रांची: रांची के बड़गाई अंचल की 8.66 एकड़ जमीन के पीछे कौन-कौन से खेल हुए, खेल किसने करवाए और उस खेल में कौन-कौन सहभागी बने, इन सबका खुलासा ईडी ने उचित सबूतों और दस्तावेजों के साथ किया है. यही वजह है कि जब ईडी ने तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन को पहला समन भेजा था तो वह किसी तरह खुद को बड़गाई जमीन से अलग करने की कोशिश करने लगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
पहले समन से ही खुद को बचाने में जुट गए हेमंत
दरअसल, जब ईडी ने जमीन घोटाला मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पहली बार समन भेजा था, तो हेमंत सोरेन को समझ आ गया था कि भविष्य में उनकी मुश्किलें बढ़ेंगी. पहला समन मिलने के बाद हेमंत खुद ही बड़गाई जमीन को अलग करने की कोशिश में लग गये. चार्जशीट में ईडी ने दावा किया है कि सीएम रहते हुए जब पहली बार हेमंत सोरेन को समन भेजा गया था, तब से ही हेमंत सोरेन ने खुद को इस जमीन से दूर करने की कोशिश शुरू कर दी थी. इस फर्जीवाड़े में सह अभियुक्त राजकुमार पाहन ने उनका साथ दिया.
ईडी ने चार्जशीट में गणेश पाहन, कोका पाहन और माखन पाहन के बयान का भी जिक्र किया है. तीनों का नाम जमीन के केवट में दर्ज है. तीनों ने एजेंसी को बताया कि यह जमीन उनके पूर्वजों की है, लेकिन 1980 के दशक में इस जमीन को अशोक जायसवाल ने खरीद लिया था. इसके बाद इस जमीन पर बटाईदारी में खेती की जाने लगी. वर्ष 2010-11 में इस जमीन पर शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन ने कब्जा कर लिया था, तीनों ने पीएमएलए को दिए बयान में बताया है कि जमीन पर कब्जा करने के बाद हिलेरियस कच्छप ने यहां की बाउंड्री करा दी, वहीं स्थानीय दबंग लोगों को वहां तैनात कर दिया. जिसके बाद वहां खेती नहीं हो सकी.
जमीन का म्यूटेशन रद्द करने का प्रयास
ईडी ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि एजेंसी ने पहली बार 14 अगस्त 2023 को हेमंत सोरेन को समन किया था, जब वह सीएम थे. इस समन के बाद ही 16 अगस्त 2023 को सह अभियुक्त राजकुमार पाहन ने कई लोगों के हस्ताक्षर से रांची डीसी को एक याचिका दी, जिसमें 80 के दशक में हुई जमीन की जमाबंदी को रद्द करने की मांग की गयी, साथ ही बताया गया कि जमीन उनके कब्जे में है.
ईडी ने जब इस अर्जी पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों को बुलाकर पूछताछ की तो नए तथ्य सामने आए. राजकुमार पाहन के चाचा मनोज पाहन, शंकर पाहन, अनिल मुंडा, पारसनाथ पाहन, आलोक पाहन, पारसनाथ पाहन, वीरेंद्र मुंडा, धनंजय पाहन, सुधीर पाहन ने ईडी को बताया है कि जमीन उनके पूर्वजों की है, लेकिन यह जमीन की बिक्री हो गयी थी.
सभी ने ईडी को बताया कि राजकुमार पाहन ने सभी से गलत बयान देने को कहा था. अधिकांश लोगों ने बताया कि उन्होंने इस जमीन का म्यूटेशन रद्द करने के आवेदन का मजमून भी नहीं पढ़ा है. बाद में इसी अर्जी के आधार पर एसएआर कोर्ट ने 29 जनवरी को जमीन का म्यूटेशन रद्द कर दिया. ईडी ने कोर्ट को बताया है कि अपने पद का दुरुपयोग कर हेमंत सोरेन ने इस तरह से ईडी की जांच को प्रभावित करने की कोशिश की.
पिंटू का बयान हुआ मारक साबित
रांची जमीन घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेकर सबसे बड़ा खुलासा उनके ही प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू ने किया है. अभिषेक प्रसाद के बयान का जिक्र ईडी ने अपनी 191 पेज की चार्जशीट में किया है. आरोप पत्र में बताया गया है कि ईडी ने 18 मार्च 2024 को पीएमएलए 50 के तहत पिंटू का बयान लिया था. इस बयान में पिंटू ने कबूल किया था कि उदय शंकर सीएमओ में कार्यरत था, वह उदय शंकर के जरिए अधिकारियों को निर्देश भेजता था. पिंटू ने बताया है कि हेमंत सोरेन की बड़गाई की 8.86 एकड़ जमीन के भौतिक सत्यापन का आदेश तत्कालीन सीएम के आदेश पर दिया गया था.
हेमंत सोरेन के कहने पर बड़गाई जमीन के अलावा उनकी और उनके परिवार के सदस्यों की दो अन्य जमीन का भौतिक सत्यापन किया गया. ईडी ने चार्जशीट में बताया है कि उदय शंकर और पिंटू के बीच मोबाइल चैट भी मिली है जिसमें 12 अक्टूबर 2022 को पिंटू ने दो अन्य जमीनों के भौतिक सत्यापन का आदेश दिया था.
सीएमओ के प्रभाव से पुलिस ने नहीं की कोई कार्रवाई
बड़गाई इलाके में प्लॉट 987, खाता नंबर 221 की 8.86 एकड़ जमीन के मालिक विष्णु कुमार भगत ने अपने बयान में ईडी को बताया कि उनकी जमीन पर तत्कालीन सीएम का कब्जा था. इस जमीन को लेकर उन्हें कई बार धमकियां मिल चुकी थीं, उन्होंने थाने में शिकायत दर्ज करानी चाही, लेकिन पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया. प्लॉट नंबर 988बी के मालिक शशिभूषण सिंह, प्लॉट नंबर 993 के मालिक अशोक जयसवाल ने भी अगस्त 2023 में ईडी के सामने यही बयान दिया था.