भोपाल। 7 जुलाई को भोपाल में बरकतुल्लाह भोपाली की जयंती मनाई गई. इस दौरान जमीयत उलेमा संगठन ने मध्य प्रदेश सरकार से बरकतुल्लाह भोपाली की जीवनी को एमपी के स्कूल-कॉलेजों में पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए जाने की मांग की है. मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष हाजी मोहम्मद हारुन ने कहा कि "बरकतुल्लाह भोपाली महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने अंग्रेजी सरकार को खुली चुनौती दी थी. ऐसे स्वाधीनता सेनानी की जीवनी स्कूल कॉलेजों में पढ़ाई जानी चाहिए."
भोपाली ने दी थी ब्रिटिश सरकार को चुनौती
जमीयत उलेमा के मध्य प्रदेश इकाई के प्रमुख हाजी मोहम्मद हारुन ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि सरकार बरकतुल्लाह भोपाली की जयंती और पुण्य तिथि पर प्रदेश में उनकी स्मृति में कार्यक्रम आयोजित करे. इसके अलावा उनकी जीवनी को स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए, जिससे कि नई नस्ल उनको जान सके. बरकतुल्लाह भोपाली वो शख्सियत थे, जिन्होंने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ भारत के बाहर अंतरिम सरकार का गठन किया था. ब्रिटिश सरकार को खुली चुनौती दी थी. भोपाली ने देश की आजादी के लिए गदर पार्टी का गठन भी किया था. इतने बड़े स्वाधीनता संग्राम सेनानी को भुलाया जा रहा है.
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कौन थे बरकतुल्लाह भोपाली ?
बरकतुल्लाह भोपाली भारत की पहली निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री बने थे और ये अकेले भोपाली थे जिन्होंने अंग्रेजी सिर्फ इसलिए सीखी की दुनिया नापकर अंग्रेजों को मात दे सकें. 8 जुबाने जानने वाले बरकतुल्लाह भोपाली ने अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए गदर पार्टी बनाई थी. 23 साल की छोटी उम्र में उन्होंने ने भोपाल छोड़ दिया था और अंग्रेजी सीखकर पूरी दुनिया से समर्थन जुटाकर अंग्रेजों से सीधी लड़ाई ली थी.