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बृजभूषण शरण सिंह: कहानी राजनीति के 'दंगल' के धुरंधर की, नाम के साथ कमाई अकूत दौलत; किस वजह से हुआ इस बार पत्ता साफ? - Brij Bhushan Sharan Singh Biography - BRIJ BHUSHAN SHARAN SINGH BIOGRAPHY

Biography of Brij Bhushan Sharan Singh: बृजभूषण शरण सिंह फिर चर्चा में हैं. इस बार उनकी बजाय उनके बेटे को कैसरगंज सीट से बीजेपी ने टिकट दिया है. चलिए जानते हैं बृजभूषण शरण सिंह के जीवन और राजनीतिक मुकाम हासिल करने की कहानी के बारे में.

Biography of Brij Bhushan Sharan Singh
Biography of Brij Bhushan Sharan Singh (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 4, 2024, 9:28 AM IST

Updated : May 4, 2024, 9:43 AM IST

Biography of Brij Bhushan Sharan Singh: हैदराबादः- कैसरगंज सीट के सांसद बृजभूषण शरण सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार चर्चा का विषय है उनकी जगह उनके पुत्र करण भूषण सिंह को बीजेपी द्वारा टिकट देना. सोशल मीडिया पर इसे लेकर लोग पहलावन साक्षी मलिक से लेकर कई लोग अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं. चलिए जानते हैं आखिर बृजभूषण शरण सिंह ने इतना नाम और शोहरत कैसे कमाई और किस तरह वह आरोपो से घिरे.

बृजभूषण शरण सिंह का जन्म 8 जनवरी 1957 को गोंडा में हुआ था. उनका विवाह 1981 में केतकी देवी सिंह से हुआ था. 2004 में उनके बेटे शक्ति शरण सिंह ने 23 साल की आयु में खुद को पिस्तौल से गोली मारकर जान दे दी थी. वहीं उनके अन्य बेटे प्रतीक भूषण सिंह 2017 में गोंडा से भाजपा विधायक के रूप में चुने गए. वहीं बेटे करण भूषण सिंह को डब्ल्यूएफआई के उपाध्यक्ष के तौर पर चुना गया. बृजभूषण शरण सिंह के एक पुत्री भी है. उनके बेटे करण भूषण सिंह अब अब अपने पिता की कैसरगंज लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

Brij Bhushan Sharan Singh
Brij Bhushan Sharan Singh (etv bharat)

जवानी से ही पहलवानी का शौकः बृजभूषण शरण सिंह को छात्र जीवन से ही पहलवानी का शौक था. वह गोंडा में दंगल का आयोजन करते थे.. साथ ही दंगल के खर्च को खुद उठाते थे. यहीं नहीं वह दंगल जीतने वाले पहलवानों को अपने खर्च पर इनाम देते थे. कहा जाता है कि नंदिनी नगर में पहलवानों के लिए प्रशिक्षण और रहने-खाने की व्यवस्था उनकी ओर से की गई है.

राम मंदिर आंदोलन में आया नामः बृजभूषण शरण सिंह 1985 से ही राम मंदिर आदोलन में कूद गए थे. 1992 में बाबरी विंध्वस में भी उनका नाम आया था. लंबी सितंबर 2020 में उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था. वह विहिप के अब दिवंगत नेता अशोक सिंघल के काफी करीबी माने जाते थे. सिंघल की वजह से ही वह बीजेपी में आए थे.

नंदिनी नगर कॉलेज की स्थापना के बाद फैला साम्राज्यः गोंडा से करीब 45 किमी. दूर नवाबगंज में नंदिनी नगर कॉलेज की स्थापना उन्होंने की थी. इसके बाद अगले दो दशकों में उनका साम्राज्य बढ़ता ही चला गया. स्कूल, कॉलेज, होटल और अस्पताल वह खोलते चले गए. दावा किया जाता है कि वह करीब 50 से अधिक कॉलेजों से जुड़े हुए हैं. ये कॉलेज गोंडा, बलरामपुर, बहराईच और श्रावस्ती से जुड़े हुए हैं. इस वजह से इन सीटों पर उनका प्रभाव काफी माना जाता है.

छह बार कमल से चुनाव जीते, एक बार की साइकिल की सवारीः बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी की टिकट से पांच बार और सपा के टिकट से एक बार (2009) लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. 2011 में वह भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बने थे. 2023 में यौन शोषण के आरोप में घिरने के बाद वह चर्चा में रहे. उनके खिलाफ साक्षी मलिक समेत कई पहलवानों ने आंदोलन शुरू किया. परिणाम स्वरूप उन्हें वह कुर्सी छोड़नी पड़ी.

बाबा रामदेव पर भी बोल चुके हैं हमलाः बृजभूषण शरण सिंह बाबा रामदेव पर भी हमला बोल चुके हैं. कभी गो उत्पादों तो कभी गोंडा को महर्षि पंतजलि की जन्मस्थली बता कर बृजभूषण शरण सिंह ने बाबा रामदेव पर तीखे प्रहार किए हैं. बाबा रामदेव की ओर से भी इसका जवाब दिया गया है.

सांसद रहते हुए भी बीजेपी पर साध चुके हैं निशानाः बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी सांसद रहते हुए भी अपनी पार्टी पर निशाना साध चुके हैं. बाढ़ में जूझते लोगों को लेकर सरकारी मशीनरी और यूपी सरकार को लेकर भी वह तीखी बयानबाजी कर चुके हैं.

यौन शोषण के आरोप से घिरे और छोड़ी कुर्सीः कुछ माह पूर्व बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवान से यौन शोषण का आरोप लगा था. इसे लेकर पहलावन साक्षी मलिक समेत कई पहलवानों ने दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरना दिया था. इसके बाद भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष की कुर्सी से वह हट गए थे. इस बार कैसरगंज से उनकों टिकट न मिलने की वजह भी ये आरोप बताए जा रहे हैं. हालांकि उनकी जगह उनके बेटे के चुनाव लड़ने को लेकर महिला पहलवान साक्षी मलिक आपत्ति जता चुकी है. इसे लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट भी जारी की है.

sakshi malikkh tweet
sakshi malikkh tweet (source: x)

ये भी पढ़ेंः साक्षी मलिक ने बृजभूषण शरण सिंह पर फिर साधा निशाना, सोशल मीडिया पर पोस्ट कर जताई नाराजगी

शेरो-ओ-शायरी के साथ बोलते हैं हमलाः बृजभूषण शरण सिंह और शेरो-ओ-शायरी और दोहों का भी शौक रखते हैं. जब-जब वह आरोपों में घिरते हुए तो वह शायरी और दोहों का सहारा लेकर अपना बयान देते हैं. बीते दिनों जब टिकट कटने को लेकर उनसे मीडिया ने सवाल पूछा तो उन्होंने जवाब दिया था कि हुइहै वहीं जो राम रचि राखा.

ये भी पढ़ेंः 'हुइहै वहीं जो राम रचि राखा...', बृजभूषण शरण सिंह ने आखिर क्यों कही ये बात, अब तक नहीं फाइनल हुआ टिकट

गांव में है आलीशान घर और हेलीकॉप्टरः बृजभूषण शरण सिहं का पैतृक गांव विश्नोहरपुर है. वहां वह दो मंजिला घर में रहते हैं. उनका कई एकड़ में बगीचा है, इसके अलावा एसयूपी समेत कई गाड़ियां हैं. यहीं नहीं उनके घर के पीछे हेलीकॉप्टर भी खड़ा रहता है.

2019 के हलफनामे में थी इतनी दौलतः 2019 के लोकसभा चुनाव के हलफनामे के अनुसार, उनके पास 40.2 करोड़ की संपत्ति है, वहीं पत्नी केतकी के पास 63.4 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति है. इसके अलावा उनके पास पिस्टल समेत कई हथियार भी हैं.

ये भी पढ़ेंः BJP की आखिरी लिस्ट: बृजभूषण की जगह बेटे करन भूषण को कैसरगंज से टिकट, रायबरेली से दिनेश सिंह उम्मीदवार

Biography of Brij Bhushan Sharan Singh: हैदराबादः- कैसरगंज सीट के सांसद बृजभूषण शरण सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार चर्चा का विषय है उनकी जगह उनके पुत्र करण भूषण सिंह को बीजेपी द्वारा टिकट देना. सोशल मीडिया पर इसे लेकर लोग पहलावन साक्षी मलिक से लेकर कई लोग अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं. चलिए जानते हैं आखिर बृजभूषण शरण सिंह ने इतना नाम और शोहरत कैसे कमाई और किस तरह वह आरोपो से घिरे.

बृजभूषण शरण सिंह का जन्म 8 जनवरी 1957 को गोंडा में हुआ था. उनका विवाह 1981 में केतकी देवी सिंह से हुआ था. 2004 में उनके बेटे शक्ति शरण सिंह ने 23 साल की आयु में खुद को पिस्तौल से गोली मारकर जान दे दी थी. वहीं उनके अन्य बेटे प्रतीक भूषण सिंह 2017 में गोंडा से भाजपा विधायक के रूप में चुने गए. वहीं बेटे करण भूषण सिंह को डब्ल्यूएफआई के उपाध्यक्ष के तौर पर चुना गया. बृजभूषण शरण सिंह के एक पुत्री भी है. उनके बेटे करण भूषण सिंह अब अब अपने पिता की कैसरगंज लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

Brij Bhushan Sharan Singh
Brij Bhushan Sharan Singh (etv bharat)

जवानी से ही पहलवानी का शौकः बृजभूषण शरण सिंह को छात्र जीवन से ही पहलवानी का शौक था. वह गोंडा में दंगल का आयोजन करते थे.. साथ ही दंगल के खर्च को खुद उठाते थे. यहीं नहीं वह दंगल जीतने वाले पहलवानों को अपने खर्च पर इनाम देते थे. कहा जाता है कि नंदिनी नगर में पहलवानों के लिए प्रशिक्षण और रहने-खाने की व्यवस्था उनकी ओर से की गई है.

राम मंदिर आंदोलन में आया नामः बृजभूषण शरण सिंह 1985 से ही राम मंदिर आदोलन में कूद गए थे. 1992 में बाबरी विंध्वस में भी उनका नाम आया था. लंबी सितंबर 2020 में उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था. वह विहिप के अब दिवंगत नेता अशोक सिंघल के काफी करीबी माने जाते थे. सिंघल की वजह से ही वह बीजेपी में आए थे.

नंदिनी नगर कॉलेज की स्थापना के बाद फैला साम्राज्यः गोंडा से करीब 45 किमी. दूर नवाबगंज में नंदिनी नगर कॉलेज की स्थापना उन्होंने की थी. इसके बाद अगले दो दशकों में उनका साम्राज्य बढ़ता ही चला गया. स्कूल, कॉलेज, होटल और अस्पताल वह खोलते चले गए. दावा किया जाता है कि वह करीब 50 से अधिक कॉलेजों से जुड़े हुए हैं. ये कॉलेज गोंडा, बलरामपुर, बहराईच और श्रावस्ती से जुड़े हुए हैं. इस वजह से इन सीटों पर उनका प्रभाव काफी माना जाता है.

छह बार कमल से चुनाव जीते, एक बार की साइकिल की सवारीः बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी की टिकट से पांच बार और सपा के टिकट से एक बार (2009) लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. 2011 में वह भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बने थे. 2023 में यौन शोषण के आरोप में घिरने के बाद वह चर्चा में रहे. उनके खिलाफ साक्षी मलिक समेत कई पहलवानों ने आंदोलन शुरू किया. परिणाम स्वरूप उन्हें वह कुर्सी छोड़नी पड़ी.

बाबा रामदेव पर भी बोल चुके हैं हमलाः बृजभूषण शरण सिंह बाबा रामदेव पर भी हमला बोल चुके हैं. कभी गो उत्पादों तो कभी गोंडा को महर्षि पंतजलि की जन्मस्थली बता कर बृजभूषण शरण सिंह ने बाबा रामदेव पर तीखे प्रहार किए हैं. बाबा रामदेव की ओर से भी इसका जवाब दिया गया है.

सांसद रहते हुए भी बीजेपी पर साध चुके हैं निशानाः बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी सांसद रहते हुए भी अपनी पार्टी पर निशाना साध चुके हैं. बाढ़ में जूझते लोगों को लेकर सरकारी मशीनरी और यूपी सरकार को लेकर भी वह तीखी बयानबाजी कर चुके हैं.

यौन शोषण के आरोप से घिरे और छोड़ी कुर्सीः कुछ माह पूर्व बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवान से यौन शोषण का आरोप लगा था. इसे लेकर पहलावन साक्षी मलिक समेत कई पहलवानों ने दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरना दिया था. इसके बाद भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष की कुर्सी से वह हट गए थे. इस बार कैसरगंज से उनकों टिकट न मिलने की वजह भी ये आरोप बताए जा रहे हैं. हालांकि उनकी जगह उनके बेटे के चुनाव लड़ने को लेकर महिला पहलवान साक्षी मलिक आपत्ति जता चुकी है. इसे लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट भी जारी की है.

sakshi malikkh tweet
sakshi malikkh tweet (source: x)

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शेरो-ओ-शायरी के साथ बोलते हैं हमलाः बृजभूषण शरण सिंह और शेरो-ओ-शायरी और दोहों का भी शौक रखते हैं. जब-जब वह आरोपों में घिरते हुए तो वह शायरी और दोहों का सहारा लेकर अपना बयान देते हैं. बीते दिनों जब टिकट कटने को लेकर उनसे मीडिया ने सवाल पूछा तो उन्होंने जवाब दिया था कि हुइहै वहीं जो राम रचि राखा.

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गांव में है आलीशान घर और हेलीकॉप्टरः बृजभूषण शरण सिहं का पैतृक गांव विश्नोहरपुर है. वहां वह दो मंजिला घर में रहते हैं. उनका कई एकड़ में बगीचा है, इसके अलावा एसयूपी समेत कई गाड़ियां हैं. यहीं नहीं उनके घर के पीछे हेलीकॉप्टर भी खड़ा रहता है.

2019 के हलफनामे में थी इतनी दौलतः 2019 के लोकसभा चुनाव के हलफनामे के अनुसार, उनके पास 40.2 करोड़ की संपत्ति है, वहीं पत्नी केतकी के पास 63.4 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति है. इसके अलावा उनके पास पिस्टल समेत कई हथियार भी हैं.

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Last Updated : May 4, 2024, 9:43 AM IST
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