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गोड्डा लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे ने शिबू सोरेन परिवार के खिलाफ दिया बयान, झामुमो ने भी किया पलटवार, अतीत याद करने की दे दी नसीहत - Lok Sabha Election 2024

Nishikant Dubey statement against Shibu Soren family. गोड्डा लोकसभा सीट से चौथी बार निशिकांत दुबे चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं और लगातार शिबू सोरेन परिवार पर हमलावर हैं. वहीं झामुमो ने भी निशिकांत दुबे को अतीत याद करने की नसीहत दे दी है. जानिए क्या है माजरा.

Godda Lok Sabha Seat
Nishikant Dubey Statement Against Shibu Soren Family
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 18, 2024, 3:01 PM IST

गोड्डाः भाजपा से चौथी बार निशिकांत दुबे को गोड्डा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया है. निशिकांत अपने बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. उनका हालिया बयान की वर्तमान में खूब चर्चा हो रही है. जिसमें निशिकांत दुबे ये कहते दिख रहे है कि झारखंड से सोरेन परिवार अर्थात गुरुजी शिबू सोरेन का वजूद जब तक समाप्त नहीं कर देंगे, तब तक वे चैन से नहीं बैठेंगे. लगभग हर मंच से निशिकांत सोरेन परिवार पर हमलावर रहते हैं.

झामुमो नेता प्रेमनंदन मंडल ने किया पलटवार

ऐसे में झामुमो के नेता भी कहां चुप रहने वाले हैं. इस संबंध में वरिष्ठ झामुमो नेता प्रेमनंदन मंडल कहते हैं कि जिस सोरेन परिवार के बड़े बेटे दिवंगत दुर्गा सोरेन की बदौलत पहली बार निशिकांत सांसद बने, जैसा कि वे खुद कहते रहे हैं कि दुर्गा सोरेन उनके मित्र थे. सोरेन परिवार से उनका पारिवारिक संबंध था और बीमारी के दौरान उन्हें दिल्ली में मदद की थी. बदले में उन्होंने (दुर्गा सोरेन) चुनाव लड़कर दोस्ती निभाई थी. झामुमो नेता प्रेमनंदन ने कहा कि आज निशिकांत इस मुकाम पर हैं तो सिर्फ सोरेन परिवार की वजह से. उन्होंने कहा कि निशिकांत दुबे का शीघ्र राजनीतिक अंत भी होगा.

चौथी बार चुनावी अखाड़े में उतरे हैं निशिकांत

गोड्डा लोक सभा से चौथी बार चुनावी अखाड़े भाजपा के डॉ निशिकांत दुबे उम्मीदवार हैं. इससे पूर्व वे लगातार तीन बार से गोड्डा लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं. निशिकांत ने 2009, 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव जीता था. आज झरखंड में सबसे मुखर सांसदों में उनका नाम है. इसके अलावा वे सोरेन परिवार पर लगातार जुबानी हमला करते रहे हैं.

आखिर क्या हुआ था 2009 के लोकसभा चुनाव में

इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार हेमचंद्र बताते हैं कि सोरेन परिवार के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन की बदौलत आज निशिकांत दुबे इस मुकाम पर हैं. उन्होंने बताया कि वर्ष 2009 में निशिकांत दुबे खुद कहते थे कि उन्हें देवघर से गोड्डा का रास्ता तक ठीक से पता नहीं था, तब वे भाजपा से टिकट लेकर चुनाव लड़ने गोड्डा लोकसभा आए थे. इस सीट पर पहले से राजनीति के दो दिग्गज कांग्रेस से पूर्व सांसद फुरकान अंसारी और झाविमो से प्रदीप यादव चुनावी मैदान में थे. पूरे राज्य में कांग्रेस और झामुमो का गठबंधन हो गया था.

2009 के चुनाव में झामुमो से दुर्गा सोरेन ने किया था नामांकन

2009 में गोड्डा लोकसभा सीट कांग्रेस के हिस्से में आई थी. जहां फुरकान अंसारी को दोबारा उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन नामांकन के अंतिम समय से चंद मिनट पहले झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन ने गोड्डा पहुंचकर झामुमो की तरफ से नामांकन कर दिया था. ऐसे में यूपीए गठबंधन गोड्डा में बिखर गया. उस समय बात आई कि गुरुजी की इच्छा के बगैर दुर्गा सोरेन ने नामांकन कर दिया है.

दुर्गा सोरेन ने निशिकांत से निभाई थी दोस्ती या फुरकान से दुश्मनी!

ये बात कई बार खुद निशिकांत भी खुले मंच से बोल चुके हैं कि दुर्गा सोरेन उनके मित्र थे. उन्हें दिल्ली में बीमारी के दौरान मदद भी की थी. उसका अहसान उन्होंने चुनाव लड़कर चुकाया था. वहीं उस वक्त लोगों के समझ से परे था कि दुर्गा सोरेन ने निशिकांत दुबे से दोस्ती निभाई या फिर फुरकान से दुश्मनी.

2009 के चुनाव परिणाम पर एक नजर

एक नजर 2009 के परिणाम पर डालें तो भाजपा से निशिकांत दुबे को 189526 मत मिले थे. वहीं कांग्रेस से फुरकान अंसारी को 183119 मत मिले, झाविमो से प्रदीप यादव को 176926 मत मिले, वहीं झामुमो से दुर्गा सोरेन को 79153 मत मिले थे. जिसमें लगभग 6000 मतों से निशिकांत दुबे चुनाव जीत गए थे. अगर यूपीए गठबंधन को गोड्डा में भी राज्य की तरह मत मिलता तो शायद निशिकांत दुबे की राह मुश्किल होती. गोड्डा से नामांकन कर लगभग दुर्गा सोरेन ने 10 प्रतिशत मत हासिल किया था और निशिकांत दुबे एक प्रतिशत से भी कम महज 0.7 प्रतिशत मत ज्यादा लाकर चुनाव जीत गए. इसके बाद निशिकांत लगातार तीन चुनाव गोड्डा लोकसभा से जीत चुके हैं.

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गोड्डाः भाजपा से चौथी बार निशिकांत दुबे को गोड्डा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया है. निशिकांत अपने बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. उनका हालिया बयान की वर्तमान में खूब चर्चा हो रही है. जिसमें निशिकांत दुबे ये कहते दिख रहे है कि झारखंड से सोरेन परिवार अर्थात गुरुजी शिबू सोरेन का वजूद जब तक समाप्त नहीं कर देंगे, तब तक वे चैन से नहीं बैठेंगे. लगभग हर मंच से निशिकांत सोरेन परिवार पर हमलावर रहते हैं.

झामुमो नेता प्रेमनंदन मंडल ने किया पलटवार

ऐसे में झामुमो के नेता भी कहां चुप रहने वाले हैं. इस संबंध में वरिष्ठ झामुमो नेता प्रेमनंदन मंडल कहते हैं कि जिस सोरेन परिवार के बड़े बेटे दिवंगत दुर्गा सोरेन की बदौलत पहली बार निशिकांत सांसद बने, जैसा कि वे खुद कहते रहे हैं कि दुर्गा सोरेन उनके मित्र थे. सोरेन परिवार से उनका पारिवारिक संबंध था और बीमारी के दौरान उन्हें दिल्ली में मदद की थी. बदले में उन्होंने (दुर्गा सोरेन) चुनाव लड़कर दोस्ती निभाई थी. झामुमो नेता प्रेमनंदन ने कहा कि आज निशिकांत इस मुकाम पर हैं तो सिर्फ सोरेन परिवार की वजह से. उन्होंने कहा कि निशिकांत दुबे का शीघ्र राजनीतिक अंत भी होगा.

चौथी बार चुनावी अखाड़े में उतरे हैं निशिकांत

गोड्डा लोक सभा से चौथी बार चुनावी अखाड़े भाजपा के डॉ निशिकांत दुबे उम्मीदवार हैं. इससे पूर्व वे लगातार तीन बार से गोड्डा लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं. निशिकांत ने 2009, 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव जीता था. आज झरखंड में सबसे मुखर सांसदों में उनका नाम है. इसके अलावा वे सोरेन परिवार पर लगातार जुबानी हमला करते रहे हैं.

आखिर क्या हुआ था 2009 के लोकसभा चुनाव में

इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार हेमचंद्र बताते हैं कि सोरेन परिवार के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन की बदौलत आज निशिकांत दुबे इस मुकाम पर हैं. उन्होंने बताया कि वर्ष 2009 में निशिकांत दुबे खुद कहते थे कि उन्हें देवघर से गोड्डा का रास्ता तक ठीक से पता नहीं था, तब वे भाजपा से टिकट लेकर चुनाव लड़ने गोड्डा लोकसभा आए थे. इस सीट पर पहले से राजनीति के दो दिग्गज कांग्रेस से पूर्व सांसद फुरकान अंसारी और झाविमो से प्रदीप यादव चुनावी मैदान में थे. पूरे राज्य में कांग्रेस और झामुमो का गठबंधन हो गया था.

2009 के चुनाव में झामुमो से दुर्गा सोरेन ने किया था नामांकन

2009 में गोड्डा लोकसभा सीट कांग्रेस के हिस्से में आई थी. जहां फुरकान अंसारी को दोबारा उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन नामांकन के अंतिम समय से चंद मिनट पहले झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन ने गोड्डा पहुंचकर झामुमो की तरफ से नामांकन कर दिया था. ऐसे में यूपीए गठबंधन गोड्डा में बिखर गया. उस समय बात आई कि गुरुजी की इच्छा के बगैर दुर्गा सोरेन ने नामांकन कर दिया है.

दुर्गा सोरेन ने निशिकांत से निभाई थी दोस्ती या फुरकान से दुश्मनी!

ये बात कई बार खुद निशिकांत भी खुले मंच से बोल चुके हैं कि दुर्गा सोरेन उनके मित्र थे. उन्हें दिल्ली में बीमारी के दौरान मदद भी की थी. उसका अहसान उन्होंने चुनाव लड़कर चुकाया था. वहीं उस वक्त लोगों के समझ से परे था कि दुर्गा सोरेन ने निशिकांत दुबे से दोस्ती निभाई या फिर फुरकान से दुश्मनी.

2009 के चुनाव परिणाम पर एक नजर

एक नजर 2009 के परिणाम पर डालें तो भाजपा से निशिकांत दुबे को 189526 मत मिले थे. वहीं कांग्रेस से फुरकान अंसारी को 183119 मत मिले, झाविमो से प्रदीप यादव को 176926 मत मिले, वहीं झामुमो से दुर्गा सोरेन को 79153 मत मिले थे. जिसमें लगभग 6000 मतों से निशिकांत दुबे चुनाव जीत गए थे. अगर यूपीए गठबंधन को गोड्डा में भी राज्य की तरह मत मिलता तो शायद निशिकांत दुबे की राह मुश्किल होती. गोड्डा से नामांकन कर लगभग दुर्गा सोरेन ने 10 प्रतिशत मत हासिल किया था और निशिकांत दुबे एक प्रतिशत से भी कम महज 0.7 प्रतिशत मत ज्यादा लाकर चुनाव जीत गए. इसके बाद निशिकांत लगातार तीन चुनाव गोड्डा लोकसभा से जीत चुके हैं.

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