियों में दलित और पिछड़े समाज को मिलने वाला आरक्षण नहीं दिया जा रहा है. इससे दलित व पिछड़े समाज में बीजेपी के प्रति नाराजगी है और स्वाभाविक रूप से इसका खामियाजा चुनाव में भाजपा को उठाना पड़ा है. इस पूरी कवायद के बाद विधानमंडल की अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति विमुक्त जाति की संयुक्त समिति के स्तर पर एक बैठक की गई, जिसमें सभी विभाग अध्यक्षों से यह रिपोर्ट तलब की गई है कि आखिर क्यों आउटसोर्सिंग वह संविदा के आधार पर भर्ती प्रक्रिया में पिछड़े दलित समाज के लोगों को आरक्षण नहीं दिया जा रहा है? साथ ही यह व्यवस्था लागू किए जाने को लेकर भी दिशा निर्देश दिए गए हैं, लेकिन उससे पहले पूरी रिपोर्ट तलब की गई है.

बापू भवन
बापू भवन (फोटो क्रेडिट: ETV bharat)

विधानमंडल की अनुसूचित जाति, जनजाति एवं विमुक्त जाति की संयुक्त समिति के सभापति पूर्व मंत्री श्रीराम चौहान ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि समिति की बैठक की गई है, जिसमें आउटसोर्सिंग और संविदा के आधार पर भर्ती प्रक्रिया में दलित, पिछड़े समाज को मिलने वाले आरक्षण का लाभ दिए जाने को लेकर रिपोर्ट मांगी गई है. पूर्व में जो शासनादेश लागू किया गया था. उन्होंने कहा कि बसपा सरकार में जो आरक्षण देने की व्यवस्था थी उसे 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार में समाप्त कर दिया गया था. जिससे दलित और पिछड़े समाज के लोगों को आउटसोर्सिंग संविदा पर नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया. हम इस व्यवस्था को शुरू करने को लेकर काम कर रहे हैं. आने वाले समय में यूपी की सभी विभागों, निगम व अन्य संस्थाओं में संविदा या आउटसोर्सिंग पर जो नियुक्ति प्रक्रिया होगी, उसमें दलित, पिछड़े समाज को मिलने वाले आरक्षण के अनुपात के आधार पर लाभ दिया जाएगा.

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Last Updated : Jul 12, 2024, 10:15 PM IST
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