भोपाल। समय कभी भी किसी का भी एक सा नहीं होता. कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ की बात पार्टी में कभी अनसुनी नहीं की जाती थी लेकिन इस बार ऐसा क्या हुआ कि वो अपनी ही पार्टी को छोड़ने का संकेत दे चुके हैं. सियासी गलियारों में तो यही चर्चा है कि कमलनाथ भाजपा ज्वाइन करने वाले हैं. क्या इस सब के पीछे राज्यसभा की सीट है. सिंधिया के बाद क्या अब कमलनाथ भी पाला बदलेंगे.
यही तो है सियासत का संयोग
इसे एमपी की सियासत का संयोग ही कहें कि जिस तरह से सिंधिया ने कांग्रेस को छोड़ा उस वक्त भी राज्यसभा सीट को लेकर ही घमासान मचा था, अब एक बार फिर राज्यसभा सीट को लेकर घमासान देखा जा रहा है. कांग्रेस में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया थे तो उन्हें भी राज्यसभा जाना था लेकिन उनकी जगह दिग्विजय सिंह को भेज दिया गया. उन परिस्थितियों के चलते सिंधिया की नाराजगी देखी गई और उन्होंने कांग्रेस को तगड़ा झटका देते हुए कांग्रेस की सरकार ही गिरवा दी.
कमलनाथ के साथ कितने विधायक
सिंधिया के साथ 22 विधायक गए थे, अब इस बार भी कांग्रेस के लिए राज्यसभा सीट मुसीबतें लेकर आई, अब क्या कमलनाथ भी इससे नाराज हैं कि उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा गया और उनका गुस्सा भी फूट पड़ा. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि उनके पास भी करीब 24 विधायक हैं इसके साथ ही महापौर भी उनके खेमे के हैं. ऐसे में अब बड़ा सवाल यही है कि राज्यसभा का टिकट कमलनाथ को न देकर कांग्रेस ने खुद के लिए क्या बड़ी खाई तैयार कर ली है.
नकुलनाथ के लिए कर रहे जमीन तैयार
छिंदवाड़ा किला अब तक बीजेपी के लिए अभेद्य रहा है लेकिन अब सियासी समीकरण ऐसे बन रहे हैं कि बीजेपी का छिंदवाड़ा जीतने का सपना अब सपना नहीं रहेगा. खुद कमलनाथ के बीजेपी ज्वाइन करने की सुगबुगाहट तेज हो गई है. ऐसे में यदि कमलनाथ बीजेपी ज्वाइन करते हैं तो तय मानिए कि उनका बेटा नकुलनाथ छिंदवाड़ा से बीजेपी के निशान पर लोकसभा चुनाव लड़ेगा. वरिष्ठ पत्रकार उमाशरण श्रीवास्तव का कहना है कि "जिस तरह से कांग्रेस में परिस्थितियां बनी हैं और कमलनाथ खुद राज्यसभा जाने की इच्छा रखते हैं ऐसे में उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा गया और उन्होंने खुद को बीजेपी में शामिल करना बेहतर समझा."
कमलनाथ क्यों जाना चाहेंगे बीजेपी में
राज्यसभा चुनाव में पहले कांग्रेस को सिंधिया झटका दे चुके और अब बारी है कमलनाथ की. दरअसल कमलनाथ पर भी लगातार दबाव है, दूसरी तरफ जिस तरह से उनके खिलाफ भी मामला है और उनके भतीजे के खिलाफ भी मामले चल रहे हैं इन सबको देखते हुए कमलनाथ बीजेपी में शामिल होकर इन मामलों को क्या सेटिल करना चाहते हैं. कहा तो ये भी जा रहा है कि उन्हें अपने बेटे का राजनैतिक भविष्य भी देखना है.
कमलनाथ का सियासी सफर
कमलनाथ ने अपने सियासी सफर की शुरुआत कांग्रेस में इंदिरा गांधी के समय की थी. वे 1968 में युवा कांग्रेस में शामिल हुए. इंदिरा गांधी ने 1980 में कमलनाथ को छिंदवाड़ा लोकसभा से टिकट दिया जहां से वह अब नौ बार सांसद बने. 2018 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, वहीं 2023 में एमपी विधानसभा में कांग्रेस की चुनाव में हार के बाद प्रदेश प्रमुख का पद छोड़ दिया लेकिन वे चुनाव जीत गए थे.
इंदिरा ने कमलनाथ को तीसरा बेटा कहा था
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा माना था. इस बात का जिक्र खुद इंदिरा गांधी ने एक जनसभा में किया था. उन्होंने भरी सभा में कहा था कि मेरे तीसरे बेटे कमलनाथ हैं आप लोग इन्हें वोट दें.
डीपी से कांग्रेस का नाम हटाया
नकुलनाथ सहित सज्जन वर्मा और अन्य कमलनाथ समर्थकों ने अपनी डीपी से कांग्रेस का नाम हटा दिया है. जिस तरह से सियासी समीकरण दिख रहे हैं वह यह इशारा कर रहे हैं कि क्या अब कमलनाथ अपने समर्थकों के साथ अपना मुकाम बदलने वाले हैं. जिस तरह से नकुलनाथ ने सोशल मीडिया प्रोफाइल से कांग्रेस का नाम हटा दिया है इससे सियासी गलियारों में ये साफ हो चुका है कि अब कांग्रेस को ये विदाई कहने वाले हैं.