भोपाल. तेज गर्मी बढ़ते ही पारा 40 के पार चला गया है. ऐसे में हीट स्ट्रोक के मामले बढ़ रहे हैं. लोग तेज धूप और गर्मी की वजह से लू का शिकार हो रहे हैं. लोगों में उल्टी-दस्त, पेट दर्द और बुखार की समस्या बढ़ रही है. बात करें मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की, तो यहां शासकीय अस्पतालों में हर दिन मरीजों की संख्या बढ़ती देखी जा रही है. ऐसे में डॉक्टर्स हीट वेव और लू का शिकार होने से बचने के तरीके भी बता रहे हैं.
क्या है हीट स्ट्रोक और उसके लक्षण?
हीट स्ट्रोक को आम बोलचाल में लू लगना भी कहा जाता है. डॉक्टर्स का कहना है कि भोपाल में मई से जून माह के बीच गर्मी से बीमार होने वाले मरीजों की संख्या प्रतिदिन 300 के करीब पहुंच सकती है. ऐसे में जानलेवा गर्मी से बचाव बेहद जरूरी है. हीट स्ट्रोक और लू के लक्षणों में उल्टी-दस्त, पेट दर्द, बुखार, ठंड लगने, तेज सिर और बदन दर्द शामिल है
जेपी हॉस्पिटल में हर दिन आ रहे ऐसे मरीज
भोपाल जिला चिकित्सालय में बढ़ने लगी है ऐसे मरीजों की संख्या (ETV BHARAT)
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डॉक्टर्स के मुताबिक घरों से बिना सावधानी के निकलना, धूप में खाली पेट निकलना और बाहर का खानपान लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है. जेपी अस्तपाल की ओपीडी में हर दिन 70 से 80 मरीज आए रहे हैं. इन्हें उल्टी-दस्त, पेट दर्द, बुखार, ठंड लगने और बदन दर्द की शिकायत हो रही है.
हीट स्ट्रोक या लू से इस तरह करें बचाव
भोपाल के हमीदिया अस्पताल में हीट स्ट्रोक के मरीजों की संख्या 100 के लगभग पहुंची रही है. यहां डॉक्टर्स द्वारा मरीजों को सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है. जैसे-
- धूप में निकलते समय सिर को ढकना.
- धूप में निकलने से पहले पर्याप्त पानी पीना.
- मौसमी फलों और जूस का सेवन करना
- पूरे दिन पर्याप्त पानी पीकर बॉडी को हाइड्रेट रखना
- एसी के तापमान में बैठकर अचानक बाहर जाने से बचना.
- संतुलित और पौष्टिक आहार लेना शामिल है.
डायबिटीज व हृदय रोगी बरतें सावधानी
डॉक्टर्स ने बताया कि ज्यादातर लोगों को ठंड के साथ बुखार, बदन दर्द और उल्टी दस्त की शिकायत हो रही है. ऐसी स्थिति में बुजुर्गों को सबसे ज्यादा खतरा है. खासकर ऐसे लोग जिन्हें डायबिटीज और हृदय रोग संबंधी समस्या है. इनके लिए ज्यादा दिक्कतें हैं. इन लोगों को लू से बचने के लिए हर समय सावधानी रखना चाहिए.
घातक हो सकता है हीट स्ट्रोक (लू लगना)
सीएमएचओ भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने कहा, ' हीट स्ट्रोक होने पर शरीर का तापमान 104 डिग्री फेरेनहाइट तक पहुंच जाता है. यह स्थिति धीरे-धीरे हो सकती है या एकाएक भी आ सकती है. कई गंभीर मामलों में किडनी काम करना बंद कर सकती है. लू लगने पर अगर तुरंत उपचार न किया जाए तो व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है. जिला अस्पताल से लेकर उपस्वास्थ्य केंद्र तक की संस्थाओं को लू के प्रकरणों के उपचार के लिए अलर्ट पर रहने के निर्देश जारी किए गए हैं.'