सहारनपुर: यूपी के सहारनपुर के देवबंद स्थित दारुल उलूम ने फतवों को लेकर बड़ी घोषणा की है. विश्वविख्यायत इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने बिना आईडी के तीन तलाक पर फतवा जारी करने पर बैन लगा दी है. अब अगर किसी को दारुल उलूम के फतवा विभाग से कोई किसी भी सवाल का जवाब मांगना है तो सवालों के साथ अपनी आईडी लगानी होगी. बिना आईडी के सवालों पर अब फतवा जारी नहीं किया जाएगा. साथ ही दारुल उलूम प्रबंधन ने सभी मुफ्तियों और मौलानाओं को भी इसको लेकर सख्त हिदायत दी है.
बता दें कि, पिछले दिनों दारुल उलूम देवबंद ने नेल पाॅलिश लगाना, सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड करने पर भी फतवे जारी किये थे. जिसको लेकर यह संस्थान सुर्खियों में रहा था. दारुल उलूम के फतवा विभाग ने महिलाओं के नेल पॉलिश लगाने और सोशल मीडिया पर फोटो डालने को शरीयत में नाजायज करार दिया था. दारुल उलूम के इन फतवों पर मुस्लिम महिलाओं ने आपत्ति जताई थी. वहीं इसी तरह कई फतवे चर्चा का विषय बन गए थे. यही वजह है कि फतवों को लेकर दारुल उलूम देवबंद ने सख्त रवैया अख्तियार किया है. क्योंकि कुछ लोगों ने तीन तलाक को लेकर सवाल किये थे.
दरअसल दारुल उलूम ने साल 2005 में ऑनलाइन फतवा विभाग शुरू किया था. जिसमें देश-विदेश में बैठे इस्लाम से जुड़े लोग मुफ्तियों से ऑनलाइन सवाल पूछते हैं. लेकिन इन फतवों में उल जुलूल सवाल ही ज्यादा पूछे जा रहे हैं और उन पर वैसे ही फतवे भी दिए जा रहे हैं जो चर्चा के केंद्र में रह रहे हैं. जैसे एक फतवे में कहा गया कि, मुस्लिम महिलाओं को नेल पॉलिश नहीं लगाना चाहिए. महिलाओं को नाखून पर नेल पॉलिश की बजाय मेहंदी का इस्तेमाल करना चाहिए. नाखूनों पर नेल पॉलिश लगाना इस्लाम के खिलाफ बताया गया है.
ऐसे ही एक फतवे में तो यह भी कहा गया कि, मुस्लिम महिलाओं को आईब्रो भी नहीं बनवानी चाहिए. आईब्रो बनवाना, वैक्सिंग करवाना या फिर बाल कटवाना शरीयत के खिलाफ और इस्लाम में हराम करार दिया गया. इतना ही नहीं महिलाओं के चुस्त और तंग बुर्का पहनने को भी इस्लाम में नाजायज बताया गया.
ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून बन जाने के बाद भी फतवा विभाग से तीन तलाक को लेकर सवाल पूछे जाते रहे हैं. जिसके चलते दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. उनका कहना है कि, बिना आईडी के तीन तलाक पर सवाल पूछने वाले को कोई जवाब नहीं दिया जाएगा. अब वास्तविक आईडी वाले व्यक्ति के सवाल पर ही वाजिब जवाब दिया जाएगा.
बता दें कि, तीन तलाक को 30 जुलाई 2019 को अवैध और असांविधानिक घोषित कर इसे दंडनीय अधिनियम बना दिया गया था. इसके बाद इस्लामी तालीम के प्रमुख केंद्र दारुल उलूम में तीन तलाक पर हालांकि फतवों की संख्या न के बराबर हो गई.