पटनाः बिहार से बड़ी संख्या में सांसद देने के बावजूद बीजेपी के केंद्रीय संगठन में राज्य के नेताओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है. बिहार बीजेपी की सशक्त भूमिका और राजनीतिक अहमियत के बावजूद, पिछले कई वर्षों से केंद्रीय टीम में महामंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर किसी नेता को शामिल नहीं किया गया. आनेवाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस बार बिहार के नेताओं को केंद्रीय संगठन में जगह मिलने की उम्मीदें तेज हो गई हैं.
बिहार को नहीं मिली जगह: लंबे अरसे से महामंत्री का पद बिहार के खाते में नहीं आया. जब जब केंद्र में भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनी है, तब तब बिहार भाजपा ने दर्जन भर से अधिक सांसद दिए हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल में तीन से चार नेताओं को जगह दी जाती है. प्रदेश मंत्री के तौर पर नेताओं को भाजपा की केंद्रीय टीम में जगह तो मिल जाती है लेकिन लंबे अरसे से महामंत्री का पद बिहार के खाते में नहीं आया है.
"बिहार से कई ऐसे नेता है जिन्हें दूसरे राज्यों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली हुई है. इन नेताओं ने बेहतर काम किए हैं और उसके नतीजे भी सामने आए हैं. केंद्रीय नेतृत्व ने भी इस बात को समझा है. हम लोग भी उम्मीद करते हैं कि बिहार से किसी नेता को केंद्रीय टीम में बतौर महामंत्री जगह मिलेगी."- विनोद शर्मा, भाजपा प्रवक्ता
रवि शंकर रह चुके हैं महामंत्रीः पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान सांसद रवि शंकर प्रसाद महामंत्री रह चुके हैं. नितिन गडकरी की टीम में रवि शंकर प्रसाद महामंत्री थे. उसके बाद से अब तक किसी नेता को बिहार से महामंत्री का पद नहीं मिला है. दिवंगत सुशील मोदी को केंद्रीय टीम में उपाध्यक्ष बनाया गया था, इसके अलावा राधा मोहन सिंह भी उपाध्यक्ष रह चुके हैं. फिलहाल, राष्ट्रीय मंत्री के रूप में ऋतुराज सिन्हा को राष्ट्रीय टीम में जगह मिली हुई है.
मंगल पांडे दौड़ में सबसे आगेः वर्तमान परिस्थितियों में बिहार भाजपा के कई ऐसे युवा नेता हैं, जिनको दूसरे राज्यों की जिम्मेदारी मिली हुई है. इनमें मंगल पांडे भी हैं. वे फिलहाल पश्चिम बंगाल के प्रभारी हैं और उनके नेतृत्व में दो लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं. मंगल पांडे को महामंत्री बनाए जाने की चर्चा है. राजनीतिक सूत्रों की मानें तो स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का नाम सबसे आगे चल रहा है.
नितिन नवीन का भी नाम चर्चा मेंः नगर विकास मंत्री नितिन नवीन का नाम भी सुर्खियों में है. नितिन नवीन फिलहाल छत्तीसगढ़ के प्रभारी हैं. छत्तीसगढ़ में नितिन नवीन के कार्यकाल में सरकार बनी है. लोकसभा चुनाव में भी बेहतर नतीजे आए हैं. इससे पहले छत्तीसगढ़ में नितिन नवीन सह प्रभारी के रूप में भी काम कर चुके हैं. नितिन नवीन को भी युवा नेता होने के चलते महामंत्री पद की जिम्मेदारी दे सकती है.
पिछड़ा वर्ग में संजीव चौरसिया सबसे आगेः बिहार की राजनीति में पिछड़ा वर्ग महत्वपूर्ण है. ऐसे में संजीव चौरसिया को भी मौका दिया जा सकता है. दीघा के विधायक संजीव चौरसिया उत्तर प्रदेश के सह प्रभारी हैं. संजीव चौरसिया के कार्यकाल में दो बार भाजपा की सरकार यूपी में बन चुकी है. लोकसभा चुनाव में भी बेहतर प्रदर्शन किया. पिछड़ी जाति से अगर किसी नेता को महामंत्री बनाया जाता है तो संजीव चौरसिया का नाम सबसे ऊपर होगा.
ये भी हैं दावेदारः भाजपा के विधान पार्षद देवेश कुमार को भी संगठन का अनुभव है. प्रदेश में महामंत्री रह चुके हैं. मिजोरम के प्रभारी हैं. इसके अलावा राष्ट्रीय मीडिया सह प्रभारी संजय मयूख का नाम भी दावेदारों की सूची में शामिल है. संजय मयूख लंबे वक्त से दिल्ली की राजनीति में सक्रिय हैं और दिल्ली में मीडिया कोऑर्डिनेशन का काम देखते हैं. राष्ट्रीय मंत्री ऋतुराज सिन्हा को भी राष्ट्रीय टीम में जगह मिली हुई है. ऋतुराज को राज्यसभा नहीं भेजा गया इस वजह से पार्टी संगठन में उनका कद बढ़ा सकती है.
भाजपा के लिए क्यों महत्वपूर्ण है बिहारः वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रवि उपाध्याय का मानना है कि केंद्र की सरकार में बिहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. कई राज्यों में बिहार के नेता शानदार काम कर रहे हैं, ऐसे में लंबे अरसे से महामंत्री पद को लेकर जो सूखा की स्थिति है वह खत्म हो सकती है. राज्य में जो प्रभारी के रूप में काम कर रहे हैं उन्हें महामंत्री की जिम्मेदारी मिल सकती है. रवि उपाध्याय का मानना है कि चूंकि बिहार से बड़ी संख्या में भाजपा को सांसद मिलता है तो अनदेखी नहीं की जा सकती.
"बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाला है. ऐसे में वरिष्ठ नेता और विधान पार्षद नवल किशोर यादव भी तुरूप का पत्ता साबित हो सकते हैं. क्योंकि अबतक पार्टी की ओर से उनको कोई अहम जिम्मेदारी नहीं सौंपी गयी है. इन्हें लंबे अनुभव है. लंबे समय से विधान परिषद के सदस्य हैं तो हो सकता है कि महामंत्री के दौड़ में वो भी हों."-रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक
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