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महागठबंधन के कई और विधायक बदल सकते हैं पाला! वरिष्ठ नेताओं के नाम की भी चर्चा

Bihar politics बिहार विधानसभा में बजट सत्र के दौरान अब तक 6 विधायकों ने महागठबंधन छोड़कर सत्ता पक्ष की तरफ पाला बदल लिया है. बिहार विधानसभा के बजट सत्र का दो दिन और बचा हुआ है. यह दो दिन महत्वपूर्ण माना जा रहा है. लोकसभा चुनाव होना है पर उससे पहले 11 सीटों पर विधान परिषद का चुनाव भी होगा. राजनीतिक गलियारे में दोनों चुनाव से पहले 'बड़ा खेला' होने का दावा किया जा रहा है. पढ़ें, विस्तार से.

विधायक बदल सकते हैं पाला!
विधायक बदल सकते हैं पाला!
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 28, 2024, 3:39 PM IST

बिहार में विधायक बदल सकते हैं पाला.

पटना: बिहार में महागठबंधन के करीब एक दर्जन और विधायक पाला बदल सकते हैं. पाला बदलने वालों में राजद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी हो सकते हैं. राजनीतिक गलियारों में इसको लेकर चर्चा चल रही है. हालात ऐसे बन गये हैं कि नेता जब मिलते हैं तो आने-जाने की ही बात हो रही है. बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी विधानसभा पहुंचे तो पोर्टिको में राजद विधायक भाई वीरेंद्र मिल गये. उन्होंने मुख्यमंत्री को 3 मार्च की रैली में शामिल होने का निमंत्रण दिया तो सम्राट चौधरी ने भाई वीरेंद्र का हाथ पकड़ कर पूछ लिया 'आप कब आ रहे हैं'.

अभी और दल बदल की संभावना: नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद से ही बिहार में राजनीतिक हलचल थमने का नाम नहीं ले रहा है. पहले विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राजद के तीन विधायक चेतन आनंद, नीलम देवी और प्रहलाद यादव सत्ता पक्ष की तरफ आकर बैठ गए. ठीक 15 दिन बाद महागठबंधन के तीन और विधायक जिसमें कांग्रेस के दो पूर्व मंत्री मुरारी गौतम, सिद्धार्थ सौरभ और राजद की संगीता कुमारी सत्ता पक्ष की तरफ आकर बैठ गए. पाला बदलने का खेल खत्म नहीं हुआ है. सबसे अधिक खतरा कांग्रेस को है. सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के कम से कम आधा दर्जन विधायक पाला बदल सकते हैं.

राजद नेताओं में नाराजगीः राजद के भी कई विधायकों के टूटने की चर्चा है. हालांकि सभी विधायक सफाई देते दिख रहे हैं. जो विधायक पाला बदल कर सत्ता पक्ष की तरफ गए हैं उस पर निशाना साध रहे हैं. लेकिन, राजद खेमे में कई वरिष्ठ विधायक पार्टी के फैसले से खुश नहीं है. हाल में तेजस्वी यादव के सलाहकार संजय यादव को राज्यसभाभेजा गया, उसको लेकर भी पार्टी का एक खेमा नाराज है. तेजस्वी यादव की पार्टी के नेताओं से दूरी बनाना भी वरिष्ठ नेताओं को अखर रहा है. संगीता कुमारी के अचानक पाला बदलने से राजद नेता हैरान हैं. संगीता कुमारी को पार्टी की और से प्रवक्ता बनाकर सम्मानित किया गया था.


दल बदलने पर नेताओं की प्रतिक्रियाः बीजेपी और जदयू के नेता लगातार कह रहे हैं राजद और कांग्रेस का सफाया होना तय है. कई लोग संपर्क में हैं. उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा से लेकर मंत्री प्रेम कुमार तक लगातार कह रहे हैं अभी तो ट्रेलर दिखा है.राजद विधायक रणविजय साहू का कहना है कि बीजेपी पैसे के बल पर खरीद फरोख्त कर रही है. वही फतेह बहादुर का कहना है कि जिनको पार्टी में विश्वास है कोई नहीं जाएंगे. बीजेपी एमएलसी संजय मयूख का कहना है कि जैसे जैसे तेजस्वी की यात्रा आगे बढ़ेगी, उनका जनाधार समाप्त होता जाएगा.

"तेजस्वी यादव जन विश्वास यात्रा कर रहे हैं. उन्हें पहले अपने विधायकों का विश्वास जीत लेना चाहिए. तेजस्वी यादव, पहले अपने विधायकों को संभालना चाहिए तब यात्रा करें. जो विधायक हमारे गठबंधन में आ रहे हैं उनका स्वागत है."- मदन सहनी, जदयू विधायक

विधानसभा में बदला दलों का समीकरणः महागठबंधन के विधायकों के पाला बदलने से विधानसभा का समीकरण बदल गया है. अब आरजेडी बड़ी पार्टी नहीं रह गई है. उसके विधायकों की संख्या घटकर 75 हो गयी है. वहीं भाजपा 78 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी हो गई है. 45 विधायकों के साथ जदयू अभी भी तीसरे नंबर की पार्टी है. कांग्रेस के विधायकों की संख्या भी 19 से घटकर 17 हो गई है. वहीं वाम दलों के विधायकों की संख्या एक विधायक की सदस्यता समाप्त होने के बाद 15 हो गई है. एक निर्दलीय विधायक हैं, जो जदयू का समर्थन कर रहा है. एक एआईएमआईएम के विधायक हैं.

इसे भी पढ़ेंः 'लोकतंत्र हुआ शर्मसार', विधायकों के पाला बदलने को लेकर बिहार विधानसभा में लेफ्ट का जोरदार हंगामा

इसे भी पढ़ेंः किस करवट लेगी बिहार की राजनीति? कांग्रेस-राजद के 3 विधायकों के पाला बदलना बड़ा संकेत

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बिहार में विधायक बदल सकते हैं पाला.

पटना: बिहार में महागठबंधन के करीब एक दर्जन और विधायक पाला बदल सकते हैं. पाला बदलने वालों में राजद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी हो सकते हैं. राजनीतिक गलियारों में इसको लेकर चर्चा चल रही है. हालात ऐसे बन गये हैं कि नेता जब मिलते हैं तो आने-जाने की ही बात हो रही है. बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी विधानसभा पहुंचे तो पोर्टिको में राजद विधायक भाई वीरेंद्र मिल गये. उन्होंने मुख्यमंत्री को 3 मार्च की रैली में शामिल होने का निमंत्रण दिया तो सम्राट चौधरी ने भाई वीरेंद्र का हाथ पकड़ कर पूछ लिया 'आप कब आ रहे हैं'.

अभी और दल बदल की संभावना: नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद से ही बिहार में राजनीतिक हलचल थमने का नाम नहीं ले रहा है. पहले विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राजद के तीन विधायक चेतन आनंद, नीलम देवी और प्रहलाद यादव सत्ता पक्ष की तरफ आकर बैठ गए. ठीक 15 दिन बाद महागठबंधन के तीन और विधायक जिसमें कांग्रेस के दो पूर्व मंत्री मुरारी गौतम, सिद्धार्थ सौरभ और राजद की संगीता कुमारी सत्ता पक्ष की तरफ आकर बैठ गए. पाला बदलने का खेल खत्म नहीं हुआ है. सबसे अधिक खतरा कांग्रेस को है. सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के कम से कम आधा दर्जन विधायक पाला बदल सकते हैं.

राजद नेताओं में नाराजगीः राजद के भी कई विधायकों के टूटने की चर्चा है. हालांकि सभी विधायक सफाई देते दिख रहे हैं. जो विधायक पाला बदल कर सत्ता पक्ष की तरफ गए हैं उस पर निशाना साध रहे हैं. लेकिन, राजद खेमे में कई वरिष्ठ विधायक पार्टी के फैसले से खुश नहीं है. हाल में तेजस्वी यादव के सलाहकार संजय यादव को राज्यसभाभेजा गया, उसको लेकर भी पार्टी का एक खेमा नाराज है. तेजस्वी यादव की पार्टी के नेताओं से दूरी बनाना भी वरिष्ठ नेताओं को अखर रहा है. संगीता कुमारी के अचानक पाला बदलने से राजद नेता हैरान हैं. संगीता कुमारी को पार्टी की और से प्रवक्ता बनाकर सम्मानित किया गया था.


दल बदलने पर नेताओं की प्रतिक्रियाः बीजेपी और जदयू के नेता लगातार कह रहे हैं राजद और कांग्रेस का सफाया होना तय है. कई लोग संपर्क में हैं. उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा से लेकर मंत्री प्रेम कुमार तक लगातार कह रहे हैं अभी तो ट्रेलर दिखा है.राजद विधायक रणविजय साहू का कहना है कि बीजेपी पैसे के बल पर खरीद फरोख्त कर रही है. वही फतेह बहादुर का कहना है कि जिनको पार्टी में विश्वास है कोई नहीं जाएंगे. बीजेपी एमएलसी संजय मयूख का कहना है कि जैसे जैसे तेजस्वी की यात्रा आगे बढ़ेगी, उनका जनाधार समाप्त होता जाएगा.

"तेजस्वी यादव जन विश्वास यात्रा कर रहे हैं. उन्हें पहले अपने विधायकों का विश्वास जीत लेना चाहिए. तेजस्वी यादव, पहले अपने विधायकों को संभालना चाहिए तब यात्रा करें. जो विधायक हमारे गठबंधन में आ रहे हैं उनका स्वागत है."- मदन सहनी, जदयू विधायक

विधानसभा में बदला दलों का समीकरणः महागठबंधन के विधायकों के पाला बदलने से विधानसभा का समीकरण बदल गया है. अब आरजेडी बड़ी पार्टी नहीं रह गई है. उसके विधायकों की संख्या घटकर 75 हो गयी है. वहीं भाजपा 78 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी हो गई है. 45 विधायकों के साथ जदयू अभी भी तीसरे नंबर की पार्टी है. कांग्रेस के विधायकों की संख्या भी 19 से घटकर 17 हो गई है. वहीं वाम दलों के विधायकों की संख्या एक विधायक की सदस्यता समाप्त होने के बाद 15 हो गई है. एक निर्दलीय विधायक हैं, जो जदयू का समर्थन कर रहा है. एक एआईएमआईएम के विधायक हैं.

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