भोपाल. ब्रिगेडियर विनायक ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, '' अब जो शहीदों की शहादत के बाद जो ये विवाद हो रहे हैं वे पैसों की वजह से हो रहे हैं.'' उन्होंने शहीद आंशुमान सिंह के परिवार का नाम लिए बगैर कहा, '' मेरा आग्रह ये भी है कि इस तरह के मामलों को एकतरफा नहीं देखना चाहिए. जो शहीद की पत्नी है, उसने भी तो बहुत कुछ खोया है.''
ब्रिगेडियर बोले- धनराशि विवाद का कारण
ब्रिगेडियर विनायक से हमारा सवाल उस डिमांड को लेकर था जिसमें शहीद अंशुमान सिंह के पिता ने सेना की एनओके यानी निकटतम परिजन योजना में बदलाव के लिए जो मुद्दा उठाया. ब्रिगेडियर विनायक ने इसपर जवाब देते हुए कहा, '' इसे इस तरह समझिए कि राशि किसे मिलनी चाहिए. तो शादी के पहले हम अपने माता-पिता को नॉमिनी रखते हैं. लेकिन शादी के बाद पत्नी को. लेकिन कारगिल के बाद जब से शहीद के परिवारों के लिए धनराशि बढ़ी है, ये एक सामाजिक समस्या बन गई है.''
शहीद की पत्नी ने भी बहुत कुछ खोया
ब्रिगेडियर विनायक ने आगे कहा, '' पैसों की वजह से विवाद हो रहे हैं लेकिन मुझे लगता है कि इसे एकतरफा नहीं देखना चाहिए. जो शहीद की पत्नी है उसने भी तो अपना बहुत कुछ खोया है. ब्रिगेडियर विनायक कहते हैं कि मैं नाम नहीं लेना चाहता हूं. इस तरह के मामलों में बहू और उनके ससुराल वालों को जो प्रॉब्लम है तो ऐसा तो नहीं है कि परिवार वालों को कुछ भी नहीं मिल रहा. उन्हें भी मिलता है और मिल रहा है. और अगर शहीद के माता पिता पूरी तरह उस पर ही निर्भर होंगे तो उन्हें भी मिलेगा. लेकिन शहीद की जो पत्नी है उसका जीवन भी देखा जाए. वो री-मैरिज भी करती है तो क्या दिक्कत है? क्या उसे जीने का अधिकार नहीं है?
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कहां से उठी सेना के नियमों में बदलाव की मांग?
दरअसल, दिवंगत कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता रवि प्रताप सिंह ने ये मांग उठाई है कि भारतीय सेना में निकटतम परिजन नीति में संशोधन किया जाना चाहिए. यही वो नीति है जिसमें किसी सैनिक की शहादत के बाद उसके परिवार को आर्थिक सहायता के साथ सम्मान दिया जाता है. कैप्टन अंशुमान सिंह बीते वर्ष सियाचिन में अपने साथियों की जिंदगी बचाते हुए शहीद हो गए थे. उन्हें मरणोपरांत कीर्ति चक्र से नवाजा गया, जिसके बाद उनके माता-पिता और बहू स्मृति सिंह के बीच विवाद हो गया.