बिलासपुर: बिलासपुर नगर निगम तालापारा के वार्ड 25 के मतदाता पानी नहीं तो वोट नहीं की बात कह रहे हैं. पानी की किल्लत झेल रहे ये वोटर चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दे रहे हैं. वार्डवासियों का कहना है कि चुनाव में वोट मांगने वाले नेताओं को इस बार वोट नहीं देने का हमने मन बना लिया है. हम चुनाव का बहिष्कार करेंगे.
वार्डवासियों ने चुनाव बहिष्कार की दी चेतावनी: दरअसल, पिछले 30 सालों से वार्ड में पानी की समस्या होने के कारण वार्डवासियों ने ये फैसला लिया है. वार्ड की पाइप लाइन नालियों के अंदर है और ये पाइप सड़ गई है. पाइप में जगह-जगह लीकेज की समस्या है और पानी बहता है. पाइप के छेद को बंद करने के लिए रबर बांधकर पानी लिया जाता है. नालियों का पानी पाइप लाइन के अंदर चला जाता है, जिससे घरों में नाली का पानी पहुंचता है. इसे पीने के बाद कई तरह की जल जनित बीमारी होती है. पिछले साल गंदे पानी के कारण क्षेत्र में डायरिया फैल गया था. पांच लोगों की मौत भी हो गई थी. क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी इस मामले में कुछ कहने को तैयार नहीं है. जहां एक ओर स्थानीय लोग चुनाव बहिष्कार की बात कह रहे हैं. वहीं, नेता इस तरह की बात नहीं होने की बात कह रहे हैं.
नेता आश्वासन देकर चले जाते हैं: वार्ड के नागरिक यशपाल दिवाकर ने ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने कहा कि, "जब तक हमारी समस्याओं का समाधान नहीं होता हम वोट क्यों करेंगे?" वहीं, वार्ड 25 की शकुंतला ने कहा कि, "नालियों से पानी की पाइपलाइन गुजरी है. जब पानी नहीं आता तब पाइप लाइन में नालियों का पानी अंदर जाता है और यही पानी उनके टैप नल से आता है, जिससे उन्हें गंदा पानी पीने के बाद कई जल जनित बीमारियां हो रही है. शरीर में खुजली के साथ ही डायरिया जैसी बीमारियां भी होती है. इसी इलाके में पिछले साल डायरिया की बीमारी फैली थी. तीन लोगों की जान चली गई थी, जिन परिवारों में यह हुआ था, अब वह इलाका छोड़कर कहीं और चले गए हैं." वार्ड की अमरीका बाई ने कहा कि, " पिछले कई सालों से क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को इसकी शिकायत की है. हर बार आश्वासन ही मिलता है. समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा है. नालियां गंदगी से भरी रहती है और सफाई नहीं होने के साथ ही कई अन्य समस्याएं हैं, लेकिन कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है."
कोटा क्षेत्र के ग्रामीणों ने किया चुनाव बहिष्कार: पिछले दिनों कोटा क्षेत्र के बेलगहना इलाके के ग्रामीण चुनाव का बहिष्कार करने की बात कह रहे हैं. ग्रामीणों की मानें तो उन्हें मूलभूत समस्याओं से जूझना पड़ता है. यही वजह है कि वे चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं.