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मध्यप्रदेश का ऐसा शहर जहां सड़कों पर दिन में इंसान तो रात में टाइगर घूमते हैं

मध्यप्रदेश में एक शहर ऐसा है जहां शाम के बाद सड़कों पर लोग जाना बंद करते हैं. यहां रात में जंगल के राजा घूमते हैं.

Bhopal climate change program
जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 28, 2024, 4:08 PM IST

भोपाल। क्या आपने ऐसे शहर का नाम सुना है जहां की सड़कों पर इंसान और जंगली जानवर घूमते हैं. इंसान और जंगली जानवरों के बीच टाइमिंग भी सेट है. दिन में इस सड़क पर शहरवासियों का आवागमन लगा रहता है लेकिन जैसे ही शाम ढलती है तो इंसान तलाशे भी नहीं मिलते. यहां रात होते ही जंगली जानवर घूमने लगते हैं. जंगल के राजा शेर भी तफरी करते हैं. ये शहर दुनिया में अनोखा है. इसकी चर्चा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव भी करते हैं.

सीएम बोले-हम प्रगति और प्रकृति दोनों चाहते हैं

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है "हम प्रगति और प्रकृति दोनों चाहते हैं. भोपाल से सटा रातीपानी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. रातापानी में दिन में इंसान घूमते हैं और यहीं रात में टाइगर घूमते हैं. 'जिओ और जीने दो' का इससे बड़ा उदाहरण कहीं और नहीं मिलता." मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी जीवनशैली, मान्यता, रीति-रिवाज पर्यावरण से तालमेल सिखाती है. हम राजनेताओं के लिए दो बातें जरूरी हैं. पर्यावरण की चिंता और राजनीतिक पर्यावरण की चिंता करना. भोपाल में जलवायु परिवर्तन को लेकर चल रहे मंथन में जो भी अमृत निकलेगा सरकार उस पर आगे बढ़ेगी.

सीएम मोहन यादव बोले-हम प्रगति और प्रकृति दोनों चाहते हैं (ETV BHARAT)
Bhopal climate change program
कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में आयोजित जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम (ETV BHARAT)

मुख्यमंत्री बोले-हमारे रीति-रिवाज बनाते हैं संतुलन

भोपाल में कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में आयोजित जलवायु परिवर्तन के लिए वैश्विक प्रयास भारत की प्रतिबद्धता में राज्य का योगदान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा "हमारे रीति-रिवाज, मान्यताओं में प्रकृति से संतुलन बनाना सिखाया गया है. हमारे यहां तो भोजन में तुलसी दल डाले बिना खाना नहीं दिया जाता. हमारे भगवान शिव के सकल परिवार में अलग-अलग वाहन हैं, जो प्रकृति से संतुलन बनाए रखना बताते हैं. हमारा जीवन बिना सौर ऊर्जा के संभव नहीं है."

सौर ऊर्जा के मामले में मध्यप्रदेश आगे

मोहन यादव ने कहा "आज पर्यावरण से छेड़छाड़ की बात हो रही है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि इसे बिगाड़ा किसने है. हमारी पूरी जीवनशैली ही इस तरह की है, जो प्रकृति से जोड़ना सिखाती है. वर्तमान में दुनिया अलग दौर से गुजर रही है. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है. इजराइज का भी उदाहरण सामने है. इन सबके बीच एक आशा की किरण भारत के रूप में दिखाई देती है. हमें सामर्थशाली के साथ पर्यावरण प्रेमी भी बनना है." प्रधानमंत्री मोदी ने सौर ऊर्जा का जो लक्ष्य रखा है, उसे देखते हुए मध्यप्रदेश भी बड़ा लक्ष्य लेकर चल रहा है.

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नर्मदा नदी में उत्खनन पर लगेगी रोक

मुख्यमंत्री ने कहा "हमारी जीवनशैली, खानपान ही हमें पर्यावरण पर निर्भर बनाती है. हमारी संस्कृति में तमाम कार्यक्रम की शुरूआत ही दीप प्रज्जवलन से होती है, जो सूर्य की आराधना का प्रतीक है. मध्यप्रदेश सरकार नर्मदा नदी और उनके तटों का संरक्षण सरकार करेगी. नदियों में उत्खनन को रोकने का प्रयास किया जाएगा." मध्यप्रदेश नदियों का मायका है. मध्यप्रदेश से निकलने वाली सभी नदियां गंगा, यमुना जैसी नदियों को आगे बढ़ाती हैं. प्रदेश की सोन नदी के बिना गंगा नदी पूरी नहीं होती. कार्यक्रम में देशभर से 200 से ज्यादा पर्यावरण प्रेमी शामिल हुए. यह पर्यावरण से जुड़े अलग-अलग सब्जेक्ट्स पर पर मंथन करेंगे और अपने सुझाव देंगे.

भोपाल। क्या आपने ऐसे शहर का नाम सुना है जहां की सड़कों पर इंसान और जंगली जानवर घूमते हैं. इंसान और जंगली जानवरों के बीच टाइमिंग भी सेट है. दिन में इस सड़क पर शहरवासियों का आवागमन लगा रहता है लेकिन जैसे ही शाम ढलती है तो इंसान तलाशे भी नहीं मिलते. यहां रात होते ही जंगली जानवर घूमने लगते हैं. जंगल के राजा शेर भी तफरी करते हैं. ये शहर दुनिया में अनोखा है. इसकी चर्चा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव भी करते हैं.

सीएम बोले-हम प्रगति और प्रकृति दोनों चाहते हैं

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है "हम प्रगति और प्रकृति दोनों चाहते हैं. भोपाल से सटा रातीपानी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. रातापानी में दिन में इंसान घूमते हैं और यहीं रात में टाइगर घूमते हैं. 'जिओ और जीने दो' का इससे बड़ा उदाहरण कहीं और नहीं मिलता." मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी जीवनशैली, मान्यता, रीति-रिवाज पर्यावरण से तालमेल सिखाती है. हम राजनेताओं के लिए दो बातें जरूरी हैं. पर्यावरण की चिंता और राजनीतिक पर्यावरण की चिंता करना. भोपाल में जलवायु परिवर्तन को लेकर चल रहे मंथन में जो भी अमृत निकलेगा सरकार उस पर आगे बढ़ेगी.

सीएम मोहन यादव बोले-हम प्रगति और प्रकृति दोनों चाहते हैं (ETV BHARAT)
Bhopal climate change program
कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में आयोजित जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम (ETV BHARAT)

मुख्यमंत्री बोले-हमारे रीति-रिवाज बनाते हैं संतुलन

भोपाल में कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में आयोजित जलवायु परिवर्तन के लिए वैश्विक प्रयास भारत की प्रतिबद्धता में राज्य का योगदान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा "हमारे रीति-रिवाज, मान्यताओं में प्रकृति से संतुलन बनाना सिखाया गया है. हमारे यहां तो भोजन में तुलसी दल डाले बिना खाना नहीं दिया जाता. हमारे भगवान शिव के सकल परिवार में अलग-अलग वाहन हैं, जो प्रकृति से संतुलन बनाए रखना बताते हैं. हमारा जीवन बिना सौर ऊर्जा के संभव नहीं है."

सौर ऊर्जा के मामले में मध्यप्रदेश आगे

मोहन यादव ने कहा "आज पर्यावरण से छेड़छाड़ की बात हो रही है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि इसे बिगाड़ा किसने है. हमारी पूरी जीवनशैली ही इस तरह की है, जो प्रकृति से जोड़ना सिखाती है. वर्तमान में दुनिया अलग दौर से गुजर रही है. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है. इजराइज का भी उदाहरण सामने है. इन सबके बीच एक आशा की किरण भारत के रूप में दिखाई देती है. हमें सामर्थशाली के साथ पर्यावरण प्रेमी भी बनना है." प्रधानमंत्री मोदी ने सौर ऊर्जा का जो लक्ष्य रखा है, उसे देखते हुए मध्यप्रदेश भी बड़ा लक्ष्य लेकर चल रहा है.

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मुख्यमंत्री ने कहा "हमारी जीवनशैली, खानपान ही हमें पर्यावरण पर निर्भर बनाती है. हमारी संस्कृति में तमाम कार्यक्रम की शुरूआत ही दीप प्रज्जवलन से होती है, जो सूर्य की आराधना का प्रतीक है. मध्यप्रदेश सरकार नर्मदा नदी और उनके तटों का संरक्षण सरकार करेगी. नदियों में उत्खनन को रोकने का प्रयास किया जाएगा." मध्यप्रदेश नदियों का मायका है. मध्यप्रदेश से निकलने वाली सभी नदियां गंगा, यमुना जैसी नदियों को आगे बढ़ाती हैं. प्रदेश की सोन नदी के बिना गंगा नदी पूरी नहीं होती. कार्यक्रम में देशभर से 200 से ज्यादा पर्यावरण प्रेमी शामिल हुए. यह पर्यावरण से जुड़े अलग-अलग सब्जेक्ट्स पर पर मंथन करेंगे और अपने सुझाव देंगे.

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