चंडीगढ़: हरियाणा में धान की खरीद जारी है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कुल आवक में से 36 लाख टन से अधिक धान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जा चुका है. हरियाणा सरकार का दावा है कि फसल खरीद के लिए सीधे किसानों के बैंक खातों में पैसे वितरित किया जा रहा है. चालू सीजन के दौरान अब तक 5,537 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों के खाते में किया जा चुका है. इस सीजन में मंडियों में धान और बाजरा की खरीद जारी है.
हरियाणा में धान खरीद जारी: अब तक विभिन्न मंडियों में 39,66,050 मीट्रिक टन (एमटी) धान आ चुका है. कुल आवक में से 36,69,146 मीट्रिक टन धान एमएसपी पर खरीदा जा चुका है. मंडियों से धान का निरंतर उठान भी सुनिश्चित किया जा रहा है. किसानों को अपनी फसल बेचने में किसी तरह की परेशानी ना हो और उन्हें मंडियों में प्रवेश करने के लिए अनावश्यक इंतजार ना करना पड़े, इसके लिए संबंधित विभाग ने ऑनलाइन गेट पास की सुविधा प्रदान की है.
भूपेंद्र हुड्डा ने उठाए सवाल: सरकार सामान्य धान के लिए 2,300 रुपये प्रति क्विंटल और ग्रेड-ए धान के लिए 2,320 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य दे रही है. हालांकि, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बुधवार को कहा कि मंडियों में धान की खरीद और उठान में देरी के कारण किसान चिंतित हैं. कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार एक बार फिर किसानों को एमएसपी और खाद देने में पूरी तरह विफल साबित हुई है.
'वादे से मुकर गई बीजेपी सरकार': भूपेंद्र हुड्डा ने कहा "मंडियों में धान की खरीद और उठान में देरी के कारण किसान परेशान हैं. मंडियों में धान की खरीद ना होने के कारण उन्हें एमएसपी से कम दर पर फसल बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि चुनाव से पहले भाजपा ने किसानों को धान पर 3,100 रुपये (प्रति क्विंटल) का मूल्य देने का वादा किया था. भाजपा हमेशा की तरह चुनाव जीतने के बाद अपने वादे से मुकर गई है."
'सरकार उठान में देरी कर रही': भूपेंद्र हुड्डा ने कहा "सरकार किसानों को अगली फसल की बुआई के लिए डीएपी भी उपलब्ध नहीं करा रही है. खाद की आपूर्ति ना होने के कारण किसानों को कई दिनों तक लंबी कतारों में इंतजार करना पड़ता है. फिर भी उन्हें खाद नहीं मिल पाती और उन्हें कालाबाजारी से खाद खरीदनी पड़ती है. प्रदेश की मंडियां धान से भरी पड़ी हैं और किसान अपनी फसल सड़क पर रखने को मजबूर हैं. सरकार उठान में भी जानबूझकर देरी कर रही है."
'पराली के एमएसपी पर खरीदे सरकार': पूर्व सीएम ने कहा कि अभी तक 10 लाख मीट्रिक टन धान का उठान होना बाकी है. इसके कारण किसानों को भुगतान में भी देरी हो रही है. हुड्डा ने कहा कि किसान अपनी फसल एमएसपी से 200-400 रुपये कम पर बेचने को मजबूर हैं. एमएसपी और खाद देने की बजाय सरकार पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने पर पूरा जोर दे रही है. पूरे प्रदेश में किसानों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं और पराली जलाने वालों के कृषि अभिलेखों में रेड एंट्री की जा रही है. जबकि सरकार को पराली का एमएसपी तय कर उसे खरीदना चाहिए. उन्होंने कहा कि पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पूरी तरह से निंदनीय है.
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