पटनाः शुक्रवार को बिहार विधानपरिषद् की कार्यवाही के दौरान अतिथि शिक्षकों का मुद्दा गूंजा. बीजेपी के एमएलसी जीवन कुमार ने सरकार से मांग की कि अतिथि शिक्षकों को भी स्थायी शिक्षक का दर्जा दिया जाए. उन्होंने कहा कि अतिथि शिक्षकों की संख्या काफी कम है इसलिए उन्हें समायोजित किया जा सकता है.
'6 साल तक सरकारी विद्यालयों में दी सेवा': बीजेपी एमएलसी जीवन कुमार ने कहा कि शिक्षा विभाग ने पौने दो लाख शिक्षकों की बहाली की है. अतिथि शिक्षकों की संख्या काफी कम है. 6 साल तक अतिथि शिक्षकों ने प्रदेश की सरकारी विद्यालयों में सेवा दी है. ऐसे में इन्हें समायोजित किया जाए.
'सरकारी नौकरी की अधिकतम सीमा कर चुके हैं पार': जीवन कुमार ने कहा कि अतिथि शिक्षकों से बिहार सरकार ने लंबे समय तक सेवा ली है. अब अतिथि शिक्षकों की कोई नौकरी की उम्र नहीं बची है. सरकारी नौकरी के लिए अधिकतम आयु की सीमा को वह पार कर चुके हैं. अब उनकी सेवा समाप्त कर दी गई है.
"4150 अतिथि शिक्षकों में लगभग 2500 के करीब अतिथि शिक्षक हैं जो अभी बचे हुए हैं और बाकी पहले की शिक्षक बहाली में शिक्षक बन चुके हैं. ऐसे में बचे हुए इन शिक्षकों को भी आगामी शिक्षक बहाली में समायोजित कर दिया जाए."- जीवन कुमार, विधानपार्षद, बीजेपी
31 अप्रैल को समाप्त की गयी सेवाः बता दें कि अतिथि शिक्षक लंबे समय से स्थायीकरण की मांग कर रहे थे, लेकिन पिछले 1 अप्रैल को शिक्षा विभाग ने उन्हें सेवा से बाहर कर दिया. इस विधानसभा सत्र के दौरान भी अतिथि शिक्षकों का संगठन गर्दनीबाग में धरने पर रहा. अतिथि शिक्षक संजीव कुमार का कहना है कि एक झटके में नौकरी से हटाए जाने से आजीविका का संकट खड़ा हो गया है.
25 अंक का वेटेज दे रहा है बीपीएससीः अतिथि शिक्षकों का कहना है कि वो तमाम अर्हता रखते थे, जिसके बाद उन्हें उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अतिथि शिक्षक बनाया गया था. ऐसे में उनकी यही मांग है कि सरकार अभी चल रही बहालियों में उन्हें समायोजित कर ले. हालांकि बीपीएससी तीसरे चरण की शिक्षक बहाली परीक्षा में अतिथि शिक्षकों को 25 अंक का वेटेज दे रहा है, लेकिन कई ऐसे अतिथि शिक्षक भी हैं जो आयु सीमा पार कर जाने के कारण फॉर्म नहीं भर पाए.