भोपाल: मध्य प्रदेश की जेलों में लागू अंग्रेजों के जमाने का कानून बदलने में फिर अंग्रेजी आड़े आ गई है. प्रदेश की जेलों में नया कानून लागू करने के लिए मध्य प्रदेश सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह अधिनियम के तहत जेल मैनुअल तैयार किया गया है. इस मैनुअल को पहले 2 अक्टूबर और फिर 1 जनवरी से लागू करने की तैयारियां कर ली गई, लेकिन इसे 1 जनवरी से लागू नहीं किया जा सका. इसमें एक बार फिर अंग्रेजी आड़े आ गई है. अब जेल मैनुअल आखिर कब से लागू होगा, इसकी समय सीमा तय ही नहीं की गई.
क्या है पूरा मामला, समझें
केन्द्र सरकार द्वारा जेल अधिनियम में बदलाव किए जाने के बाद सबसे पहले मध्यप्रदेश सरकार की मोहन सरकार ने प्रिजन एक्ट 1984 में बदलाव किया. मोहन सरकार एक नया कानून मध्यप्रदेश सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह विधेयक 2024 लेकर आई. इसके बाद अंग्रेजों के जमाने में बनाए गए जेल अधिनियम 1894, बंदी अधिनियम 1900 और बंदी स्थानांतरण अधिनियम 1950 के स्थान पर एक ही अधिनियम लागू कर दिया गया. इसका नोटिफिकेशन भी 30 नवंबर 2024 को जारी कर दिया गया. इसके बाद तय किया गया कि इसे 2 अक्टूबर से लागू कर दिया जाएगा.
इस अधिनियम को हिंदी में तो तैयार किया गया, लेकिन अंग्रेजी में इसे तैयार ही नहीं किया जा सका. इसके चलते तय किया गया कि इसे 1 जनवरी से लागू कर दिया जाएगा, लेकिन अब तक इसका अंग्रेजी में अनुवाद ही नहीं किया जा सका. इसके चलते एक बार फिर इसे टाल दिया गया.
लॉ डिपार्टमेंट की आपत्ति के बाद मामला टला
राज्य सरकार द्वारा तैयार किए गए एक्ट में कुल 18 अध्याय रखे गए हैं. इसके अलावा हिंदी में तैयार किए गए मैनुअल में 981 प्रावधान किए गए हैं. इसके हिंदी से अंग्रेजी में तैयार करने में कई स्थानों पर इसका फॉर्मेट बदल गया है. इसके बाद एक बार फिर इसको लेकर एक्सरसाइज की जा रही है. जेल विभाग ने विधि विभाग से इसको लेकर समय मांगा है.
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नए कानून में कई तरह के प्रावधान
नया कानून में केन्द्र सरकार द्वारा तैयार किए गए कैदियों की सुविधाओं और जेल में रहने के दौरान उनके आचरण में बदलाव के लिए कई तरह के प्रावधान किए गए हैं. इसके तहत कैदियों के पुनर्वास और समाज में उनके घुलने-मिलने के लिए खास प्रयास किए जाएंगे. कैदियां के बचाव और सुरक्षा से जुड़े उपाए किए जाएंगे. जेल में कैदियों के रहने के लिए बैरक, ओपन स्पेस, रसोई के अलावा अन्य तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर दिया जाएगा. अलग-अलग आपराधिक प्रवृत्ति के कैदियों को अलग-अलग रखने की व्यवस्था की जाएगी. कैदियों को कैटेगरी में बांटा जाएगा.