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पूजा खेडकर जैसे मध्य प्रदेश में भी अधिकारी, लंबी फेहरिस्त में हैं 600 से ज्यादा नाम - Caste Certificate Doubt 600 Officer

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 16, 2024, 10:05 PM IST

Updated : Jul 16, 2024, 10:54 PM IST

फर्जी जाति और दिव्यांग प्रमाण पत्र से सरकारी नौकरी पाने का खेल लंबे समय से चल रहा है. महाराष्ट्र की आईएएस पूजा खेडकर के चर्चा में आने के बाद मध्य प्रदेश में भी मामला गरम है. यहां भी तकरीबन 600 क्लॉसवन अधिकारियों के जाति प्रमाण पत्र संदेह के घेरे में हैं.

CASTE CERTIFICATE DOUBT 600 OFFICER
फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में मध्य प्रदेश के 600 अधिकारी शामिल (ETV Bharat)

भोपाल। फर्जी सर्टिफिकेट को लेकर महाराष्ट्र की आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर इन दिनों चर्चाओं में हैं. आरोप है कि उन्होंने फर्जी जाति और दिव्यांग प्रमाण-पत्र लगाकर नौकरी हासिल की है. मध्यप्रदेश में भी फर्जी प्रमाण-पत्र लगाकर नौकरी करने वाले अधिकारी कम नहीं हैं. इनमें कई आईपीएस और आईएएस भी शामिल हैं. आईपीएस ऑफिसर रघुवीर सिंह मीणा का जाति प्रमाण-पत्र गलत पाया जा चुका है. इसी तरह एक एडिशनल एसपी के खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र से नौकरी पाने के मामले में एफआईआर तक दर्ज हो चुकी है. मध्य प्रदेश में करीबन 600 क्लॉस वन अधिकारियों के जाति प्रमाण-पत्र संदेह के घेरे में हैं.

बीजेपी विधायक के पति को लग चुका झटका

बीजेपी की पूर्व विधायक ममता मीणा के पति और आईपीएस ऑफिसर रहे रघुवीर सिंह मीना फर्जी जाति प्रमाण-पत्र से नौकरी पाने के आरोपों में घिरे रहे हैं. जांच के बाद राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने उनके जाति प्रमाण-पत्र को गलत पाया था. रघुवीर सिंह मीना 1986 में डीएसपी के पद पर भर्ती हुए और 2002 में आईपीएस अवॉर्ड हो गए थे बाद में उनके जाति प्रमाण पत्र को लेकर शिकायत हुई. मीना खुद को आदिवासी बताते रहे हैं. उन्होंने विदिशा के लटेरी से 1983 में जाति प्रमाण पत्र बनवाया था. राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने पुलिस महानिरीक्षक विजिलेंस की शिकायत पर जांच की और जांच में इस जाति प्रमाण पत्र को गलत पाया था.

एएसपी पर हो चुकी है एफआईआर दर्ज

मध्यप्रदेश के एक एएसपी पर जाति प्रमाण पत्र के मामले में एफआईआर तक दर्ज हो चुकी है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमृतलाल मीणा ने अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र के आधार पर पुलिस की नौकरी पाई थी, लेकिन शिकायत के बाद जांच हुई. राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने 19 फरवरी 2016 को अपने निर्णय में जाति प्रमाण पत्र में निरस्त कर दिया. मीणा इसके बाद हाईकोर्ट भी गए लेकिन दिसंबर 2023 में कोर्ट का स्टे ऑर्डर हटते ही उनके खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली गई.

संदेह के घेरे में 600 क्लॉस वन अधिकारियों के जाति प्रमाण पत्र

मध्य प्रदेश में हलवा जाति का प्रमाण-पत्र भी फर्जी मानकर निरस्त किया जा चुका है. विदिशा जिले के सिरोंज में मीणा जाति अनुसूचित जनजाति में आती थी, जबकि राजस्थान में मीणा सामान्य जाति में आते हैं. इसी का फायदा उठाकर सिरोंज से बड़ी संख्या में फर्जी जाति प्रमाण पत्र का खेल चला. जिसमें कई अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है, उधर कई जांच के घेरे में हैं. मध्यप्रदेश में करीबन 600 क्लॉस वन अधिकारियों के जाति प्रमाण पत्र संदेह के घेरे में हैं.

ये भी पढ़ें:

जिस जाति प्रमाण पत्र से शासकीय नौकरी पाई उसे निजी बताकर छिपाना गलत, सहकारिता विभाग के मामले में सूचना आयुक्त की टिप्पणी

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'सरकार का नहीं है अंकुश'

रिटायर्ड डीजी अरूण गुर्टू कहते हैं कि "आईएएस, आईपीएस और आईएफएस इन तीनों में पद के दुरूपयोग के सबसे ज्यादा मामले हैं, क्योंकि इन पर किसी तरह का सरकार का अंकुश नहीं है. मध्यप्रदेश में कई अधिकारी-कर्मचारी फर्जी जाति प्रमाण पत्र से नौकरी कर रहे हैं लेकिन ऐसे मामलों में जांच की गति बेहद धीमी है. ऐसे कर्मचारी अधिकारी सालों नौकरी करके रिटायर्ड भी हो जाते हैं और जांच ही खत्म नहीं हो पाती."

भोपाल। फर्जी सर्टिफिकेट को लेकर महाराष्ट्र की आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर इन दिनों चर्चाओं में हैं. आरोप है कि उन्होंने फर्जी जाति और दिव्यांग प्रमाण-पत्र लगाकर नौकरी हासिल की है. मध्यप्रदेश में भी फर्जी प्रमाण-पत्र लगाकर नौकरी करने वाले अधिकारी कम नहीं हैं. इनमें कई आईपीएस और आईएएस भी शामिल हैं. आईपीएस ऑफिसर रघुवीर सिंह मीणा का जाति प्रमाण-पत्र गलत पाया जा चुका है. इसी तरह एक एडिशनल एसपी के खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र से नौकरी पाने के मामले में एफआईआर तक दर्ज हो चुकी है. मध्य प्रदेश में करीबन 600 क्लॉस वन अधिकारियों के जाति प्रमाण-पत्र संदेह के घेरे में हैं.

बीजेपी विधायक के पति को लग चुका झटका

बीजेपी की पूर्व विधायक ममता मीणा के पति और आईपीएस ऑफिसर रहे रघुवीर सिंह मीना फर्जी जाति प्रमाण-पत्र से नौकरी पाने के आरोपों में घिरे रहे हैं. जांच के बाद राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने उनके जाति प्रमाण-पत्र को गलत पाया था. रघुवीर सिंह मीना 1986 में डीएसपी के पद पर भर्ती हुए और 2002 में आईपीएस अवॉर्ड हो गए थे बाद में उनके जाति प्रमाण पत्र को लेकर शिकायत हुई. मीना खुद को आदिवासी बताते रहे हैं. उन्होंने विदिशा के लटेरी से 1983 में जाति प्रमाण पत्र बनवाया था. राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने पुलिस महानिरीक्षक विजिलेंस की शिकायत पर जांच की और जांच में इस जाति प्रमाण पत्र को गलत पाया था.

एएसपी पर हो चुकी है एफआईआर दर्ज

मध्यप्रदेश के एक एएसपी पर जाति प्रमाण पत्र के मामले में एफआईआर तक दर्ज हो चुकी है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमृतलाल मीणा ने अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र के आधार पर पुलिस की नौकरी पाई थी, लेकिन शिकायत के बाद जांच हुई. राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने 19 फरवरी 2016 को अपने निर्णय में जाति प्रमाण पत्र में निरस्त कर दिया. मीणा इसके बाद हाईकोर्ट भी गए लेकिन दिसंबर 2023 में कोर्ट का स्टे ऑर्डर हटते ही उनके खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली गई.

संदेह के घेरे में 600 क्लॉस वन अधिकारियों के जाति प्रमाण पत्र

मध्य प्रदेश में हलवा जाति का प्रमाण-पत्र भी फर्जी मानकर निरस्त किया जा चुका है. विदिशा जिले के सिरोंज में मीणा जाति अनुसूचित जनजाति में आती थी, जबकि राजस्थान में मीणा सामान्य जाति में आते हैं. इसी का फायदा उठाकर सिरोंज से बड़ी संख्या में फर्जी जाति प्रमाण पत्र का खेल चला. जिसमें कई अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है, उधर कई जांच के घेरे में हैं. मध्यप्रदेश में करीबन 600 क्लॉस वन अधिकारियों के जाति प्रमाण पत्र संदेह के घेरे में हैं.

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'सरकार का नहीं है अंकुश'

रिटायर्ड डीजी अरूण गुर्टू कहते हैं कि "आईएएस, आईपीएस और आईएफएस इन तीनों में पद के दुरूपयोग के सबसे ज्यादा मामले हैं, क्योंकि इन पर किसी तरह का सरकार का अंकुश नहीं है. मध्यप्रदेश में कई अधिकारी-कर्मचारी फर्जी जाति प्रमाण पत्र से नौकरी कर रहे हैं लेकिन ऐसे मामलों में जांच की गति बेहद धीमी है. ऐसे कर्मचारी अधिकारी सालों नौकरी करके रिटायर्ड भी हो जाते हैं और जांच ही खत्म नहीं हो पाती."

Last Updated : Jul 16, 2024, 10:54 PM IST
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