दुर्ग : भिलाई के जामुल में विशाल हिंदू राष्ट्र धर्म सभा का आयोजन किया गया. जिसमें गोवर्धनमठ पीठाधीश्वर पुरी जगद्गुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज का आगमन हुआ.धर्म सभा में शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने प्रांगण में मौजूद जनसैलाब को धर्म और उसकी रक्षा के बारे में बताया. इसी बीच पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने धर्मांतरण को लेकर बड़ा बयान दिया है.
धर्म बचाने के लिए निकाले एक घंटा : शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि ''हिंदू परिवार में से एक आदमी एक घंटा अपने समाज के लिए जरूर निकले. इससे समाज टूटेगा नहीं, घर और मंदिर को अर्थ और सेवा का केंद्र बना लें. अपनी क्षेत्र की जितनी समस्याएं हैं उसका मिल जुलकर समाधान करें. गरीबी राजनेता पालते हैं और फायदा उठाते हैं क्रिश्चियन धर्म के लोग. सरकार पर निर्भर ना रहे. ये जो राजनेता होते हैं सभी कार्य में निपुण होते हैं. शब्दभेदी बाण चलाकर अपना उल्लू सीधा करते हैं.इसलिए राजनेता कुछ भी बोले हमको कुछ नहीं कहना है.सिर्फ अपने विवेक का इस्तेमाल करके राजनेता को चुनना है. व्यक्ति का स्तर जब ऊंचा होगा तो राजनेता भी अच्छे मिलेंगे. जहां व्यक्ति का स्तर है घटिया होगा, वहां राजनेता भी घटिया ही मिलेंगे.''
मोदी और राहुल को लेकर कही बड़ी बात : इसके दौरान जगद्गुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि ''मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ना समर्थन करता हूं और ना ही विरोध करता हूं. लेकिन जहां निराकरण करना होता है, वहां निराकरण करता हूं. इसमें कोई मिली भगत नहीं है.'' वहीं शंकराचार्य निश्चलानंद महाराज ने राहुल गांधी पर भी चुटकी ली.
''राहुल गांधी अपने नाम के पीछे ल शब्द बनाएं रखे तो ठीक है. यदि हट जाए तो राहुल से ल हटेगा और वो राहु हो जाएंगे. भारत के प्रति आस्था बनाए रखना चाहिए.इसी में भावना होनी चाहिए.'' शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती,पीठाधीश्वर पुरी
राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर दिया था बयान ? : इससे पहले अयोध्या रामलला प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भी शंकराचार्य ने बड़ा बयान दिया था.उस वक्त शंकराचार्य ने कहा था कि श्री राम धर्मनिरपेक्ष नहीं थे. धार्मिक स्थलों को पर्यटन केंद्रों में बदला जा रहा है. विलासिता को धर्म के साथ जोड़ना उचित नहीं है. राम मंदिर को लेकर जिस तरह की राजनीति की जा रही है, वह ठीक नहीं है.मैंने जो सुना है, अगर मोदी जी उद्घाटन करेंगे, मूर्ति को छूएंगे, तो मैं वहां क्या करूंगा?.क्या मैं वहां जाकर सिर्फ ताली बजाऊंगा.' शंकराचार्य के इस बयान के कारण काफी विवाद भी हुआ था.