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हाथरस वाले 'भोले बाबा' का राजस्थान कनेक्शन, अलवर में भी है आश्रम, प्रत्यक्षदर्शियों ने बताई घटनास्थल की आपबीती - Bhole baba Connection with Alwar

हाथरस दुखांतिका वाले भोले बाबा का अलवर में भी आश्रम है. घटना के समय वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शी महिला ने बताया कि सड़क ऊंची और खेत नीचे होने से कार्यक्रम के बाद लोग उसके गिरते चले गए, चरण रज लेने से मची भगदड़ की बात झूठी है.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 7, 2024, 7:21 AM IST

BHOLE BABA CONNECTION WITH ALWAR
भोले बाबा का अलवर में भी आश्रम (file photo)
भोले बाबा का अलवर में भी आश्रम (Video : Etv Bharat)

अलवर. हाल ही में हाथरस में भोले बाबा उर्फ नारायण हरि उर्फ सूरजपाल के कार्यक्रम में मची भगदड़ में 120 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद से भोले बाबा फरार है. हालांकि हाल ही उन्होंने घटना को लेकर बयान भी जारी किया था. लेकिन इस बीच कई सवाल भोले बाबा पर भी उठ रहे हैं. राजस्थान के अलवर में भी भोले बाबा का आश्रम है. जिले के खेरली गांव के पास सहजपुर में भोले बाबा का आश्रम है, जहां बड़ी संख्या में बाबा के अनुयायी पहुंचते हैं. आश्रम के सेवादारों ने बताया कि कोरोना काल के दौरान बाबा इस आश्रम में ठहरे थे.

हाथरस की घटना के साक्षी अलवर जिले के लोग भी बने थे. सहजपुर से हाथरस पहुंचे प्रत्यक्ष दर्शियों ने घटना के संबंध में बात की. घटना स्थल पर मौजूद रही सहजपुर निवासी लक्खो देवी ने बताया कि धार्मिक आयोजन को लेकर जो बातें सुनाई दे रही है, दरअसल, वहां ऐसा कुछ नहीं हुआ था. प्रभु वाणी के समापन के बाद पांडाल से चले गए. उसके करीब आधे घंटे बाद पांडाल से संगत निकलती रही. पांडाल के बाहर वाहनों का जाम लगा हुआ था. पांडाल में संगतों की संख्या भी खूब थी. गर्मी और भीड़ ज्यादा होने से लोगों को घबराहट होने लगी, इससे वहां अफरा-तफरी का माहौल हो गया. लोग पांडाल के सामने खेत से जाने लगे लेकिन सड़क ऊंची और खेत नीचे होने से लोग उसमें गिरते चले गए. खेत में कीचड़ और चिकनी मिट्टी होने से लोग उसमें धंसते चले गए.

लक्खो देवी ने बताया कि वह भी कीचड़ में धंसती जा रही थी, लेकिन उसकी बेटी ने खींचकर उन्हें बाहर निकाल लिया, जिससे उसकी जान बच गई. प्रवचन के बाद भोले बाबा की रज लेने की बात झूठी है. यह सब भोले बाबा को फंसाने की साजिश के तहत किया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि लोग पांडाल से निकलते समय खेत में घंस गए, जिससे यह घटना हुई.

इसे भी पढ़ें : हाथरस दुखांतिका वाले 'हरि भोले बाबा' का पेपर लीक के मास्टर माइंड से निकला कनेक्शन, जानें पूरा मामला - Hathras Stampede

बाबा ने दूर की बीमारी : भोले बाबा की अनुयायी सुनीता ने बताया कि उन्हें हैड इंजरी थी. उसने भरतपुर व मथुरा में अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, लेकिन जब भोले बाबा की वाणी सुनी तो मुझे हैड इंजरी में काफी फायदा हुआ. अब मैं ठीक हूं. उन्होंने कहा कि हाथरस की घटना को लेकर भोले बाबा पर लग रहे आरोप सही नहीं है.

बाबा की वाणी मानवता पर आधारित : खेरली निवासी मंगतूराम ने बताया कि वे 2005 से भोले बाबा से जुड़े हैं. उन्होंने कहा कि वे दु:ख दर्द को लेकर उनसे नहीं जुड़े, लेकिन उनकी वाणी से मिलने वाले लाभ को लेकर उनका अनुयायी बने. भोले बाबा की वाणी मानवता पर आधारित है. इससे प्रभावित होकर ही मैं उनसे जुड़ा. भोले बाबा की वाणी ढोंग व पाखंड से दूर है.

भोले बाबा का अलवर में भी आश्रम (Video : Etv Bharat)

अलवर. हाल ही में हाथरस में भोले बाबा उर्फ नारायण हरि उर्फ सूरजपाल के कार्यक्रम में मची भगदड़ में 120 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद से भोले बाबा फरार है. हालांकि हाल ही उन्होंने घटना को लेकर बयान भी जारी किया था. लेकिन इस बीच कई सवाल भोले बाबा पर भी उठ रहे हैं. राजस्थान के अलवर में भी भोले बाबा का आश्रम है. जिले के खेरली गांव के पास सहजपुर में भोले बाबा का आश्रम है, जहां बड़ी संख्या में बाबा के अनुयायी पहुंचते हैं. आश्रम के सेवादारों ने बताया कि कोरोना काल के दौरान बाबा इस आश्रम में ठहरे थे.

हाथरस की घटना के साक्षी अलवर जिले के लोग भी बने थे. सहजपुर से हाथरस पहुंचे प्रत्यक्ष दर्शियों ने घटना के संबंध में बात की. घटना स्थल पर मौजूद रही सहजपुर निवासी लक्खो देवी ने बताया कि धार्मिक आयोजन को लेकर जो बातें सुनाई दे रही है, दरअसल, वहां ऐसा कुछ नहीं हुआ था. प्रभु वाणी के समापन के बाद पांडाल से चले गए. उसके करीब आधे घंटे बाद पांडाल से संगत निकलती रही. पांडाल के बाहर वाहनों का जाम लगा हुआ था. पांडाल में संगतों की संख्या भी खूब थी. गर्मी और भीड़ ज्यादा होने से लोगों को घबराहट होने लगी, इससे वहां अफरा-तफरी का माहौल हो गया. लोग पांडाल के सामने खेत से जाने लगे लेकिन सड़क ऊंची और खेत नीचे होने से लोग उसमें गिरते चले गए. खेत में कीचड़ और चिकनी मिट्टी होने से लोग उसमें धंसते चले गए.

लक्खो देवी ने बताया कि वह भी कीचड़ में धंसती जा रही थी, लेकिन उसकी बेटी ने खींचकर उन्हें बाहर निकाल लिया, जिससे उसकी जान बच गई. प्रवचन के बाद भोले बाबा की रज लेने की बात झूठी है. यह सब भोले बाबा को फंसाने की साजिश के तहत किया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि लोग पांडाल से निकलते समय खेत में घंस गए, जिससे यह घटना हुई.

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बाबा ने दूर की बीमारी : भोले बाबा की अनुयायी सुनीता ने बताया कि उन्हें हैड इंजरी थी. उसने भरतपुर व मथुरा में अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, लेकिन जब भोले बाबा की वाणी सुनी तो मुझे हैड इंजरी में काफी फायदा हुआ. अब मैं ठीक हूं. उन्होंने कहा कि हाथरस की घटना को लेकर भोले बाबा पर लग रहे आरोप सही नहीं है.

बाबा की वाणी मानवता पर आधारित : खेरली निवासी मंगतूराम ने बताया कि वे 2005 से भोले बाबा से जुड़े हैं. उन्होंने कहा कि वे दु:ख दर्द को लेकर उनसे नहीं जुड़े, लेकिन उनकी वाणी से मिलने वाले लाभ को लेकर उनका अनुयायी बने. भोले बाबा की वाणी मानवता पर आधारित है. इससे प्रभावित होकर ही मैं उनसे जुड़ा. भोले बाबा की वाणी ढोंग व पाखंड से दूर है.

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