पटना: चुनाव आयोग की तरफ से राज्यसभा की बिहार की दो सीटों पर उपचुनाव की तिथि घोषित हो गई है. मीसा भारती के पाटलिपुत्र से और विवेक ठाकुर के नवादा से सांसद बनने के कारण दोनों सीट खाली हुई है. सम्राट चौधरी जब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे, उसी समय उपेंद्र कुशवाहा के नाम की घोषणा एक सीट के लिए कर दी थी. लेकिन दूसरे सीट पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. 14 अगस्त से नॉमिनेशन शुरू हो जाएगा. दूसरे सीट पर कई दावेदारों की नाम चर्चा में है.
उपेंद्र कुशवाहा का राज्यसभा जाना तय: राज्यसभा की बिहार में दो सीटों में से एक सीट आरजेडी की थी, लेकिन अब दोनों सीट एनडीए को मिलेगी. विधानसभा में बहुमत होने के कारण एनडीए को यह दोनों सीट मिल रही है, क्योंकि दोनों सीट पर अलग-अलग चुनाव होंगे. पहले चर्चा थी कि बीजेपी ने उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा में भेजा है. ऐसे में दूसरी सीट जदयू को मिलेगी या बीजेपी को स्पष्ट नहीं था.
जदयू एमएलसी का बयान: नीतीश कुमार के नजदीकी जदयू एमएलसी संजय गांधी का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा के नाम पर सहमति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बैठक के बाद हुई है ऐसे में यह माना जा रहा है कि नीतीश कुमार की समिति से ही उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा जाएंगे. अब दूसरे सीट पर बीजेपी अपना उम्मीदवार देगी. ऐसे संजय गांधी दूसरे सीट को लेकर कह रहे हैं कि शीर्ष नेतृत्व बैठकर इस पर फैसला लेगा.
"शीर्ष नेतृत्व तय करेंगे. वो जो फैसला लेंगे हमें मान्य होगा. उपेंद्र कुशवाहा के नाम पर हमारे नेता भी सहमति दिए हैं. दूसरी सीट पर कौन जाएगा, ये भी ऊपर वालों को ही तय करना है."-संजय गांधी, जदयू एमएलसी
बीजेपी का तर्क: बीजेपी की तरफ से कई दावेदार हैं, जिनकी चर्चा हो रही है. उसमें आरके सिंह, अश्विनी चौबे, ऋतुराज, रमा देवी और शाहनवाज हुसैन का नाम सबसे आगे है. बिहार बीजेपी के नेता इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश नेतृत्व मिलकर ही अंतिम रूप से फैसला लेगा. हम लोगों के यहां सब कुछ पारदर्शी ढंग से होता है.
"ये भारतीय जनता पार्टी पार्लियामेंट्री बोर्ड का विषय है. इसपर मैं नहीं बोलता हूं. बीजेपी, केंद्रीय नेतृत्व और राज्य इकाई मिलकर तय करेगी. हमारे यहां पारदर्शी तरीका अपनाया जाता है."- अरविंद सिंह, बीजेपी प्रवक्ता
बहुमत एनडीए के पास: विधानसभा के अध्यक्ष रहे उदय नारायण चौधरी का कहना है कि दोनों खाली सीट पर अलग-अलग चुनाव होगा और इसके कारण ही एनडीए को यह दोनों सीट मिलेगा क्योंकि एनडीए के पास बहुमत है. बिहार विधानसभा में बीजेपी के 78 विधायक हैं. जदयू के 44, हम के तीन और एक निर्दलीय का भी समर्थन है.
आरजेडी को नुकसान: वहीं राजद का 75, कांग्रेस का 19, लेफ्ट का 15 विधायक है. एआईएमआईएम के एक और एक और निर्दलीय विधायक हैं जो हाल ही में रुपौली से जीते हैं. चार विधानसभा की सीट खाली है. एनडीए के पास 126 विधायकों का समर्थन है तो वहीं विपक्ष के पास 109 बहुमत के कारण दोनों सीट एनडीए को मिल रहा है. ऐसे में राजद को एक सीट का इस बार नुकसान हो गया है.
एक्सपर्ट का क्या कहना है: राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का कहना है कि लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार से कुशवाहा में नाराजगी थी, उपेंद्र कुशवाहा को भेज कर उस नाराजगी को दूर करने की कोशिश की जा रही है. क्योंकि बीजेपी ने सम्राट चौधरी को भी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया है. पवन सिंह के कारण उपेंद्र कुशवाहा की जिस प्रकार से काराकाट में हार हुई उसके कारण नाराजगी बनी हुई है.
"ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजकर कुशवाहा समाज की नाराजगी को दूर करने की कोशिश हो रही है तो दूसरी तरफ राजपूत समाज में भी काफी नाराजगी है.इसीलिए आरके सिंह का नाम आगे आ रहा है क्योंकि आरा सीट बीजेपी को लग रहा था कि हर हाल में जीत जाएंगे. कुशवाहा की नाराजगी के कारण हार हो गई तो वहीं काराकाट सीट पर राजपूत का वोट नहीं मिलने के कारण उपेंद्र कुशवाहा की हार हो गई."- प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ
रेस में इन लोगों के नाम आगे: राजनीतिक विशेषज्ञ ने कहा कि आरके सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चहेते मंत्रियों में से एक रहे हैं. आरा में उन्होंने काम भी अच्छा किया है. ऐसे अश्विनी चौबे का नाम भी लिया जा रहा है. अश्विनी चौबे को इस बार टिकट नहीं दिया गया था. उन्हें भाजपा नेतृत्व के तरफ से आश्वासन दिया गया था. फिलहाल ना तो संगठन में है और ना ही किसी पद पर. ऐसे में मजबूत दावेदार हैं. आरके सिंह संगठन में कमजोर पड़ जाते हैं. संगठन में उन्होंने अभी तक कोई भूमिका भी नहीं निभाई है.
उस मामले में अश्वनी चौबे उनसे भारी पड़ते हैं . इन दोनों के अलावा आरके सिन्हा के बेटे ऋतुराज का भी नाम आ रहा है. रमादेवी को भी इस बार टिकट नहीं दिया गया. हालांकि वैश्य समाज से आने वाले दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है तो उन्हें पार्टी मौका देगी, इसकी संभावना कम है. इनके अलावा प्रेम रंजन पटेल भी दावेदारों में है किसी दलित को भी बीजेपी राज्यसभा में भेज सकती है. बीजेपी 2025 विधानसभा चुनाव को लेकर ही फैसला लेगी.
राज्यसभा में दलगत स्थिति: राज्यसभा में बिहार से कुल 16 सांसद हैं. इसमें से दो सीट अभी खाली हो गयी है. यानी की 14 सांसद हैं, उसमें एनडीए के पास आठ सीट है तो वहीं इंडिया ब्लॉक के पास 6 सीट . दो सीट एनडीए को और मिल जाएगा तो एनडीए की संख्या बढ़कर 10 हो जाएगी. अभी दलों की स्थिति की बात करें तो बीजेपी के 04, जदयू के 04, आरजेडी के 05 और कांग्रेस के 01 सीट हैं.
राज्यसभा के माध्यम से 2025 को साधने की कोशिश: 14 अगस्त से नॉमिनेशन का काम शुरू हो जाएगा और 3 सितंबर को चुनाव होगा. उसी दिन रिजल्ट की भी घोषणा होगी. ऐसे में नॉमिनेशन शुरू होने में एक सप्ताह से भी कम समय रह गया है. बीजेपी और जदयू के नेता 2025 के समीकरण को साधने में लगे हैं.
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