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सबसे ज्यादा लीड लेकर बने थे सांसद, आज तक नहीं टूटा रिकॉर्ड, फिर भी पार्टी ने दोबारा नहीं दिया मौका - Bilaspar Lok Sabha Election 2024

बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के लिए मतदान 7 मई को होंगे.लेकिन इससे पहले हम आपको इस सीट के उस प्रत्याशी के बारे में बताने जा रहे हैं,जिसने सबसे ज्यादा लीड लेकर चुनाव जीता था.लेकिन पार्टी ने उन्हें दोबारा मौका नहीं दिया.Bilaspar Lok Sabha Election 2024

Bilaspar Lok Sabha Election 2024
सबसे ज्यादा लीड लेकर बने थे सांसद फिर भी नहीं मिला मौका
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 20, 2024, 7:45 PM IST

आज तक नहीं टूटा रिकॉर्ड, फिर भी पार्टी ने दोबारा नहीं दिया मौका

बिलासपुर :बिलासपुर लोकसभा 1952 में अस्तित्व में आई थी. 1952 से लेकर 1978 तक कांग्रेस का एक तरफा कब्जा रहा. माना जाता था कि कांग्रेस की तरफ से जिस नेता को टिकट मिल जाता था वह चुनाव लड़ने से पहले ही जीत जाता था. बिलासपुर में कांग्रेस की लहर ऐसी रही कि असली लड़ाई टिकट की रहती थी. टिकट मिलने के बाद प्रत्याशी आसानी से जीत जाते थे.

1978 के बाद बदले समीकरण : 1978 के बाद बीजेपी ने राजनीति शुरु की. साल 2014 में बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी. 2014 में लखनलाल साहू बड़ी जीत लेकर संसद भवन तक पहुंचे थे. बिलासपुर लोकसभा सीट में 2014 के चुनाव में बीजेपी ने मुंगेली के रहने वाले लखनलाल साहू को अपना प्रत्याशी बनाया था. लखनलाल साहू मुंगेली जिला के रहने वाले थे. बिलासपुर जिले से उनका राजनीतिक नाता तो नहीं रहा, लेकिन उनकी जीत को देखकर सभी आश्चर्यचकित हो गए थे.

लखनलाल साहू को मिली बड़ी जीत : बिलासपुर में सबसे बड़ी जीत बीजेपी को साल 2014 में मिली थी. जिसमें बीजेपी के लखनलाल साहू ने कांग्रेस प्रत्याशी करुणा शुक्ला को हराया था. लखनलाल ने इस सीट को 1 लाख 76 हजार से अधिक मतों से जीता था. आपको बता दें कि करुणा शुक्ला पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी थी. जिन्होंने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ली थी. 2014 के चुनाव में इतनी बड़ी जीत के बाद भी बीजेपी ने लखनलाल साहू को दोबारा टिकट नहीं दिया. इस जीत को मोदी लहर भी कहा जाता है.

Bilaspar Lok Sabha Election 2024
पूर्व सांसद लखनलाल साहू


मोदी मैजिक के कारण मिली बड़ी जीत : बिलासपुर लोकसभा में 1952 से लेकर 2019 तक कई बड़े नेता चुनाव जीते हैं. जिसमें बीजेपी, कांग्रेस, जनता दल के नेता शामिल रहे हैं.राजनीति के जानकार वरिष्ठ पत्रकार हबीब खान ने कहा कि ''भारत में मोदी ने बीजेपी को सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर स्थापित किया. वहीं 2014 में प्रत्याशी लखनलाल साहू का शांत स्वभाव और मोदी मैजिक ने उन्हें सबसे बड़ी जीत दिलाई.''


दोबारा नहीं मिला मौका : लखन लाल साहू 2014 से लेकर 2019 तक बिलासपुर लोकसभा सीट के सांसद रहे. उनकी जीत का रिकॉर्ड अब तक कोई भी नेता नहीं तोड़ पाया है. इतनी बड़ी जीत के बाद भी उन्हें बीजेपी ने दोबारा मौका नहीं दिया. 2019 में उनकी टिकट काटकर मुंगेली के ही रहने वाले अरुण साव को मौका दिया गया. अरुण साव ने 2019 के चुनाव में जीत दर्ज की. लेकिन उनकी जीत लखनलाल साहू की जीत से छोटी थी. उन्हें इतनी लीड नहीं मिली. आईए जानते हैं साल 2014 में हुए मतदान के आंकड़े

2014 में लोकसभा चुनाव के आंकड़े
पुरुष मतदातापड़े मतवोटिंग प्रतिशतमहिला मतदातापड़े मतवोटिंग प्रतिशत कुल मत प्रतिशत जीतने वाला दल
89131657307864.03837889 51691061.6963.07बीजेपी,लखनलाल साहू
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बिलासपुर :बिलासपुर लोकसभा 1952 में अस्तित्व में आई थी. 1952 से लेकर 1978 तक कांग्रेस का एक तरफा कब्जा रहा. माना जाता था कि कांग्रेस की तरफ से जिस नेता को टिकट मिल जाता था वह चुनाव लड़ने से पहले ही जीत जाता था. बिलासपुर में कांग्रेस की लहर ऐसी रही कि असली लड़ाई टिकट की रहती थी. टिकट मिलने के बाद प्रत्याशी आसानी से जीत जाते थे.

1978 के बाद बदले समीकरण : 1978 के बाद बीजेपी ने राजनीति शुरु की. साल 2014 में बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी. 2014 में लखनलाल साहू बड़ी जीत लेकर संसद भवन तक पहुंचे थे. बिलासपुर लोकसभा सीट में 2014 के चुनाव में बीजेपी ने मुंगेली के रहने वाले लखनलाल साहू को अपना प्रत्याशी बनाया था. लखनलाल साहू मुंगेली जिला के रहने वाले थे. बिलासपुर जिले से उनका राजनीतिक नाता तो नहीं रहा, लेकिन उनकी जीत को देखकर सभी आश्चर्यचकित हो गए थे.

लखनलाल साहू को मिली बड़ी जीत : बिलासपुर में सबसे बड़ी जीत बीजेपी को साल 2014 में मिली थी. जिसमें बीजेपी के लखनलाल साहू ने कांग्रेस प्रत्याशी करुणा शुक्ला को हराया था. लखनलाल ने इस सीट को 1 लाख 76 हजार से अधिक मतों से जीता था. आपको बता दें कि करुणा शुक्ला पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी थी. जिन्होंने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ली थी. 2014 के चुनाव में इतनी बड़ी जीत के बाद भी बीजेपी ने लखनलाल साहू को दोबारा टिकट नहीं दिया. इस जीत को मोदी लहर भी कहा जाता है.

Bilaspar Lok Sabha Election 2024
पूर्व सांसद लखनलाल साहू


मोदी मैजिक के कारण मिली बड़ी जीत : बिलासपुर लोकसभा में 1952 से लेकर 2019 तक कई बड़े नेता चुनाव जीते हैं. जिसमें बीजेपी, कांग्रेस, जनता दल के नेता शामिल रहे हैं.राजनीति के जानकार वरिष्ठ पत्रकार हबीब खान ने कहा कि ''भारत में मोदी ने बीजेपी को सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर स्थापित किया. वहीं 2014 में प्रत्याशी लखनलाल साहू का शांत स्वभाव और मोदी मैजिक ने उन्हें सबसे बड़ी जीत दिलाई.''


दोबारा नहीं मिला मौका : लखन लाल साहू 2014 से लेकर 2019 तक बिलासपुर लोकसभा सीट के सांसद रहे. उनकी जीत का रिकॉर्ड अब तक कोई भी नेता नहीं तोड़ पाया है. इतनी बड़ी जीत के बाद भी उन्हें बीजेपी ने दोबारा मौका नहीं दिया. 2019 में उनकी टिकट काटकर मुंगेली के ही रहने वाले अरुण साव को मौका दिया गया. अरुण साव ने 2019 के चुनाव में जीत दर्ज की. लेकिन उनकी जीत लखनलाल साहू की जीत से छोटी थी. उन्हें इतनी लीड नहीं मिली. आईए जानते हैं साल 2014 में हुए मतदान के आंकड़े

2014 में लोकसभा चुनाव के आंकड़े
पुरुष मतदातापड़े मतवोटिंग प्रतिशतमहिला मतदातापड़े मतवोटिंग प्रतिशत कुल मत प्रतिशत जीतने वाला दल
89131657307864.03837889 51691061.6963.07बीजेपी,लखनलाल साहू
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